Ganesh ji Sahasranamavali

गणेश्वर
1
ॐ गणेश्वराय नमः।
Om Ganeshvaraya Namah।
जो सृष्टि के स्वामी हैं
गणक्रीड
2
ॐ गणक्रीडाय नमः।
Om Ganakridaya Namah।
जो गणों के साथ क्रीडा करने वाले हैं
गणनाथ
3
ॐ गणनाथाय नमः।
Om Gananathaya Namah।
जो गणों के नाथ अथवा स्वामी हैं
गणाधिप
4
ॐ गणाधिपाय नमः।
Om Ganadhipaya Namah।
जो आदित्य आदि गणदेवताओं के अधिपति हैं
एकदंष्ट्र
5
ॐ एकदंष्ट्राय नमः।
Om Ekadamshtraya Namah।
जो एक दाँत वाले हैं
वक्रतुण्ड
6
ॐ वक्रतुण्डाय नमः।
Om Vakratundaya Namah।
जो मुड़ी हुयी सूँड वाले हैं
गजवक्त्र
7
ॐ गजवक्त्राय नमः।
Om Gajavaktraya Namah।
जो हाथी के समान मुख वाले हैं
महोदर
8
ॐ महोदराय नमः।
Om Mahodaraya Namah।
जो विशाल उदर वाले हैं
लम्बोदर
9
ॐ लम्बोदराय नमः।
Om Lambodaraya Namah।
जो लम्बे उदर वाले हैं
धूम्रवर्ण
10
ॐ धूम्रवर्णाय नमः।
Om Dhumravarnaya Namah।
जिनकी देह धुएँ के रंग की है
विकट
11
ॐ विकटाय नमः।
Om Vikataya Namah।
जो विशाल देह वाले हैं
विघ्ननाशक
12
ॐ विघ्ननाशकाय नमः।
Om Vighnanashakaya Namah।
जो विघ्नों का नाश करने वाले हैं
सुमुख
13
ॐ सुमुखाय नमः।
Om Sumukhaya Namah।
जो सदैव प्रसन्नचित्त रहने वाले हैं
दुर्मुख
14
ॐ दुर्मुखाय नमः।
Om Durmukhaya Namah।
जो चञ्चल मुख वाले हैं
बुद्ध
15
ॐ बुद्धाय नमः।
Om Buddhaya Namah।
जो ज्ञानवान एवं चतुर हैं
विघ्नराज
16
ॐ विघ्नराजाय नमः।
Om Vighnarajaya Namah।
जो समस्त विघ्नों के स्वामी हैं
गजानन
17
ॐ गजाननाय नमः।
Om Gajananaya Namah।
जिनका शीश हाथी का है
भीम
18
ॐ भीमाय नमः।
Om Bhimaya Namah।
जो विशाल एवं कठोर हैं
प्रमोद
19
ॐ प्रमोदाय नमः।
Om Pramodaya Namah।
जो आनन्ददायक साधन प्रदान करने वाले हैं
आमोद
20
ॐ आमोदाय नमः।
Om Amodaya Namah।
जो सदैव उत्साहित रहने वाले हैं
सुरानन्द
21
ॐ सुरानन्दाय नमः।
Om Suranandaya Namah।
जो शिवगणों को प्रसन्नता प्रदान करने वाले हैं
मदोत्कट
22
ॐ मदोत्कटाय नमः।
Om Madotkataya Namah।
जो निष्कपट एवं मेधावी हैं
हेरम्ब
23
ॐ हेरम्बाय नमः।
Om Herambaya Namah।
जो दुर्बलों की रक्षा करने वाले हैं
शम्बर
24
ॐ शम्बराय नमः।
Om Shambaraya Namah।
जो जल के रूप में निवास करने वाले हैं
शम्भु
25
ॐ शम्भवे नमः।
Om Shambhave Namah।
जो आनन्द प्रदान करने वाले हैं
लम्बकर्ण
26
ॐ लम्बकर्णाय नमः।
Om Lambakarnaya Namah।
जो बड़े कानों वाले हैं
महाबल
27
ॐ महाबलाय नमः।
Om Mahabalaya Namah।
जो अत्यन्त सुदृढ़ एवं साहसी हैं
नन्दन
28
ॐ नन्दनाय नमः।
Om Nandanaya Namah।
जो युवा हैं
अलम्पट
29
ॐ अलम्पटाय नमः।
Om Alampataya Namah।
जो सुन्दर वस्त्र धारण करने वाले हैं
अभीरु
30
ॐ अभीरवे नमः।
Om Abhirave Namah।
जो निर्भीक हैं
मेघनाद
31
ॐ मेघनादाय नमः।
Om Meghanadaya Namah।
जो मेघों के समान गर्जना करने वाले हैं
गणञ्जय
32
ॐ गणञ्जयाय नमः।
Om Gananjayaya Namah।
जो दुष्टों पर विजय पाने वाले हैं
विनायक
33
ॐ विनायकाय नमः।
Om Vinayakaya Namah।
जो सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ हैं
विरूपाक्ष
34
ॐ विरूपाक्षाय नमः।
Om Virupakshaya Namah।
जो सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि को नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं
धीरशूर
35
ॐ धीरशूराय नमः।
Om Dhirashuraya Namah।
जो अत्यन्त शूरवीर हैं
वरप्रद
36
ॐ वरप्रदाय नमः।
Om Varapradaya Namah।
जो वर प्रदान करने वाले हैं
महागणपति
37
ॐ महागणपतये नमः।
Om Mahaganapataye Namah।
जो सर्वशक्तिमान हैं
बुद्धिप्रिय
38
ॐ बुद्धिप्रियाय नमः।
Om Buddhipriyaya Namah।
जो ज्ञान के प्रशंसक हैं
क्षिप्रप्रसादन
39
ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः।
Om Kshipraprasadanaya Namah।
जो शीघ्र वर प्रदान करने वाले हैं
रुद्रप्रिय
40
ॐ रुद्रप्रियाय नमः।
Om Rudrapriyaya Namah।
जो रुद्र मन्त्र के प्रशंसक हैं
गणाध्यक्ष
41
ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
Om Ganadhyakshaya Namah।
जो छत्तीस सिद्धान्तों की रक्षा करने वाले हैं
उमापुत्र
42
ॐ उमापुत्राय नमः।
Om Umaputraya Namah।
जो देवी उमा के पुत्र हैं
अघनाशन
43
ॐ अघनाशनाय नमः।
Om Aghanashanaya Namah।
जो पापों का नाश करने वाले हैं
कुमारगुरु
44
ॐ कुमारगुरवे नमः।
Om Kumaragurave Namah।
जो भगवान कार्तिकेय के गुरु हैं
ईशानपुत्र
45
ॐ ईशानपुत्राय नमः।
Om Ishanaputraya Namah।
जो भगवान शिव के पुत्र हैं
मूषकवाहन
46
ॐ मूषकवाहनाय नमः।
Om Mushakavahanaya Namah।
जो मूषक को अपने वाहन के रूप में रखने वाले हैं
सिद्धिप्रिय
47
ॐ सिद्धिप्रियाय नमः।
Om Siddhipriyaya Namah।
जो सिद्धि प्रदान करने वाले हैं
सिद्धिपति
48
ॐ सिद्धिपतये नमः।
Om Siddhipataye Namah।
जो समस्त सिद्धियों के स्वामी हैं
सिद्धि
49
ॐ सिद्धये नमः।
Om Siddhaye Namah।
जो स्वयं सिद्धि स्वरूप हैं
सिद्धिविनायक
50
ॐ सिद्धिविनायकाय नमः।
Om Siddhivinayakaya Namah।
जो सफलता प्रदान करने वाले हैं
अविघ्न
51
ॐ अविघ्नाय नमः।
Om Avighnaya Namah।
जो अज्ञान को नष्ट करने वाले हैं
तुम्बरु
52
ॐ तुम्बुरवे नमः।
Om Tumburave Namah।
जो तुम्बुरु नामक वाद्ययन्त्र से प्रसन्न होने वाले हैं
सिंहवाहन
53
ॐ सिंहवाहनाय नमः।
Om Simhavahanaya Namah।
जो सिंह के वाहन पर आरूढ़ रहने वाले हैं
मोहिनीप्रिय
54
ॐ मोहिनीप्रियाय नमः।
Om Mohinipriyaya Namah।
जो मोहिनी के प्रिय हैं
कटङ्कट
55
ॐ कटङ्कटाय नमः।
Om Katankataya Namah।
जो अज्ञान का नाश करने वाले हैं
राजपुत्र
56
ॐ राजपुत्राय नमः।
Om Rajaputraya Namah।
जो राजा वरेण्य के पुत्र हैं
शालक
57
ॐ शालकाय नमः।
Om Shalakaya Namah।
जो शान्त एवं संयमित रहने वाले हैं
सम्मित
58
ॐ सम्मिताय नमः।
Om Sammitaya Namah।
जो आकार प्रकार में समान एवं अनुरूप हैं
अमित
59
ॐ अमिताय नमः।
Om Amitaya Namah।
जो असीमित हैं
कूष्माण्डसामसम्भूति
60
ॐ कूष्माण्डसामसम्भूतये नमः।
Om Kushmandasamasambhutaye Namah।
जो वेदों को अपनी सम्पत्ति मानने वाले हैं
दुर्जय
61
ॐ दुर्जयाय नमः।
Om Durjayaya Namah।
जो अपराजेय हैं
धूर्जय
62
ॐ धूर्जयाय नमः।
Om Dhurjayaya Namah।
जो दुर्जनों को जीतने वाले हैं
जय
63
ॐ जयाय नमः।
Om Jayaya Namah।
जो विजयी हैं
भूपति
64
ॐ भूपतये नमः।
Om Bhupataye Namah।
जो देवों के देव हैं
भुवनपति
65
ॐ भुवनपतये नमः।
Om Bhuvanapataye Namah।
जो संसार के स्वामी हैं
भूतानां पति
66
ॐ भूतानां पतये नमः।
Om Bhutanam Pataye Namah।
जो पञ्च तत्वों के अधिपति हैं
अव्यय
67
ॐ अव्ययाय नमः।
Om Avyayaya Namah।
जो अमर हैं
विश्वकर्ता
68
ॐ विश्वकर्त्रे नमः।
Om Vishvakartre Namah।
जो सृष्टि के निर्माता हैं
विश्वमुख
69
ॐ विश्वमुखाय नमः।
Om Vishvamukhaya Namah।
जो मुख के रूप में सृष्टि धारण किये हुये हैं
विश्वरूप
70
ॐ विश्वरूपाय नमः।
Om Vishvarupaya Namah।
जो सम्पूर्ण सृष्टि के रूप में हैं
निधि
71
ॐ निधये नमः।
Om Nidhaye Namah।
जो नौ निधियाँ प्रदान करने वाले हैं
घृणि
72
ॐ घृणये नमः।
Om Ghrinaye Namah।
जो सूर्य के रूप में प्रतिष्ठित हैं
कवि
73
ॐ कवये नमः।
Om Kavaye Namah।
जो कवि हैं
कवीनामृषभ
74
ॐ कवीनामृषभाय नमः।
Om Kavinamrishabhaya Namah।
जो कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि हैं
ब्रह्मण्य
75
ॐ ब्रह्मण्याय नमः।
Om Brahmanyaya Namah।
जो ब्रह्मा के रक्षक हैं
ब्रह्मणस्पति
76
ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः।
Om Brahmanaspataye Namah।
जो वाणी के स्वामी हैं
ज्येष्ठराज
77
ॐ ज्येष्ठराजाय नमः।
Om Jyeshtharajaya Namah।
जो सामवेद के अनुसार सबसे बड़े हैं
निधिपति
78
ॐ निधिपतये नमः।
Om Nidhipataye Namah।
जो निधियों के अभिरक्षक हैं
निधिप्रियपतिप्रिय
79
ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः।
Om Nidhipriyapatipriyaya Namah।
कुबेर भी जिनकी पूजा करते हैं
हिरण्मयपुरान्तःस्थ
80
ॐ हिरण्मयपुरान्तःस्थाय नमः।
Om Hiranmayapurantahsthaya Namah।
जो गहरे विचारों में मग्न रहने वाले हैं
सूर्यमण्डलमध्यग
81
ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः।
Om Suryamandalamadhyagaya Namah।
जो सूर्यमण्डल में निवास करने वाले हैं
कराहतिविध्वस्तसिन्धुसलिल
82
ॐ कराहतिविध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः।
Om Karahatividhvastasindhusalilaya Namah।
जो अपनी सूँड से समुद्र सूखा देने वाले हैं
पूषदन्तभित्
83
ॐ पूषदन्तभिदे नमः।
Om Pushadantabhide Namah।
जो पूषा का दाँत खण्डित करने वाले हैं
उमाङ्ककेलिकुतुकी
84
ॐ उमाङ्ककेलिकुतुकिने नमः।
Om Umankakelikutukine Namah।
जो माता उमा की गोद में हर्षित होने वाले हैं
मुक्तिद
85
ॐ मुक्तिदाय नमः।
Om Muktidaya Namah।
जो मुक्ति प्रदान करने वाले हैं
कुलपालन
86
ॐ कुलपालनाय नमः।
Om Kulapalanaya Namah।
जो कुल का पालन/रक्षा करने वाले हैं
किरीटी
87
ॐ किरीटिने नमः।
Om Kiritine Namah।
जो सुन्दर मुकुट धारण करने वाले हैं
कुण्डली
88
ॐ कुण्डलिने नमः।
Om Kundaline Namah।
जो कुण्डल धारण करने वाले हैं
हारी
89
ॐ हारिणे नमः।
Om Harine Namah।
जो मोतियों का हार धारण किये हुये हैं
वनमाली
90
ॐ वनमालिने नमः।
Om Vanamaline Namah।
जो सुन्दर पुष्पों के हार से सुशोभित हैं
मनोमय
91
ॐ मनोमयाय नमः।
Om Manomayaya Namah।
जो अपने मन की करने वाले हैं
वैमुख्यहतदैत्यश्री
92
ॐ वैमुख्यहतदैत्यश्रिये नमः।
Om Vaimukhyahatadaityashriye Namah।
जो अश्रद्धावान का वैभव हरने वाले हैं
पादाहतिजितक्षिति
93
ॐ पादाहतिजितक्षितये नमः।
Om Padahatijitakshitaye Namah।
जो अपने चरणों से पृथ्वी का अहङ्कार नष्ट करने वाले हैं
सद्योजातस्वर्णमुञ्जमेखली
94
ॐ सद्योजातस्वर्णमुञ्जमेखलिने नमः।
Om Sadyojatasvarnamunjamekhaline Namah।
जो कमर में कुशा घास की मेखला धारण करने वाले हैं
दुर्निमित्तहृत्
95
ॐ दुर्निमित्तहृते नमः।
Om Durnimittahrite Namah।
जो अशुभ शकुनों का नाश करने वाले हैं
दुःस्वप्नहृत्
96
ॐ दुःस्वप्नहृते नमः।
Om Duhsvapnahrite Namah।
जो दुःस्वप्न का नाश करने वाले हैं
प्रसहन
97
ॐ प्रसहनाय नमः।
Om Prasahanaya Namah।
जो दोषों को सहन करने वाले हैं
गुणी
98
ॐ गुणिने नमः।
Om Gunine Namah।
जो समस्त गुणों के स्वामी हैं
नादप्रतिष्ठित
99
ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः।
Om Nadapratishthitaya Namah।
जो सङ्गीत में विद्यमान रहने वाले हैं
सुरूप
100
ॐ सुरूपाय नमः।
Om Surupaya Namah।
जो सुन्दर रूप वाले हैं
सर्वनेत्राधिवास
101
ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः।
Om Sarvanetradhivasaya Namah।
जो सभी के नेत्रों में विद्यमान रहने वाले हैं
वीरासनाश्रय
102
ॐ वीरासनाश्रयाय नमः।
Om Virasanashrayaya Namah।
जो सुदृढ़ता से डटे रहने वाले हैं
पीताम्बर
103
ॐ पीताम्बराय नमः।
Om Pitambaraya Namah।
जो पीत वस्त्र धारण करने वाले हैं
खण्डरद
104
ॐ खण्डरदाय नमः।
Om Khandaradaya Namah।
जिनका एक दाँत खण्डित है
खण्डेन्दुकृतशेखर
105
ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः।
Om Khandendukritashekharaya Namah।
जिनके घुँघराले बालों में अर्धचन्द्र सुशोभित है
चित्राङ्कश्यामदशन
106
ॐ चित्राङ्कश्यामदशनाय नमः।
Om Chitrankashyamadashanaya Namah।
जो विचित्र रंग-बिरंगे दाँत वाले हैं
भालचन्द्र
107
ॐ भालचन्द्राय नमः।
Om Bhalachandraya Namah।
जिनके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है
चतुर्भुज
108
ॐ चतुर्भुजाय नमः।
Om Chaturbhujaya Namah।
जो चार भुजाधारी हैं
योगाधिप
109
ॐ योगाधिपाय नमः।
Om Yogadhipaya Namah।
जो योग के अधिष्ठाता हैं
तारकस्थ
110
ॐ तारकस्थाय नमः।
Om Tarakasthaya Namah।
जो तारकमन्त्र में निवास करने वाले हैं
पुरुष
111
ॐ पुरुषाय नमः।
Om Purushaya Namah।
जो पुरुष हैं
गजकर्णक
112
ॐ गजकर्णकाय नमः।
Om Gajakarnakaya Namah।
जो हाथी के कान वाले हैं
गणाधिराज
113
ॐ गणाधिराजाय नमः।
Om Ganadhirajaya Namah।
जो गणों के राजा हैं
विजयस्थिर
114
ॐ विजयस्थिराय नमः।
Om Vijayasthiraya Namah।
जो सदैव विजय हेतु आतुर हैं
गजपतिर्ध्वजी
115
ॐ गजपतिर्ध्वजिने नमः।
Om Gajapatirdhvajine Namah।
जो हाथी के प्रतीक वाला ध्वज लिये हुए हैं
देवदेव
116
ॐ देवदेवाय नमः।
Om Devadevaya Namah।
जो देवताओं के भी देवता हैं
स्मरप्राणदीपक
117
ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः।
Om Smarapranadipakaya Namah।
जो मन्मथ को पुनर्जीवित करने वाले हैं
वायुकीलक
118
ॐ वायुकीलकाय नमः।
Om Vayukilakaya Namah।
जो जीवन शक्ति के रक्षक हैं
विपश्चिद्वरद
119
ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः।
Om Vipashchidvaradaya Namah।
जो राजा विपश्चित् को वरदान देने वाले हैं
नादोन्नादभिन्नबलाहक
120
ॐ नादोन्नादभिन्नबलाहकाय नमः।
Om Nadonnadabhinnabalahakaya Namah।
जो सूँड से मेघों की दिशा बदल देने वाले हैं
वराहरदन
121
ॐ वराहरदनाय नमः।
Om Varaharadanaya Namah।
जो वाराह के दाँत से अधिक सुन्दर दाँत वाले हैं
मृत्युञ्जय
122
ॐ मृत्युञ्जयाय नमः।
Om Mrityunjayaya Namah।
जो मृत्यु पर विजय पाने वाले हैं
व्याघ्राजिनाम्बर
123
ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः।
Om Vyaghrajinambaraya Namah।
जो बाघम्बर धारण करने वाले हैं
इच्छाशक्तिधर
124
ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः।
Om Ichchhashaktidharaya Namah।
जो आत्म नियन्त्रण में रहने वाले हैं
देवत्राता
125
ॐ देवत्रात्रे नमः।
Om Devatratre Namah।
जो देवों की रक्षा करने वाले हैं
दैत्यविमर्दन
126
ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः।
Om Daityavimardanaya Namah।
जो दैत्यों का संहार करने वाले हैं
शम्भुवक्त्रोद्भव
127
ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः।
Om Shambhuvaktrodbhavaya Namah।
जो शिव के मुख से व्यक्त होने वाले हैं
शम्भुकोपहा
128
ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः।
Om Shambhukopaghne Namah।
जो शिव जी का क्रोध शान्त करने वाले हैं
शम्भुहास्यभू
129
ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः।
Om Shambhuhasyabhuve Namah।
जो शिव जी की महिमा का गुणगान करने वाले हैं
शम्भुतेजस्
130
ॐ शम्भुतेजसे नमः।
Om Shambhutejase Namah।
जो शिव के समान तेज वाले हैं
शिवाशोकहारी
131
ॐ शिवाशोकहारिणे नमः।
Om Shivashokaharine Namah।
जो माता पार्वती (शिवा) के शोक को हरने वाले हैं
गौरीसुखावह
132
ॐ गौरीसुखावहाय नमः।
Om Gaurisukhavahaya Namah।
जो माता गौरी को प्रसन्न रखने वाले हैं
उमाङ्गमलज
133
ॐ उमाङ्गमलजाय नमः।
Om Umangamalajaya Namah।
जो देवी उमा की गोद में खेलने वाले हैं
गौरीतेजोभू
134
ॐ गौरीतेजोभुवे नमः।
Om Gauritejobhuve Namah।
जो माता पार्वती के तेज से उत्पन्न हैं
स्वर्धुनीभव
135
ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः।
Om Svardhunibhavaya Namah।
जो गङ्गा के उद्भव का कारण हैं
यज्ञकाय
136
ॐ यज्ञकायाय नमः।
Om Yajnakayaya Namah।
जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं
महानाद
137
ॐ महानादाय नमः।
Om Mahanadaya Namah।
जो अत्यन्त तेज ध्वनि उत्पन्न करने वाले हैं
गिरिवर्ष्मा
138
ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः।
Om Girivarshmane Namah।
जो पर्वतों के समान देह वाले हैं
शुभानन
139
ॐ शुभाननाय नमः।
Om Shubhananaya Namah।
जो मंगलमयी मुखाकृति वाले हैं
सर्वात्मा
140
ॐ सर्वात्मने नमः।
Om Sarvatmane Namah।
जो समस्त सृष्टि में विद्यमान रहने वाले हैं
सर्वदेवात्मा
141
ॐ सर्वदेवात्मने नमः।
Om Sarvadevatmane Namah।
जो समस्त देवों में उपस्थित रहने वाले हैं
ब्रह्ममूर्धा
142
ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः।
Om Brahmamurdhne Namah।
जो ब्रह्मा के मुख वाले हैं
ककुप्श्रुति
143
ॐ ककुप्श्रुतये नमः।
Om Kakupshrutaye Namah।
जो दिशाओं को कान के रूप में धारण करने वाले हैं
ब्रह्माण्डकुम्भ
144
ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः।
Om Brahmandakumbhaya Namah।
जो सृष्टि को अपने मस्तिष्क के भाग में रखने वाले हैं
चिद्व्योमभाल
145
ॐ चिद्व्योमभालाय नमः।
Om Chidvyomabhalaya Namah।
जो अन्तरिक्ष के समान मस्तक वाले हैं
सत्यशिरोरुह
146
ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः।
Om Satyashiroruhaya Namah।
जो सत्य को केश के रूप में धारण करने वाले हैं
जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेष
147
ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः।
Om Jagajjanmalayonmeshanimeshaya Namah।
जो क्षणभर में सृष्टि का सृजन एवं संहार करने वाले हैं
अग्न्यर्कसोमदृक्
148
ॐ अग्न्यर्कसोमदृशे नमः।
Om Agnyarkasomadrishe Namah।
जो सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि को नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं
गिरीन्द्रैकरद
149
ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः।
Om Girindraikaradaya Namah।
जो मेरु पर्वत को अपने दाँत के रूप में धारण किये हुये हैं
धर्माधर्मोष्ठ
150
ॐ धर्माधर्मोष्ठाय नमः।
Om Dharmadharmoshthaya Namah।
धर्म और अधर्म जिनके दोनों ओष्ठ हैं
सामबृंहित
151
ॐ सामबृंहिताय नमः।
Om Samabrimhitaya Namah।
सामवेद जिनकी वाणी है
ग्रहर्क्षदशन
152
ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः।
Om Graharkshadashanaya Namah।
जो सूर्य आदि ग्रहों को अपने दाँतों के रूप में धारण करने वाले हैं
वाणीजिह्व
153
ॐ वाणीजिह्वाय नमः।
Om Vanijihvaya Namah।
जो वाणी को जिह्वा के रूप में धारण करने वाले हैं
वासवनासिक
154
ॐ वासवनासिकाय नमः।
Om Vasavanasikaya Namah।
जो इन्द्र को नासिका के रूप में धारण करने वाले हैं
कुलाचलांस
155
ॐ कुलाचलांसाय नमः।
Om Kulachalamsaya Namah।
कुल पर्वत जिनके कन्धो के रूप में स्थित हैं
सोमार्कघण्ट
156
ॐ सोमार्कघण्टाय नमः।
Om Somarkaghantaya Namah।
जो चन्द्र रूपी गर्दन वाले हैं
रुद्रशिरोधर
157
ॐ रुद्रशिरोधराय नमः।
Om Rudrashirodharaya Namah।
जो सिर पर रुद्र को धारण किये हुये हैं
नदीनदभुज
158
ॐ नदीनदभुजाय नमः।
Om Nadinadabhujaya Namah।
गङ्गा आदि नदियाँ और शोणभद्र आदि नद जिनकी भुजायें हैं
सर्पाङ्गुलीक
159
ॐ सर्पाङ्गुलीकाय नमः।
Om Sarpangulikaya Namah।
शेष आदि नाग जिनकी अँगुलियों में हैं
तारकानख
160
ॐ तारकानखाय नमः।
Om Tarakanakhaya Namah।
जो ध्रुव आदि तारों को नख के रूप में धारण करने वाले हैं
भ्रूमध्यसंस्थितकर
161
ॐ भ्रूमध्यसंस्थितकराय नमः।
Om Bhrumadhyasamsthitakaraya Namah।
जो भौंहों के मध्यभाग में स्थित शुण्डदण्ड वाले हैं
ब्रह्मविद्यामदोत्कट
162
ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः।
Om Brahmavidyamadotkataya Namah।
जो प्रचुर बुद्धि वाले हैं
व्योमनाभ
163
ॐ व्योमनाभये नमः।
Om Vyomanabhaye Namah।
जो आकाश रूपी नाभि वाले हैं
श्रीहृदय
164
ॐ श्रीहृदयाय नमः।
Om Shrihridayaya Namah।
जिनका हृदय ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद में संलग्न है
मेरुपृष्ठ
165
ॐ मेरुपृष्ठाय नमः।
Om Meruprishthaya Namah।
जो सुमेरु पर्वत रूपी पृष्ठभाग वाले हैं
अर्णवोदर
166
ॐ अर्णवोदराय नमः।
Om Arnavodaraya Namah।
सारे समुद्र जिनके उदर के जल हैं
कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुष
167
ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुषाय नमः।
Om Kukshisthayakshagandharvarakshahkinnaramanushaya Namah।
यक्ष, गन्धर्व, राक्षस, किन्नर और मनुष्य जिनकी नाड़ियाँ हैं
पृथ्विकटि
168
ॐ पृथ्विकटये नमः।
Om Prithvikataye Namah।
पृथ्वी जिनका कटिभाग अर्थात् कमर है
सृष्टिलिङ्ग
169
ॐ सृष्टिलिङ्गाय नमः।
Om Srishtilingaya Namah।
मैथुनी सृष्टि जिनकी जननेन्द्रिय के स्थान में है
शैलोरु
170
ॐ शैलोरवे नमः।
Om Shailorave Namah।
पर्वत जिनकी जाँघें हैं
दस्रजानुक
171
ॐ दस्रजानुकाय नमः।
Om Dasrajanukaya Namah।
दोनों अश्विनीकुमार जिनके दो घुटने हैं
पातालजङ्घ
172
ॐ पातालजङ्घाय नमः।
Om Patalajanghaya Namah।
सातों पाताल जिनकी पिंडलियों में हैं
मुनिपात्
173
ॐ मुनिपदे नमः।
Om Munipade Namah।
चरणों की सेवा में संलग्न मुनि ही जिनके चरण हैं
कालाङ्गुष्ठ
174
ॐ कालाङ्गुष्ठाय नमः।
Om Kalangushthaya Namah।
यम जिनके पैर का अँगूठा है
त्रयीतनु
175
ॐ त्रयीतनवे नमः।
Om Trayitanave Namah।
तीनों वेद जिनकी शेष देह के रूप में हैं
ज्योतिर्मण्डललाङ्गूल
176
ॐ ज्योतिर्मण्डललाङ्गूलाय नमः।
Om Jyotirmandalalangulaya Namah।
शिशुमार नामक तारों का समूह जिनकी पूँछ है
हृदयालाननिश्चल
177
ॐ हृदयालान-निश्चलाय नमः।
Om Hridayalana-nishchalaya Namah।
जो भक्तों के हृदयरूपी खम्भे में बधकर रहने वाले हैं
हृत्पद्मकर्णिकाशालिवियत्केलिसरोवर
178
ॐ हृत्पद्मकर्णिकाशालिवियत्केलिसरोवराय नमः।
Om Hritpadmakarnikashaliviyatkelisarovaraya Namah।
जो भक्तों के हृदयस्थल में क्रीडा का आनन्द लेने वाले हैं
सद्भक्तध्याननिगड
179
ॐ सद्भक्तध्याननिगडाय नमः।
Om Sadbhaktadhyananigadaya Namah।
जो श्रेष्ठ भक्तों के ध्यान रूपी बन्धन में बँध जाने वाले हैं
पूजावारिनिवारित
180
ॐ पूजावारिनिवारिताय नमः।
Om Pujavarinivaritaya Namah।
जो भक्तों की प्रार्थना से बँधे रहने वाले हैं
प्रतापी
181
ॐ प्रतापिने नमः।
Om Pratapine Namah।
जो अत्यन्त पराक्रमी हैं
कश्यपसुत
182
ॐ कश्यपसुताय नमः।
Om Kashyapasutaya Namah।
जो ऋषि कश्यप के पुत्र हैं
गणप
183
ॐ गणपाय नमः।
Om Ganapaya Namah।
जो होता, अध्वर्यु आदि गणों के रक्षक हैं
विष्टपी
184
ॐ विष्टपिने नमः।
Om Vishtapine Namah।
जो सभी भुवनों के आधार हैं
बली
185
ॐ बलिने नमः।
Om Baline Namah।
जो शक्तिशाली एवं बलिष्ठ हैं
यशस्वी
186
ॐ यशस्विने नमः।
Om Yashasvine Namah।
जो महान एवं कीर्तिमान हैं
धार्मिक
187
ॐ धार्मिकाय नमः।
Om Dharmikaya Namah।
जो धर्म-कर्म को प्रोत्साहित करने वाले हैं
स्वोजस्
188
ॐ स्वोजसे नमः।
Om Svojase Namah।
जो ओजपूर्ण व्यक्तित्व वाले हैं
प्रथम
189
ॐ प्रथमाय नमः।
Om Prathamaya Namah।
जो सभी शुभकार्यों में प्रथमपूज्य हैं
प्रथमेश्वर
190
ॐ प्रथमेश्वराय नमः।
Om Prathameshvaraya Namah।
जो त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश के स्वामी हैं
चिन्तामणिद्वीपपति
191
ॐ चिन्तामणिद्वीपपतये नमः।
Om Chintamanidvipapataye Namah।
जो चिन्तामणि नामक द्वीप के अधिपति हैं
कल्पद्रुमवनालय
192
ॐ कल्पद्रुमवनालयाय नमः।
Om Kalpadrumavanalayaya Namah।
जो कल्पवृक्षों के वन में निवास करने वाले हैं
रत्नमण्डपमध्यस्थ
193
ॐ रत्नमण्डपमध्यस्थाय नमः।
Om Ratnamandapamadhyasthaya Namah।
जो रत्नों से सुसज्जित मण्डप में विराजमान हैं
रत्नसिंहासनाश्रय
194
ॐ रत्नसिंहासनाश्रयाय नमः।
Om Ratnasimhasanashrayaya Namah।
जो रत्नसिंहासन पर आरूढ़ रहने वाले हैं
तीव्राशिरोद्धृतपद
195
ॐ तीव्राशिरोद्धृतपदाय नमः।
Om Tivrashiroddhritapadaya Namah।
जो तीव्रा नामक पीठ-शक्ति पर चरण रखने वाले हैं
ज्वालिनीमौलिलालित
196
ॐ ज्वालिनीमौलिलालिताय नमः।
Om Jvalinimaulilalitaya Namah।
ज्वालिनी नामक शक्ति जिनके चरणों का स्पर्श करके पूजन करती है
नन्दानन्दितपीठश्री
197
ॐ नन्दानन्दितपीठश्रिये नमः।
Om Nandananditapithashriye Namah।
जो नन्दा नामक शक्ति पर अनुग्रह करने वाले हैं
भोगदाभूषितासन
198
ॐ भोगदाभूषितासनाय नमः।
Om Bhogadabhushitasanaya Namah।
जो भोगदा नामक सिंहासन पर विराजमान हैं
सकामदायिनीपीठ
199
ॐ सकामदायिनीपीठाय नमः।
Om Sakamadayinipithaya Namah।
जो कामदायिनी पीठ पर विराजमान हैं
स्फुरदुग्रासनाश्रय
200
ॐ स्फुरदुग्रासनाश्रयाय नमः।
Om Sphuradugrasanashrayaya Namah।
जो उग्र आसन पर विराजने वाले हैं
तेजोवतीशिरोरत्न
201
ॐ तेजोवतीशिरोरत्नाय नमः।
Om Tejovatishiroratnaya Namah।
जो तेजोवती नामक शक्ति को रत्न के रूप धारण किये हुये हैं
सत्यानित्यावतंसित
202
ॐ सत्यानित्यावतंसिताय नमः।
Om Satyanityavatamsitaya Namah।
सत्या नामक शक्ति जिन्हें नित्य अपने मस्तक का आभूषण बनाये रखती है
सविघ्ननाशिनीपीठ
203
ॐ सविघ्ननाशिनीपीठाय नमः।
Om Savighnanashinipithaya Namah।
जो विघ्ननाशिनी नामक शक्ति पर विराजित हैं
सर्वशक्त्यम्बुजाश्रय
204
ॐ सर्वशक्त्यम्बुजाश्रयाय नमः।
Om Sarvashaktyambujashrayaya Namah।
जो सम्पूर्ण शक्तियों से युक्त कमल के आसन पर विराजमान हैं
लिपिपद्मासनाधार
205
ॐ लिपिपद्मासनाधाराय नमः।
Om Lipipadmasanadharaya Namah।
जो अक्षरों से सुसज्जित कमल पर सुशोभित होने वाले हैं
वह्निधामत्रयाश्रय
206
ॐ वह्निधामत्रयाश्रयाय नमः।
Om Vahnidhamatrayashrayaya Namah।
जो कमल पर बैठे सूर्य, चन्द्र और अग्नि नामक तीनों तेजोमण्डल में विद्यमान हैं
उन्नतप्रपद
207
ॐ उन्नतप्रपदाय नमः।
Om Unnataprapadaya Namah।
जिनके चरण का अग्रभाग कछुए के पीठ के समान ऊँचा है
गूढगुल्फ
208
ॐ गूढगुल्फाय नमः।
Om Gudhagulphaya Namah।
जिनके टखने मांस से छुपे हुये हैं
संवृतपार्ष्णिक
209
ॐ संवृतपार्ष्णिकाय नमः।
Om Samvritaparshnikaya Namah।
जिनके पैरों के तलवे अर्धवृत्ताकार हैं
पीनजङ्घ
210
ॐ पीनजङ्घाय नमः।
Om Pinajanghaya Namah।
जिनके टखने के नीचे का भाग मांसल है
श्लिष्टजानु
211
ॐ श्लिष्टजानवे नमः।
Om Shlishtajanave Namah।
जिनके दोनों घुटने स्पष्ट नहीं दिखायी देते हैं
स्थूलोरु
212
ॐ स्थूलोरवे नमः।
Om Sthulorave Namah।
जो मोटी जङ्घा वाले हैं
प्रोन्नमत्कटि
213
ॐ प्रोन्नमत्कटये नमः।
Om Pronnamatkataye Namah।
जो ऊँचे कटिभाग अर्थात् कमर वाले हैं
निम्ननाभि
214
ॐ निम्ननाभये नमः।
Om Nimnanabhaye Namah।
जो अत्यन्त गहरी नाभि वाले हैं
स्थूलकुक्षि
215
ॐ स्थूलकुक्षये नमः।
Om Sthulakukshaye Namah।
जो विशाल उदर वाले हैं
पीनवक्षा
216
ॐ पीनवक्षसे नमः।
Om Pinavakshase Namah।
जो सुदृढ़ वक्षस्थल वाले हैं
बृहद्भुज
217
ॐ बृहद्भुजाय नमः।
Om Brihadbhujaya Namah।
जो बड़ी भुजाओं वाले हैं
पीनस्कन्ध
218
ॐ पीनस्कन्धाय नमः।
Om Pinaskandhaya Namah।
जो बलिष्ठ कन्धों वाले हैं
कम्बुकण्ठ
219
ॐ कम्बुकण्ठाय नमः।
Om Kambukanthaya Namah।
जो दक्षिणावर्ती शंख के समान गर्दन वाले हैं
लम्बोष्ठ
220
ॐ लम्बोष्ठाय नमः।
Om Lamboshthaya Namah।
जो लटकते हुये ओठों वाले हैं
लम्बनासिक
221
ॐ लम्बनासिकाय नमः।
Om Lambanasikaya Namah।
जो लम्बी नासिका (सूँड) वाले हैं
भग्नवामरद
222
ॐ भग्नवामरदाय नमः।
Om Bhagnavamaradaya Namah।
जिनके बायें दाँत का अग्रभाग टूट हुआ है
तुङ्गसव्यदन्त
223
ॐ तुङ्गसव्यदन्ताय नमः।
Om Tungasavyadantaya Namah।
जिनका दाहिना दाँत ऊँचा है
महाहनु
224
ॐ महाहनवे नमः।
Om Mahahanave Namah।
जिनकी ठोड़ी अत्यधिक विशाल है
ह्रस्वनेत्रत्रय
225
ॐ ह्रस्वनेत्रत्रयाय नमः।
Om Hrasvanetratrayaya Namah।
जो छोटे-छोटे तीन नेत्रों वाले हैं
शूर्पकर्ण
226
ॐ शूर्पकर्णाय नमः।
Om Shurpakarnaya Namah।
जो सूप के समान विशाल कानों वाले हैं
निबिडमस्तक
227
ॐ निबिडमस्तकाय नमः।
Om Nibidamastakaya Namah।
जो कठोर मस्तक वाले हैं
स्तबकाकारकुम्भाग्र
228
ॐ स्तबकाकारकुम्भाग्राय नमः।
Om Stabakakarakumbhagraya Namah।
जिनके मस्तक का अग्रभाग पुष्पों के गुच्छे के समान है
रत्नमौलि
229
ॐ रत्नमौलये नमः।
Om Ratnamaulaye Namah।
जो रत्न जड़ित मुकुट धारण करने वाले हैं
निरङ्कुश
230
ॐ निरङ्कुशाय नमः।
Om Nirankushaya Namah।
जो परम स्वतन्त्र हैं
सर्पहारकटीसूत्र
231
ॐ सर्पहारकटीसूत्राय नमः।
Om Sarpaharakatisutraya Namah।
जो सर्पाकार हार और कटिसूत्र धारण करने वाले हैं
सर्पयज्ञोपवीतवान्
232
ॐ सर्पयज्ञोपवीतवते नमः।
Om Sarpayajnopavitavate Namah।
जो सर्पाकार यज्ञोपवीत धारण करने वाले हैं
सर्पकोटीरकटक
233
ॐ सर्पकोटीरकटकाय नमः।
Om Sarpakotirakatakaya Namah।
जो सर्प को मुकुट व कँगन के रूप में धारण करने वाले हैं
सर्पग्रैवेयकाङ्गद
234
ॐ सर्पग्रैवेयकाङ्गदाय नमः।
Om Sarpagraiveyakangadaya Namah।
जो सर्प को हार एवं बाजूबन्द के रूप में धारण करने वाले हैं
सर्पकक्ष्योदराबन्ध
235
ॐ सर्पकक्ष्योदराबन्धाय नमः।
Om Sarpakakshyodarabandhaya Namah।
जो सर्प को करधनी के रूप में धारण करने वाले हैं
सर्पराजोत्तरीयक
236
ॐ सर्पराजोत्तरीयकाय नमः।
Om Sarparajottariyakaya Namah।
जो नागराज वासुकि को उत्तरीय वस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं
रक्त
237
ॐ रक्ताय नमः।
Om Raktaya Namah।
जो रक्तवर्ण वाले हैं
रक्ताम्बरधर
238
ॐ रक्ताम्बरधराय नमः।
Om Raktambaradharaya Namah।
जो लाल रंग के वस्त्र धारण करने वाले हैं
रक्तमाल्यविभूषण
239
ॐ रक्तमाल्यविभूषणाय नमः।
Om Raktamalyavibhushanaya Namah।
जो लाल रंग की पुष्पों की माला एवं आभूषण धारण करने वाले हैं
रक्तेक्षण
240
ॐ रक्तेक्षणाय नमः।
Om Raktekshanaya Namah।
जो लाल नेत्रों वाले हैं
रक्तकर
241
ॐ रक्तकराय नमः।
Om Raktakaraya Namah।
जो लाल हाथों वाले हैं
रक्तताल्वोष्ठपल्लव
242
ॐ रक्तताल्वोष्ठपल्लवाय नमः।
Om Raktatalvoshthapallavaya Namah।
जो लाल गालों एवं ओठों वाले हैं
श्वेत
243
ॐ श्वेताय नमः।
Om Shvetaya Namah।
जो श्वेतवर्ण वाले हैं
श्वेताम्बरधर
244
ॐ श्वेताम्बरधराय नमः।
Om Shvetambaradharaya Namah।
जो श्वेत वस्त्र धारण करने वाले हैं
श्वेतमाल्यविभूषण
245
ॐ श्वेतमाल्यविभूषणाय नमः।
Om Shvetamalyavibhushanaya Namah।
जो श्वेत माला एवं श्वेत आभूषणों से सुशोभित हैं
श्वेतातपत्ररुचिर
246
ॐ श्वेतातपत्ररुचिराय नमः।
Om Shvetatapatraruchiraya Namah।
जो श्वेत छत्र के नीचे विराजमान हैं
श्वेतचामरवीजित
247
ॐ श्वेतचामरवीजिताय नमः।
Om Shvetachamaravijitaya Namah।
जिनकी श्वेत चँवर डुलाकर सेवा की जाती है
सर्वावयवसम्पूर्णसर्वलक्षणलक्षित
248
ॐ सर्वावयवसम्पूर्णसर्वलक्षणलक्षिताय नमः।
Om Sarvavayavasampurnasarvalakshanalakshitaya Namah।
जो सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार शुभ लक्षणों से पूर्ण हैं
सर्वाभरणशोभाढ्य
249
ॐ सर्वाभरणशोभाढ्याय नमः।
Om Sarvabharanashobhadhyaya Namah।
जो सम्पूर्ण आभूषणों की शोभा से सम्पन्न हैं
सर्वशोभासमन्वित
250
ॐ सर्वशोभासमन्विताय नमः।
Om Sarvashobhasamanvitaya Namah।
जो लावण्य नामक सम्पूर्ण अंगकान्ति से शोभायमान हैं
सर्वमङ्गलमाङ्गल्य
251
ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्याय नमः।
Om Sarvamangalamangalyaya Namah।
जो समस्त मंगलों के लिये मंगलकारी हैं
सर्वकारणकारण
252
ॐ सर्वकारणकारणाय नमः।
Om Sarvakaranakaranaya Namah।
जो समस्त कारणों के कारण हैं
सर्वदैककर
253
ॐ सर्वदैककराय नमः।
Om Sarvadaikakaraya Namah।
जो उदार हस्त वाले हैं
शार्ङ्गी
254
ॐ शार्ङ्गिणे नमः।
Om Sharngine Namah।
जो शार्ङ्गी धनुष धारण करने वाले हैं
बीजापूरी
255
ॐ बीजापूरिणे नमः।
Om Bijapurine Namah।
जो हाथ में अनार धारण करने वाले हैं
गदाधर
256
ॐ गदाधराय नमः।
Om Gadadharaya Namah।
जो गदाधारी हैं
इक्षुचापधर
257
ॐ इक्षुचापधराय नमः।
Om Ikshuchapadharaya Namah।
जो गन्ने का धनुष धारण करने वाले हैं
शूली
258
ॐ शूलिने नमः।
Om Shuline Namah।
जो त्रिशूल धारण करने वाले हैं
चक्रपाणि
259
ॐ चक्रपाणये नमः।
Om Chakrapanaye Namah।
जो हाथ में चक्र धारण करने वाले हैं
सरोजभृत्
260
ॐ सरोजभृते नमः।
Om Sarojabhrite Namah।
जो हाथ में कमल पुष्प धारण करने वाले हैं
पाशी
261
ॐ पाशिने नमः।
Om Pashine Namah।
जो हाथ में पाश धारण करने वाले हैं
धृतोत्पल
262
ॐ धृतोत्पलाय नमः।
Om Dhritotpalaya Namah।
जो हाथ में उत्पल अर्थात् नील कमल पुष्प धारण करने वाले हैं
शालीमञ्जरीभृत्
263
ॐ शालीमञ्जरीभृते नमः।
Om Shalimanjaribhrite Namah।
जो हाथ में धान की बाली धारण करने वाले हैं
स्वदन्तभृत्
264
ॐ स्वदन्तभृते नमः।
Om Svadantabhrite Namah।
जो हाथ में स्वयं का खण्डित दाँत धारण करने वाले हैं
कल्पवल्लीधर
265
ॐ कल्पवल्लीधराय नमः।
Om Kalpavallidharaya Namah।
जो हाथ में कल्पलता रखने वाले हैं
विश्वाभयदैककर
266
ॐ विश्वाभयदैककराय नमः।
Om Vishvabhayadaikakaraya Namah।
जो सम्पूर्ण विश्व में भक्तों का भय नष्ट करने वाले हैं
वशी
267
ॐ वशिने नमः।
Om Vashine Namah।
जो सम्पूर्ण विश्व को वश में रखने वाले हैं
अक्षमालाधर
268
ॐ अक्षमालाधराय नमः।
Om Akshamaladharaya Namah।
जो अक्षमाला धारण करने वाले हैं
ज्ञानमुद्रावान्
269
ॐ ज्ञानमुद्रावते नमः।
Om Jnanamudravate Namah।
जो ज्ञान के सूचक हैं
मुद्गरायुध
270
ॐ मुद्गरायुधाय नमः।
Om Mudgarayudhaya Namah।
जो मुद्गर को शस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं
पूर्णपात्री
271
ॐ पूर्णपात्रिणे नमः।
Om Purnapatrine Namah।
जो अमृत से भरे पात्र को धारण करने वाले हैं
कम्बुधर
272
ॐ कम्बुधराय नमः।
Om Kambudharaya Namah।
जो शंख धारण करने वाले हैं
विधृतालिसमुद्गक
273
ॐ विधृतालिसमुद्गकाय नमः।
Om Vidhritalisamudgakaya Namah।
जो जिनके गालों पर बहता शहद भ्रमरों को आकर्षित कर रहा है
मातुलिङ्गधर
274
ॐ मातुलिङ्गधराय नमः।
Om Matulingadharaya Namah।
जिनके हाथ में मातुलिङ्ग फल अर्थात् बिजौरा नींबू है
चूतकलिकाभृत्
275
ॐ चूतकलिकाभृते नमः।
Om Chutakalikabhrite Namah।
जो आम के पल्लव धारण करने वाले हैं
कुठारवान्
276
ॐ कुठारवते नमः।
Om Kutharavate Namah।
जो कुठार धारण करने वाले हैं
पुष्करस्थस्वर्णघटीपूर्णरत्नाभिवर्षक
277
ॐ पुष्करस्थस्वर्णघटीपूर्णरत्नाभिवर्षकाय नमः।
Om Pushkarasthasvarnaghatipurnaratnabhivarshakaya Namah।
जिनके हाथ में रत्नों के स्वर्ण पात्र हैं
भारतीसुन्दरीनाथ
278
ॐ भारतीसुन्दरीनाथाय नमः।
Om Bharatisundarinathaya Namah।
जो देवी सरस्वती गौरी एवं लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं
विनायकरतिप्रिय
279
ॐ विनायकरतिप्रियाय नमः।
Om Vinayakaratipriyaya Namah।
जो अपने गणों के साथ खेलने में रुचि रखने वाले हैं
महालक्ष्मीप्रियतम
280
ॐ महालक्ष्मीप्रियतमाय नमः।
Om Mahalakshmipriyatamaya Namah।
जो महालक्ष्मी के प्रिय हैं
सिद्धलक्ष्मीमनोरम
281
ॐ सिद्धलक्ष्मीमनोरमाय नमः।
Om Siddhalakshmimanoramaya Namah।
जो सिद्धलक्ष्मी को मोहित करने वाले हैं
रमारमेशपूर्वाङ्ग
282
ॐ रमारमेशपूर्वाङ्गाय नमः।
Om Ramarameshapurvangaya Namah।
जिनके सम्मुख श्री लक्ष्मी तथा विष्णु जी विराजमान हैं
दक्षिणोमामहेश्वर
283
ॐ दक्षिणोमामहेश्वराय नमः।
Om Dakshinomamaheshvaraya Namah।
जो देवी उमा और महेश्वर को अपने दक्षिणभाग में स्थापित करने वाले हैं
महीवराहवामाङ्ग
284
ॐ महीवराहवामाङ्गाय नमः।
Om Mahivarahavamangaya Namah।
जो श्री भूमिदेवी एवं वराह देव को अपने बाये भाग या उत्तर दिशा में रखने वाले हैं
रतिकन्दर्पपश्चिम
285
ॐ रतिकन्दर्पपश्चिमाय नमः।
Om Ratikandarpapashchimaya Namah।
जो रति और कामदेव को अपने पीछे या पश्चिम दिशा में रखने वाले हैं
आमोदप्रमोदजनन
286
ॐ आमोदमोदजननाय नमः।
Om Amodamodajananaya Namah।
जो आमोद अर्थात् हर्ष को भी हर्ष देने वाले हैं
सप्रमोदप्रमोदन
287
ॐ सप्रमोदप्रमोदनाय नमः।
Om Sapramodapramodanaya Namah।
जो प्रमोद अर्थात् सुख को भी सुख देने वाले हैं
समेधितसमृद्धिश्री
288
ॐ समेधितसमृद्धिश्रिये नमः।
Om Samedhitasamriddhishriye Namah।
जो देवी समृद्धि को समृद्धि प्रदान करने वाले हैं
ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तक
289
ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः।
Om Riddhisiddhipravartakaya Namah।
जो ऋद्धि देवी में स्थित सिद्धि के प्रवर्तक हैं
दत्तसौमुख्यसुमुख
290
ॐ दत्तसौमुख्यसुमुखाय नमः।
Om Dattasaumukhyasumukhaya Namah।
जो सुमुख को सुमुखता प्रदान करने वाले हैं
कान्तिकन्दलिताश्रय
291
ॐ कान्तिकन्दलिताश्रयाय नमः।
Om Kantikandalitashrayaya Namah।
जो कान्ति देवी के आश्रय स्थान को अंकुरित करने वाले हैं
मदनावत्याश्रिताङ्घ्रि
292
ॐ मदनावत्याश्रिताङ्घ्रये नमः।
Om Madanavatyashritanghraye Namah।
जो मदनावती देवी द्वारा पूजे जाने वाले हैं
कृत्तदौर्मुख्यदुर्मुख
293
ॐ कृत्तदौर्मुख्यदुर्मुखाय नमः।
Om Krittadaurmukhyadurmukhaya Namah।
जो दुर्मुख की दुर्मुखता को काट फेंकने वाले हैं
विघ्नसम्पल्लवोपघ्न
294
ॐ विघ्न-सम्पल्लवोपघ्नाय नमः।
Om Vighna-sampallavopaghnaya Namah।
जो विघ्नों के निवारक हैं
सेवोन्निद्रमदद्रव
295
ॐ सेवोन्निद्र-मदद्रवाय नमः।
Om Sevonnidra-madadravaya Namah।
जो देवी मदद्रवा द्वारा पूजे जाने वाले हैं
विघ्नकृन्निघ्नचरण
296
ॐ विघ्नकृन्निघ्नचरणाय नमः।
Om Vighnakrinnighnacharanaya Namah।
विघ्नकृत भक्तिभाव से जिनके चरणों को अपने अधीन करके रखा है
द्राविणीशक्तिसत्कृत
297
ॐ द्राविणीशक्तिसत्कृताय नमः।
Om Dravinishaktisatkritaya Namah।
जो द्राविणी नामक शक्ति द्वारा सम्मानित हैं
तीव्राप्रसन्ननयन
298
ॐ तीव्राप्रसन्ननयनाय नमः।
Om Tivraprasannanayanaya Namah।
जो तीव्रा नामक शक्ति के प्रति अत्यन्त प्रसन्न रहते हैं
ज्वालिनीपालितैकदृक्
299
ॐ ज्वालिनीपालितैकदृशे नमः।
Om Jvalinipalitaikadrishe Namah।
जिनकी मुख्य दृष्टि ज्वालिनी-शक्ति के संरक्षण में संलग्न है
मोहिनीमोहन
300
ॐ मोहिनीमोहनाय नमः।
Om Mohinimohanaya Namah।
जो मोहिनी शक्ति को भी मोहित करने वाले हैं
भोगदायिनीकान्तिमण्डित
301
ॐ भोगदायिनीकान्तिमण्डिताय नमः।
Om Bhogadayinikantimanditaya Namah।
जो भोगदायिनी शक्ति की कान्ति से मण्डित चरणपादुका वाले हैं
कामिनीकान्तवक्त्रश्री
302
ॐ कामिनीकान्तवक्त्रश्रिये नमः।
Om Kaminikantavaktrashriye Namah।
जो कामदायिनी नामक शक्ति के मुख की शोभा को बढ़ाने वाले हैं
अधिष्ठितवसुन्धर
303
ॐ अधिष्ठितवसुन्धराय नमः।
Om Adhishthitavasundharaya Namah।
जो देवी वसुन्धरा के आधार हैं
वसुन्धरामदोन्नद्धमहाशङ्खनिधिप्रभु
304
ॐ वसुन्धरामदोन्नद्धमहाशङ्खनिधिप्रभवे नमः।
Om Vasundharamadonnaddhamahashankhanidhiprabhave Namah।
जो पत्नी वसुन्धरा के साथ प्रसन्न रहने वाले महाशंख निधि के स्वामी हैं
नमद्वसुमतीमौलिमहापद्मनिधिप्रभु
305
ॐ नमद्वसुमतीमौलिमहापद्मनिधिप्रभवे नमः।
Om Namadvasumatimaulimahapadmanidhiprabhave Namah।
जो वसुमती एवं महापद्म द्वारा पूजनीय हैं
सर्वसद्गुरुसंसेव्य
306
ॐ सर्वसद्गुरुसंसेव्याय नमः।
Om Sarvasadgurusamsevyaya Namah।
जो समस्त गुरुओं द्वारा पूजे जाने वाले हैं
शोचिष्केशहृदाश्रय
307
ॐ शोचिष्केशहृदाश्रयाय नमः।
Om Shochishkeshahridashrayaya Namah।
जो गार्हपत्य आदि पाँच अग्नियों के हृदय में ध्येयरूप से विराजमान हैं
ईशानमूर्द्धा
308
ॐ ईशानमूर्ध्ने नमः।
Om Ishanamurdhne Namah।
जो भगवान शंकर के माननीय हैं
देवेन्द्रशिखा
309
ॐ देवेन्द्रशिखायै नमः।
Om Devendrashikhayai Namah।
जो देवराज इन्द्र के आराध्य हैं
पवननन्दन
310
ॐ पवननन्दनाय नमः।
Om Pavananandanaya Namah।
जो वायु को आनन्दित करने वाले हैं
अग्रप्रत्यग्रनयन
311
ॐ अग्रप्रत्यग्रनयनाय नमः।
Om Agrapratyagranayanaya Namah।
जो सूक्ष्म एवं नूतन दृष्टि वाले हैं
दिव्यास्त्र प्रयोगवित्
312
ॐ दिव्यास्त्राणां प्रयोगविदे नमः।
Om Divyastranam Prayogavide Namah।
जो दिव्य अस्त्रों के प्रयोग को जानने वाले हैं
ऐरावतादिसर्वाशावारणावरणप्रिय
313
ॐ ऐरावतादिसर्वाशावारणावरणप्रियाय नमः।
Om Airavatadisarvashavaranavaranapriyaya Namah।
जिन्हें खेल-खेल में ऐरावत आदि हाथियों को ढँक लेना प्रिय लगता है
वज्राद्यस्त्रपरिवार
314
ॐ वज्राद्यस्त्रपरिवाराय नमः।
Om Vajradyastraparivaraya Namah।
जो वज्र आदि अस्त्रों तथा इन्द्र आदि दिक्पालों से आवृत हैं
गणचण्डसमाश्रय
315
ॐ गणचण्डसमाश्रयाय नमः।
Om Ganachandasamashrayaya Namah।
जो चण्ड आदि गणों को बल प्रदान करने वाले हैं
जयाजयापरीवार
316
ॐ जयाजयापरीवाराय नमः।
Om Jayajayaparivaraya Namah।
जो जया और अजया नामक पीठशक्तियों से घिरे हुए हैं
विजयाविजयावह
317
ॐ विजयाविजयावहाय नमः।
Om Vijayavijayavahaya Namah।
जो विजया नामक पीठशक्ति को विजय प्रदान करने वाले हैं
अजितार्चितपादाब्ज
318
ॐ अजितार्चितपादाब्जाय नमः।
Om Ajitarchitapadabjaya Namah।
जो जिनके चरण कमल अपराजिता शक्ति द्वारा पूजे जाते हैं
नित्यानित्यावतंसित
319
ॐ नित्यानित्यावतंसिताय नमः।
Om Nityanityavatamsitaya Namah।
नित्या नाम की शक्ति नित्य जिनके चरणकमलों की सेवा में उपस्थित है
विलासिनीकृतोल्लास
320
ॐ विलासिनीकृतोल्लासाय नमः।
Om Vilasinikritollasaya Namah।
जो विलासिनी की सेवा से प्रसन्न होने वाले हैं
शौण्डीसौन्दर्यमण्डित
321
ॐ शौण्डीसौन्दर्यमण्डिताय नमः।
Om Shaundisaundaryamanditaya Namah।
जो शौण्डी शक्ति के सौन्दर्य में वृद्धि करने वाले हैं
अनन्तानन्तसुखद
322
ॐ अनन्तानन्तसुखदाय नमः।
Om Anantanantasukhadaya Namah।
जो अनन्ता नामक शक्ति को अनन्त सुख प्रदान करने वाले हैं
सुमङ्गलसुमङ्गल
323
ॐ सुमङ्गलसुमङ्गलाय नमः।
Om Sumangalasumangalaya Namah।
जिनके कारण सुमंगल नामक पीठ भी मंगलयुक्त हो जाता है
इच्छाशक्तिज्ञानशक्तिक्रियाशक्तिनिषेवित
324
ॐ इच्छाशक्तिज्ञानशक्तिक्रियाशक्तिनिषेविताय नमः।
Om Ichchhashaktijnanashaktikriyashaktinishevitaya Namah।
जो इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, एवं क्रियाशक्ति द्वारा सेवित हैं
सुभगासंश्रितपद
325
ॐ सुभगासंश्रितपदाय नमः।
Om Subhagasamshritapadaya Namah।
जो सुभगा देवी के द्वारा सेवित चरणकमल वाले हैं
ललिताललिताश्रय
326
ॐ ललिताललिताश्रयाय नमः।
Om Lalitalalitashrayaya Namah।
जो ललिता देवी के मनोरम आश्रय हैं
कामिनीकामन
327
ॐ कामिनीकामनाय नमः।
Om Kaminikamanaya Namah।
जो कामकला नामक शक्ति की कामना रखने वाले हैं
काममालिनीकेलिलालित
328
ॐ काममालिनीकेलिलालिताय नमः।
Om Kamamalinikelilalitaya Namah।
जो काममालिनी नामक शक्ति की क्रीडाओं द्वारा प्रसन्न किये गये हैं
सरस्वत्याश्रय
329
ॐ सरस्वत्याश्रयाय नमः।
Om Sarasvatyashrayaya Namah।
जो देवी सरस्वती के आश्रय हैं
गौरीनन्दन
330
ॐ गौरीनन्दनाय नमः।
Om Gaurinandanaya Namah।
जो माता पार्वती को आनन्द प्रदान करने वाले हैं
श्रीनिकेतन
331
ॐ श्रीनिकेतनाय नमः।
Om Shriniketanaya Namah।
जो देवी लक्ष्मी के निवासस्थान हैं
गुरुगुप्तपद
332
ॐ गुरुगुप्तपदाय नमः।
Om Guruguptapadaya Namah।
जिनके चरण गुरुओं द्वारा आलिंगन के कारण ढँके हुए हैं
वाचासिद्ध
333
ॐ वाचासिद्धाय नमः।
Om Vachasiddhaya Namah।
जिनकी भक्ति से वाक्-सिद्धि प्राप्त होती है
वागीश्वरीपति
334
ॐ वागीश्वरीपतये नमः।
Om Vagishvaripataye Namah।
जो वागीश्वरी अर्थात् नकुली नामक शक्ति के प्रियतम हैं
नलिनीकामुक
335
ॐ नलिनीकामुकाय नमः।
Om Nalinikamukaya Namah।
जो नलिनी अर्थात् सुरापगा नामक शक्ति के प्रियतम हैं
वामाराम
336
ॐ वामारामाय नमः।
Om Vamaramaya Namah।
वामा नामक शक्ति जिनकी प्रिया हैं
ज्येष्ठामनोरम
337
ॐ ज्येष्ठामनोरमाय नमः।
Om Jyeshthamanoramaya Namah।
ज्येष्ठा नामक शक्ति जिनकी मनोरमा हैं
रौद्रीमुद्रितपादाब्ज
338
ॐ रौद्रीमुद्रितपादाब्जाय नमः।
Om Raudrimudritapadabjaya Namah।
रौद्री नामक शक्ति जिनके चरणों को अपनी अंजलि में बाँधे रखती हैं
हुंबीज
339
ॐ हुंबीजाय नमः।
Om Humbijaya Namah।
हुम् जिनका बीज मन्त्र है
तुङ्गशक्तिक
340
ॐ तुङ्गशक्तिकाय नमः।
Om Tungashaktikaya Namah।
जो अनन्त शक्ति वाले हैं
विश्वादिजननत्राण
341
ॐ विश्वादिजननत्राणाय नमः।
Om Vishvadijananatranaya Namah।
जो विश्व के आदिभूत हिरण्यगर्भ के जन्म और पालन के कारण हैं
स्वाहाशक्ति
342
ॐ स्वाहाशक्तये नमः।
Om Svahashaktaye Namah।
साक्षात् स्वाहा जिनकी शक्ति हैं
सकीलक
343
ॐ सकीलकाय नमः।
Om Sakilakaya Namah।
जो कीलक से युक्त हैं
अमृताब्धिकृतावास
344
ॐ अमृताब्धिकृतावासाय नमः।
Om Amritabdhikritavasaya Namah।
जो अमृत के सागर में निवास करने वाले हैं
मदघूर्णितलोचन
345
ॐ मदघूर्णितलोचनाय नमः।
Om Madaghurnitalochanaya Namah।
जो सजल नेत्रों वाले हैं
उच्छिष्टगण
346
ॐ उच्छिष्टगणाय नमः।
Om Uchchhishtaganaya Namah।
जो उत्कृष्ट और शिष्ट गणों के स्वामी हैं
उच्छिष्टगणेश
347
ॐ उच्छिष्टगणेशाय नमः।
Om Uchchhishtaganeshaya Namah।
जो सतत मोदक-भक्षण करने वाले हैं
गणनायक
348
ॐ गणनायकाय नमः।
Om Gananayakaya Namah।
जिनके गणों की गणना भक्तों द्वारा होती रहती है
सार्वकालिकसंसिद्धि
349
ॐ सार्वकालिकसंसिद्धये नमः।
Om Sarvakalikasamsiddhaye Namah।
जो सर्वदा सिद्धियों से युक्त रहते हैं
नित्यशैव
350
ॐ नित्यशैवाय नमः।
Om Nityashaivaya Namah।
जो निरन्तर शिव का ध्यान करने वाले हैं
दिगम्बर
351
ॐ दिगम्बराय नमः।
Om Digambaraya Namah।
जो समस्त दिशाओं को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं
अनपाय
352
ॐ अनपायाय नमः।
Om Anapayaya Namah।
जो अनन्त-अविनाशी हैं
अनन्तदृष्टि
353
ॐ अनन्तदृष्टये नमः।
Om Anantadrishtaye Namah।
जो असीम ज्ञानशक्ति से सम्पन्न हैं
अप्रमेय
354
ॐ अप्रमेयाय नमः।
Om Aprameyaya Namah।
जो वाणी, मन एवं ज्ञानेन्द्रियों से अगम्य होने के कारण प्रमाणातीत हैं
अजरामर
355
ॐ अजरामराय नमः।
Om Ajaramaraya Namah।
जो जरा और मृत्यु से रहित हैं
अनाविल
356
ॐ अनाविलाय नमः।
Om Anavilaya Namah।
जो अत्यन्त शुद्ध हैं
अप्रतिरथ
357
ॐ अप्रतिरथाय नमः।
Om Apratirathaya Namah।
जो अतुलनीय हैं
अच्युत
358
ॐ अच्युताय नमः।
Om Achyutaya Namah।
जो मर्यादा से कभी च्युत अर्थात् विचलित न होने वाले हैं
अमृत
359
ॐ अमृताय नमः।
Om Amritaya Namah।
जो अमृत के समान हैं
अक्षर
360
ॐ अक्षराय नमः।
Om Aksharaya Namah।
जो सर्वव्यापी हैं
अप्रतर्क्य
361
ॐ अप्रतर्क्याय नमः।
Om Apratarkyaya Namah।
जिन्हें शब्दों से परिभाषित न किया जा सके
अक्षय
362
ॐ अक्षयाय नमः।
Om Akshayaya Namah।
जो अजर-अमर हैं
अजय्य
363
ॐ अजय्याय नमः।
Om Ajayyaya Namah।
जो अजेय हैं
अनाधार
364
ॐ अनाधाराय नमः।
Om Anadharaya Namah।
जिन्हें किसी आधार की अवश्यकता नहीं है
अनामय
365
ॐ अनामयाय नमः।
Om Anamayaya Namah।
जो समस्त रोगों से मुक्त हैं
अमल
366
ॐ अमलाय नमः।
Om Amalaya Namah।
जो मलिनता से रहित हैं
अमोघसिद्धि
367
ॐ अमोघसिद्धये नमः।
Om Amoghasiddhaye Namah।
जो अचूक सिद्धि वाले हैं
अद्वैत
368
ॐ अद्वैताय नमः।
Om Advaitaya Namah।
जो स्वयं अद्वैत हैं
अघोर
369
ॐ अघोराय नमः।
Om Aghoraya Namah।
जो शिव-स्वरूप हैं
अप्रमितानन
370
ॐ अप्रमिताननाय नमः।
Om Apramitananaya Namah।
जो अनन्त मुख वाले हैं
अनाकार
371
ॐ अनाकाराय नमः।
Om Anakaraya Namah।
जो आकार रहित अर्थात् निराकार ब्रह्म हैं
अब्धिभूम्यग्निबलघ्न
372
ॐ अब्धिभूम्यग्निबलघ्नाय नमः।
Om Abdhibhumyagnibalaghnaya Namah।
जो पृथ्वी, समुद्र एवं अग्नि की शक्ति को नष्ट करने वाले हैं
अव्यक्तलक्षण
373
ॐ अव्यक्तलक्षणाय नमः।
Om Avyaktalakshanaya Namah।
जो सामान्य मानव की बुद्धि द्वारा अभिव्यक्त नहीं हो सकते
आधारपीठ
374
ॐ आधारपीठाय नमः।
Om Adharapithaya Namah।
जो पृथ्वी से लेकर शिवपर्यन्त छत्तीस आधारभूत तत्त्वों के भी आश्रय हैं
आधार
375
ॐ आधाराय नमः।
Om Adharaya Namah।
जो विष्णु तथा ब्रह्मा को भी धारण करने वाले हैं
आधाराधेयवर्जित
376
ॐ आधाराधेयवर्जिताय नमः।
Om Adharadheyavarjitaya Namah।
जो अद्वैत स्वरूप हैं
आखुकेतन
377
ॐ आखुकेतनाय नमः।
Om Akhuketanaya Namah।
जिनके ध्वज पर मूषक का चिन्ह अंकित है
आशापूरक
378
ॐ आशापूरकाय नमः।
Om Ashapurakaya Namah।
जो सबकी आशा पूर्ण करने वाले हैं
आखुमहारथ
379
ॐ आखुमहारथाय नमः।
Om Akhumaharathaya Namah।
जो मूषकरूपी महान् रथ अर्थात् वाहन से युक्त हैं
इक्षुसागरमध्यस्थ
380
ॐ इक्षुसागरमध्यस्थाय नमः।
Om Ikshusagaramadhyasthaya Namah।
जो गन्ने के रस के सागर के मध्य विरजमान हैं
इक्षुभक्षणलालस
381
ॐ इक्षुभक्षणलालसाय नमः।
Om Ikshubhakshanalalasaya Namah।
जिन्हें गन्ना का सेवन करना अत्यन्त प्रिय है
इक्षुचापातिरेकश्री
382
ॐ इक्षुचापातिरेकश्रिये नमः।
Om Ikshuchapatirekashriye Namah।
जो मन्मथ अर्थात् कामदेव से भी अधिक सुन्दर हैं
इक्षुचापनिषेवित
383
ॐ इक्षुचापनिषेविताय नमः।
Om Ikshuchapanishevitaya Namah।
कामदेव जिनकी पुजा करते हैं
इन्द्रगोपसमानश्री
384
ॐ इन्द्रगोपसमानश्रिये नमः।
Om Indragopasamanashriye Namah।
जो इन्द्रगोप नामक कीट के समान वर्ण वाले हैं
इन्द्रनीलसमद्युति
385
ॐ इन्द्रनीलसमद्युतये नमः।
Om Indranilasamadyutaye Namah।
जो नीलमणि के समान श्याम कान्ति वाले हैं
इन्दीवरदलश्याम
386
ॐ इन्दीवरदलश्यामाय नमः।
Om Indivaradalashyamaya Namah।
जो नीलकमल के समान श्याम वर्ण वाले हैं
इन्दुमण्डलनिर्मल
387
ॐ इन्दुमण्डलनिर्मलाय नमः।
Om Indumandalanirmalaya Namah।
जो चन्द्रमा के समान गौर कान्ति वाले हैं
इध्मप्रिय
388
ॐ इध्मप्रियाय नमः।
Om Idhmapriyaya Namah।
जिनको हवन की समिधा प्रिय है
इडाभाग
389
ॐ इडाभागाय नमः।
Om Idabhagaya Namah।
जो ऋत्विक्, यजमान आदि रूप में यज्ञ में भाग लेने वाले हैं
इराधाम
390
ॐ इराधाम्ने नमः।
Om Iradhamne Namah।
जिनके धाम में पृथ्वी निवास करती हैं
इन्दिराप्रिय
391
ॐ इन्दिराप्रियाय नमः।
Om Indirapriyaya Namah।
जो देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं
इक्ष्वाकुविघ्नविध्वंसी
392
ॐ इक्ष्वाकुविघ्नविध्वंसिने नमः।
Om Ikshvakuvighnavidhvamsine Namah।
जो राजा इक्ष्वाकु के विघ्न का नाश करने वाले हैं
इतिकर्तव्यतेप्सित
393
ॐ इतिकर्तव्यतेप्सिताय नमः।
Om Itikartavyatepsitaya Namah।
जो यजमान की मनोवांछा पूर्ण करने वाले हैं
ईशानमौलि
394
ॐ ईशानमौलये नमः।
Om Ishanamaulaye Namah।
जो देवों के देव हैं
ईशान
395
ॐ ईशानाय नमः।
Om Ishanaya Namah।
जो देवों में सर्वश्रेष्ठ हैं
ईशानसुत
396
ॐ ईशानसुताय नमः।
Om Ishanasutaya Namah।
जो भगवान शङ्कर के पुत्र हैं
ईतिहा
397
ॐ ईतिघ्ने नमः।
Om Itighne Namah।
जो फसल की समस्त प्रकार के रोगों एवं विपदाओं से रक्षा करने वाले हैं
ईषणात्रयकल्पान्त
398
ॐ ईषणात्रयकल्पान्ताय नमः।
Om Ishanatrayakalpantaya Namah।
जो भौतिक कामनाओं के प्रति वैराग्य उत्पन्न करने वाले हैं
ईहामात्रविवर्जित
399
ॐ ईहामात्रविवर्जिताय नमः।
Om Ihamatravivarjitaya Namah।
जो समस्त इच्छाओं से रहित हैं
उपेन्द्र
400
ॐ उपेन्द्राय नमः।
Om Upendraya Namah।
जो कश्यप-अदिति के यहाँ बालक के रूप में अवतरित होने वाले हैं
उडुभृन्मौलि
401
ॐ उडुभृन्मौलये नमः।
Om Udubhrinmaulaye Namah।
जो अपने मस्तक पर चन्द्रमा धारण करने वाले हैं
उण्डेरकबलिप्रिय
402
ॐ उण्डेरकबलिप्रियाय नमः।
Om Underakabalipriyaya Namah।
जिन्हें गोल-गोल मिष्टान्न प्रिय हैं
उन्नतानन
403
ॐ उन्नताननाय नमः।
Om Unnatananaya Namah।
जो ब्रह्मा आदि उत्कृष्ट देवों में चेतना जगाने वाले हैं
उत्तुङ्ग
404
ॐ उत्तुङ्गाय नमः।
Om Uttungaya Namah।
जो अत्यन्त विशाल देह वाले हैं
उदारत्रिदशाग्रणी
405
ॐ उदारत्रिदशाग्रण्ये नमः।
Om Udaratridashagranye Namah।
जो उदार देवताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं
ऊर्जस्वान्
406
ॐ ऊर्जस्वते नमः।
Om Urjasvate Namah।
जो असीमित ऊर्जा वाले हैं
ऊष्मलमद
407
ॐ ऊष्मलमदाय नमः।
Om Ushmalamadaya Namah।
जिनकी देह से गरम मद प्रवाहित होता है
ऊहापोहदुरासद
408
ॐ ऊहापोहदुरासदाय नमः।
Om Uhapohadurasadaya Namah।
जो समस्त तर्क-वितर्क से परे हैं
ऋग्यजुस्सामसम्भूति
409
ॐ ऋग्यजुस्सामसम्भूतये नमः।
Om Rigyajussamasambhutaye Namah।
जो ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद को प्रकट करने वाले हैं
ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तक
410
ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः।
Om Riddhisiddhipravartakaya Namah।
जो राज्य-सम्पत्ति तथा अणिमा आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं
ऋजुचित्तैकसुलभ
411
ॐ ऋजुचित्तैकसुलभाय नमः।
Om Rijuchittaikasulabhaya Namah।
जो सद्गुणी भक्तों को सरलता से प्राप्त होने वाले हैं
ऋणत्रयविमोचक
412
ॐ ऋणत्रयविमोचकाय नमः।
Om Rinatrayavimochakaya Namah।
जो देव ऋण, ऋषि ऋण तथा पितृ ऋण से मुक्त करने वाले हैं
स्वभक्त लुप्तविघ्न
413
ॐ स्वभक्तानां लुप्तविघ्नाय नमः।
Om Svabhaktanam Luptavighnaya Namah।
जो अपने भक्तों के समस्त कष्टों का नाश करने वाले हैं
सुरद्विषांलुप्तशक्ति
414
ॐ सुरद्विषां-लुप्तशक्तये नमः।
Om Suradvisham-luptashaktaye Namah।
जो दैत्यों की शक्ति नष्ट करने वाले हैं
विमुखार्चन लुप्तश्री
415
ॐ विमुखार्चानां लुप्तश्रिये नमः।
Om Vimukharchanam Luptashriye Namah।
जो अधर्मियों की समृद्धि नष्ट करने वाले हैं
लूताविस्फोटनाशन
416
ॐ लूताविस्फोटनाशनाय नमः।
Om Lutavisphotanashanaya Namah।
जो विभिन्न रोगों का नाश करने वाले हैं
एकारपीठमध्यस्थ
417
ॐ एकारपीठमध्यस्थाय नमः।
Om Ekarapithamadhyasthaya Namah।
जो त्रिकोणचक्र के मध्य में विराजमान हैं
एकपादकृतासन
418
ॐ एकपादकृतासनाय नमः।
Om Ekapadakritasanaya Namah।
जो एक पैर पर खड़े रहने वाले हैं
एजिताखिलदैत्यश्री
419
ॐ एजिताखिलदैत्यश्रिये नमः।
Om Ejitakhiladaityashriye Namah।
जो दैत्यों की समृद्धि नष्ट करने वाले हैं
एधिताखिलसंश्रय
420
ॐ एधिताखिलसंश्रयाय नमः।
Om Edhitakhilasamshrayaya Namah।
जो भक्तों के वैभव में वृद्धि करने वाले हैं
ऐश्वर्यनिधि
421
ॐ ऐश्वर्यनिधये नमः।
Om Aishvaryanidhaye Namah।
जो समस्त ऐश्वर्य के स्वामी हैं
ऐश्वर्य
422
ॐ ऐश्वर्याय नमः।
Om Aishvaryaya Namah।
जो स्वयं ऐश्वर्य स्वरूप हैं
ऐहिकामुष्मिकप्रद
423
ॐ ऐहिकामुष्मिकप्रदाय नमः।
Om Aihikamushmikapradaya Namah।
जो लौकिक और पारलौकिक सुख देने वाले हैं
ऐरम्मदसमोन्मेष
424
ॐ ऐरम्मदसमोन्मेषाय नमः।
Om Airammadasamonmeshaya Namah।
जो विद्युत के समान तेज वाले हैं
ऐरावतनिभानन
425
ॐ ऐरावतनिभाननाय नमः।
Om Airavatanibhananaya Namah।
जिनका मुख ऐरावत हाथी के समान है
ओङ्कारवाच्य
426
ॐ ओङ्कारवाच्याय नमः।
Om Onkaravachyaya Namah।
जो ‘ॐ’ मन्त्र के सार हैं
ओङ्कार
427
ॐ ओङ्काराय नमः।
Om Onkaraya Namah।
जो स्वयं ॐ स्वरूप हैं
ओजस्वान्
428
ॐ ओजस्वते नमः।
Om Ojasvate Namah।
जो अतुलनीय तेज वाले हैं
ओषधीपति
429
ॐ ओषधीपतये नमः।
Om Oshadhipataye Namah।
जो औषधियों के अधिपति चन्द्रमा स्वरूप हैं
औदार्यनिधि
430
ॐ औदार्यनिधये नमः।
Om Audaryanidhaye Namah।
जो भक्तों के प्रति अत्यन्त उदार हैं
औद्धत्यधुर्य
431
ॐ औद्धत्यधुर्याय नमः।
Om Auddhatyadhuryaya Namah।
जो अपने भक्तों पर कृपा हेतु अत्यन्त उतकर्षित होते हैं
औन्नत्यनिस्स्वन
432
ॐ औन्नत्यनिस्स्वनाय नमः।
Om Aunnatyanissvanaya Namah।
जो सबकी अपेक्षा उच्चस्वर से गर्जना करने वाले हैं
सुरनागानामङ्कुश
433
ॐ सुरनागानामङ्कुशाय नमः।
Om Suranaganamankushaya Namah।
जो तीनों लोकों को नियन्त्रित करने वाले हैं
सुरविद्विषामङ्कुश
434
ॐ सुरविद्विषामङ्कुशाय नमः।
Om Suravidvishamankushaya Namah।
जो देवताओं और विद्वानों के द्वेषियों को दण्डित करने वाले हैं
अःसमस्तविसर्गान्तपदेषुपरिकीर्तित
435
ॐ अःसमस्तविसर्गान्तपदेषुपरिकीर्तिताय नमः।
Om Ahsamastavisargantapadeshuparikirtitaya Namah।
सम्पूर्ण वर्णमाला जिनकी स्तुति करती है
कमण्डलुधर
436
ॐ कमण्डलुधराय नमः।
Om Kamandaludharaya Namah।
जो कमण्डलु धारण करने वाले हैं
कल्प
437
ॐ कल्पाय नमः।
Om Kalpaya Namah।
जो स्वयं प्रलयस्वरूप हैं
कपर्दी
438
ॐ कपर्दिने नमः।
Om Kapardine Namah।
जो जटाजूट धारण करने वाले हैं
कलभानन
439
ॐ कलभाननाय नमः।
Om Kalabhananaya Namah।
जो गजमुख अथवा हाथी के समान मुख वाले हैं
कर्मसाक्षी
440
ॐ कर्मसाक्षिणे नमः।
Om Karmasakshine Namah।
जो अदृष्ट कर्मों के भी साक्षी हैं
कर्मकर्ता
441
ॐ कर्मकर्त्रे नमः।
Om Karmakartre Namah।
जो कर्म करने की प्रेरणा देने वाले हैं
कर्माकर्मफलप्रद
442
ॐ कर्माकर्मफलप्रदाय नमः।
Om Karmakarmaphalapradaya Namah।
जो कर्मानुसार स्वर्ग और मोक्षरूप फल देने वाले हैं
कदम्बगोलकाकार
443
ॐ कदम्बगोलकाकाराय नमः।
Om Kadambagolakakaraya Namah।
जो कदम्ब-पुष्प के समान गोल आकार वाले हैं
कूष्माण्डगणनायक
444
ॐ कूष्माण्डगणनायकाय नमः।
Om Kushmandagananayakaya Namah।
जो दुष्ट ग्रहों पर कठोर शासन करने वाले हैं
कारुण्यदेह
445
ॐ कारुण्यदेहाय नमः।
Om Karunyadehaya Namah।
जो करुणा के सागर हैं
कपिल
446
ॐ कपिलाय नमः।
Om Kapilaya Namah।
जो कपिल मुनि स्वरूप हैं
कथक
447
ॐ कथकाय नमः।
Om Kathakaya Namah।
जो सम्प्रदायों के प्रवर्तक हैं
कटिसूत्रभृत्
448
ॐ कटिसूत्रभृते नमः।
Om Katisutrabhrite Namah।
जो स्वर्ण का कमरबन्ध धारण करने वाले हैं
खर्व
449
ॐ खर्वाय नमः।
Om Kharvaya Namah।
जो वामन स्वरूप हैं
खड्गप्रिय
450
ॐ खड्गप्रियाय नमः।
Om Khadgapriyaya Namah।
जिन्हें खड्ग अत्यन्त प्रिय है
खड्गखान्तान्तःस्थ
451
ॐ खड्गखान्तान्तःस्थाय नमः।
Om Khadgakhantantahsthaya Namah।
जो गकार में विराजमान हैं
खनिर्मल
452
ॐ खनिर्मलाय नमः।
Om Khanirmalaya Namah।
जो आकाश की भाँति सबमें रहते हुए भी सबसे निर्लिप्त हैं
खल्वाटशृङ्गनिलय
453
ॐ खल्वाटशृङ्गनिलयाय नमः।
Om Khalvatashringanilayaya Namah।
जो वृक्षविहीन पर्वत के शिखर पर निवास करने वाले हैं
खट्वाङ्गी
454
ॐ खट्वाङ्गिने नमः।
Om Khatvangine Namah।
जो खट्वाङ्ग नामक अस्त्र धारण करने वाले हैं
खदुरासद
455
ॐ खदुरासदाय नमः।
Om Khadurasadaya Namah।
जो आकाश की भाँति पकड़ में न आ सकने वाले हैं
गुणाढ्य
456
ॐ गुणाढ्याय नमः।
Om Gunadhyaya Namah।
जो सर्वगुण सम्पन्न हैं
गहन
457
ॐ गहनाय नमः।
Om Gahanaya Namah।
जो अत्यन्त गूढ़ हैं
गस्थ
458
ॐ गस्थाय नमः।
Om Gasthaya Namah।
जो ‘ग’ बीजाक्षर में विराजमान हैं
गद्यपद्यसुधार्णव
459
ॐ गद्यपद्यसुधार्णवाय नमः।
Om Gadyapadyasudharnavaya Namah।
जो गद्य एवं पद्य में काव्यरस रूपी अमृत के सागर हैं
गद्यगानप्रिय
460
ॐ गद्यगानप्रियाय नमः।
Om Gadyaganapriyaya Namah।
जिन्हें सामवेद का पाठ प्रिय है
गर्ज
461
ॐ गर्जाय नमः।
Om Garjaya Namah।
जो बादल के समान गर्जना करने वाले हैं
गीतगीर्वाणपूर्वज
462
ॐ गीतगीर्वाणपूर्वजाय नमः।
Om Gitagirvanapurvajaya Namah।
जो नाद से उत्पन्न गीत तथा नाद के अर्थ से उत्पन्न देवताओं के पूर्वज हैं
गुह्याचाररत
463
ॐ गुह्याचाररताय नमः।
Om Guhyachararataya Namah।
जो परमात्मा के चिन्तन में लगे साधकों पर सन्तुष्ट रहने वाले हैं
गुह्य
464
ॐ गुह्याय नमः।
Om Guhyaya Namah।
जो एकान्त में जानने योग्य हैं
गुह्यागमनिरूपित
465
ॐ गुह्यागमनिरूपिताय नमः।
Om Guhyagamanirupitaya Namah।
जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है
गुहाशय
466
ॐ गुहाशयाय नमः।
Om Guhashayaya Namah।
जो हृदय में शयन करने वाले अन्तर्यामी पुरुष हैं
गुहाब्धिस्थ
467
ॐ गुहाब्धिस्थाय नमः।
Om Guhabdhisthaya Namah।
जो हृदय रूपी आकाश सागर में स्थित रहने वाले हैं
गुरुगम्य
468
ॐ गुरुगम्याय नमः।
Om Gurugamyaya Namah।
जिन्हें मात्र गुरु के द्वारा ही जाना जा सकता है
गुरोर्गुरु
469
ॐ गुरोर्गुरवे नमः।
Om Gurorgurave Namah।
जो गुरुओं के भी गुरु हैं
घण्टाघर्घरिकामाली
470
ॐ घण्टाघर्घरिकामालिने नमः।
Om Ghantaghargharikamaline Namah।
जो मनोहर शब्द करने वाली घर्घरिका नामक घण्टी की माला धारण करने वाले हैं
घटकुम्भ
471
ॐ घटकुम्भाय नमः।
Om Ghatakumbhaya Namah।
जो विशाल मस्तक वाले हैं
घटोदर
472
ॐ घटोदराय नमः।
Om Ghatodaraya Namah।
जो घड़े के समान पेट वाले हैं
चण्ड
473
ॐ चण्डाय नमः।
Om Chandaya Namah।
जो प्रचण्ड पराक्रमी हैं
चण्डेश्वरसुहृत्
474
ॐ चण्डेश्वरसुहृदे नमः।
Om Chandeshvarasuhride Namah।
जो भगवान शिव के पार्षद चण्डेश्वर के प्रिय हैं
चण्डीश
475
ॐ चण्डीशाय नमः।
Om Chandishaya Namah।
जो भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय हैं
चण्डविक्रम
476
ॐ चण्डविक्रमाय नमः।
Om Chandavikramaya Namah।
जो क्रोधी दुष्टों पर आक्रमण करके उन्हें वश में करने वाले हैं
चराचरपति
477
ॐ चराचरपतये नमः।
Om Characharapataye Namah।
जो इस सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं
चिन्तामणिचर्वणलालस
478
ॐ चिन्तामणिचर्वणलालसाय नमः।
Om Chintamanicharvanalalasaya Namah।
जो चिन्तामणि का अभिमान नष्ट करने वाले हैं
छन्द
479
ॐ छन्दसे नमः।
Om Chhandase Namah।
जो स्वयं वेद के रूप में हैं
छन्दोवपु
480
ॐ छन्दोवपुषे नमः।
Om Chhandovapushe Namah।
जो वेदों को अपनी देह के रूप में धारण करने वाले हैं
छन्दोदुर्लक्ष्य
481
ॐ छन्दोदुर्लक्ष्याय नमः।
Om Chhandodurlakshyaya Namah।
वेद भी जिनको पूर्ण रूप से जानने में असमर्थ हैं
छन्दविग्रह
482
ॐ छन्दविग्रहाय नमः।
Om Chhandavigrahaya Namah।
जो भक्तों की इच्छा के अनुसार अवतार-शरीर धारण करने वाले हैं
जगद्योनि
483
ॐ जगद्योनये नमः।
Om Jagadyonaye Namah।
जो इस सृष्टि के कारण हैं
जगत्साक्षी
484
ॐ जगत्साक्षिणे नमः।
Om Jagatsakshine Namah।
जो इस सम्पूर्ण सृष्टि के साक्षी हैं
जगदीश
485
ॐ जगदीशाय नमः।
Om Jagadishaya Namah।
जो इस सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी हैं
जगन्मय
486
ॐ जगन्मयाय नमः।
Om Jaganmayaya Namah।
जो स्वयं ही जगत के रूप में विद्यमान हैं
जप
487
ॐ जपाय नमः।
Om Japaya Namah।
जो मन्त्र के रूप में विद्यमान हैं
जपपर
488
ॐ जपपराय नमः।
Om Japaparaya Namah।
जो सदैव ध्यान/जप में लीन रहने वाले हैं
जप्य
489
ॐ जप्याय नमः।
Om Japyaya Namah।
जो जपनीय मन्त्र के स्वरूप हैं
जिह्वासिंहासनप्रभु
490
ॐ जिह्वासिंहासन-प्रभवे नमः।
Om Jihvasimhasana-prabhave Namah।
जो वाणी अथवा वाक् शक्ति के स्वामी हैं
झलज्झलोल्लसद्दानझङ्कारिभ्रमराकुल
491
ॐ झलज्झलोल्लसद्दानझङ्कारिभ्रमराकुलाय नमः।
Om Jhalajjhalollasaddanajhankaribhramarakulaya Namah।
जो भ्रमर द्वारा आकर्षित होने वाले हैं
टङ्कारस्फारसंराव
492
ॐ टङ्कारस्फारसंरावाय नमः।
Om Tankaraspharasamravaya Namah।
जिनके आभूषण टँकार जैसी ध्वनि करने वाले हैं
टङ्कारिमणिनूपुर
493
ॐ टङ्कारिमणिनूपुराय नमः।
Om Tankarimaninupuraya Namah।
जो छोटे-छोटे नूपरों से सुसज्जित पायल धारण करने वाले हैं
ठद्वयीपल्लवान्तःस्थसर्वमन्त्रैकसिद्धिद
494
ॐ ठद्वयीपल्लवान्तःस्थसर्वमन्त्रैकसिद्धिदाय नमः।
Om Thadvayipallavantahsthasarvamantraikasiddhidaya Namah।
जो विधिवत पढे गये मन्त्रों के एकमात्र सिद्धिदाता हैं
डिण्डिमुण्ड
495
ॐ डिण्डिमुण्डाय नमः।
Om Dindimundaya Namah।
जो ढ़ोल के समान विशाल मस्तक वाले हैं
डाकिनीश
496
ॐ डाकिनीशाय नमः।
Om Dakinishaya Namah।
जो योगिनियों के स्वामी हैं
डामर
497
ॐ डामराय नमः।
Om Damaraya Namah।
जो डामर नामक तन्त्र के समान हैं
डिण्डिमप्रिय
498
ॐ डिण्डिमप्रियाय नमः।
Om Dindimapriyaya Namah।
जो नगाड़े की ध्वनि से प्रसन्न होने वाले हैं
ढक्कानिनादमुदित
499
ॐ ढक्कानिनादमुदिताय नमः।
Om Dhakkaninadamuditaya Namah।
जिन्हें ढक्के की ध्वनि अत्यन्त प्रिय है
ढौक
500
ॐ ढौकाय नमः।
Om Dhaukaya Namah।
जो सब कुछ जानने वाले हैं
ढुण्ढिविनायक
501
ॐ ढुण्ढिविनायकाय नमः।
Om Dhundhivinayakaya Namah।
जो विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले हैं
तत्त्व परम तत्त्व
502
ॐ तत्त्वानां परमाय तत्त्वाय नमः।
Om Tattvanam Paramaya Tattvaya Namah।
जो समस्त सिद्धान्तों में सर्वोच्च सिद्धान्त हैं
तत्त्वम्पदनिरूपित
503
ॐ तत्त्वम्पदनिरूपिताय नमः।
Om Tattvampadanirupitaya Namah।
जो भक्तों को सैद्धान्तिक मार्ग पर चलाने वाले हैं
तारकान्तरसंस्थान
504
ॐ तारकान्तरसंस्थानाय नमः।
Om Tarakantarasamsthanaya Namah।
जो नेत्रों की पुतलियों में वास करने वाले हैं
तारक
505
ॐ तारकाय नमः।
Om Tarakaya Namah।
जो भवसागर से तारने वाले हैं
तारकान्तक
506
ॐ तारकान्तकाय नमः।
Om Tarakantakaya Namah।
जो तारकासुर का संहार करने वाले हैं
स्थाणु
507
ॐ स्थाणवे नमः।
Om Sthanave Namah।
जो स्थिर हैं
स्थाणुप्रिय
508
ॐ स्थाणुप्रियाय नमः।
Om Sthanupriyaya Namah।
जो भगवान शिव के प्रिय पुत्र हैं
स्थाता
509
ॐ स्थात्रे नमः।
Om Sthatre Namah।
जो युद्ध में दृढ़तापूर्वक डटे रहने वाले हैं
स्थावर जङ्गम जगत्
510
ॐ स्थावराय जङ्गमाय जगते नमः।
Om Sthavaraya Jangamaya Jagate Namah।
जो स्वयं चराचर जगत स्वरूप हैं
दक्षयज्ञप्रमथन
511
ॐ दक्षयज्ञप्रमथनाय नमः।
Om Dakshayajnapramathanaya Namah।
जो दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस करने वाले हैं
दाता
512
ॐ दात्रे नमः।
Om Datre Namah।
जो पतितपावन हैं
दानवमोहन
513
ॐ दानवमोहनाय नमः।
Om Danavamohanaya Namah।
जो राक्षसों को विकेकहीन करने वाले हैं
दयावान्
514
ॐ दयावते नमः।
Om Dayavate Namah।
जो अत्यन्त दयावान हैं
दिव्यविभव
515
ॐ दिव्यविभवाय नमः।
Om Divyavibhavaya Namah।
जो भक्तों को दिव्य वैभव से सम्पन्न करने वाले हैं
दण्डभृत्
516
ॐ दण्डभृते नमः।
Om Dandabhrite Namah।
जो दण्डनीति का पालन करने वाले हैं
दण्डनायक
517
ॐ दण्डनायकाय नमः।
Om Dandanayakaya Namah।
जो दण्ड के प्रवर्तक हैं
दन्तप्रभिन्नाभ्रमाल
518
ॐ दन्तप्रभिन्नाभ्रमालाय नमः।
Om Dantaprabhinnabhramalaya Namah।
जो अपने दाँत के आघात से मेघों को छिन्न-भिन्न कर देने वाले हैं
दैत्यवारणदारण
519
ॐ दैत्यवारणदारणाय नमः।
Om Daityavaranadaranaya Namah।
जो दानवों को रोकने और उनका अन्त करने वाले हैं
दंष्ट्रालग्नद्विपघट
520
ॐ दंष्ट्रालग्नद्विपघटाय नमः।
Om Damshtralagnadvipaghataya Namah।
जिनके दाढ़ में शत्रुओं के हाथियों का समूह स्थित है
देवार्थनृगजाकृति
521
ॐ देवार्थनृगजाकृतये नमः।
Om Devarthanrigajakritaye Namah।
जो देवताओं के कल्याण हेतु मनुष्य और गज की आकृति धारण करने वाले हैं
धनधान्यपति
522
ॐ धनधान्यपतये नमः।
Om Dhanadhanyapataye Namah।
जो धन-धान्य के अधिपति हैं
धन्य
523
ॐ धन्याय नमः।
Om Dhanyaya Namah।
जो धन सम्पन्न एवं पुण्यवान हैं
धनद
524
ॐ धनदाय नमः।
Om Dhanadaya Namah।
जो धन-सम्पत्ति प्रदान करने वाले हैं
धरणीधर
525
ॐ धरणीधराय नमः।
Om Dharanidharaya Namah।
जो पृथ्वी को धारण करने वाले हैं
ध्यानैकप्रकट
526
ॐ ध्यानैकप्रकटाय नमः।
Om Dhyanaikaprakataya Namah।
जो एकमात्र ध्यान में ही प्रकट होने वाले हैं
ध्येय
527
ॐ ध्येयाय नमः।
Om Dhyeyaya Namah।
जो ध्यान से प्राप्त होने वाले हैं
ध्यान
528
ॐ ध्यानाय नमः।
Om Dhyanaya Namah।
जो स्वयं ध्यानस्वरूप हैं
ध्यानपरायण
529
ॐ ध्यानपरायणाय नमः।
Om Dhyanaparayanaya Namah।
जो ध्यान में संलग्न रहने वाले हैं
नन्द्य
530
ॐ नन्द्याय नमः।
Om Nandyaya Namah।
जो सदैव उत्साहित एवं आनन्दित रहने वाले हैं
नन्दिप्रिय
531
ॐ नन्दिप्रियाय नमः।
Om Nandipriyaya Namah।
जो नन्दिकेश्वर के अत्यन्त प्रिय हैं
नाद
532
ॐ नादाय नमः।
Om Nadaya Namah।
जो स्वयं नाद स्वरूप हैं
नादमध्यप्रतिष्ठित
533
ॐ नादमध्यप्रतिष्ठिताय नमः।
Om Nadamadhyapratishthitaya Namah।
जो सङ्गीत एवं वाद्ययन्त्रों के मध्य प्रसन्न रहने वाले हैं
निष्कल
534
ॐ निष्कलाय नमः।
Om Nishkalaya Namah।
जो अवयव रहित हैं
निर्मल
535
ॐ निर्मलाय नमः।
Om Nirmalaya Namah।
जो पूर्णतः पवित्र हैं
नित्य
536
ॐ नित्याय नमः।
Om Nityaya Namah।
जो अनश्वर हैं
नित्यानित्य
537
ॐ नित्यानित्याय नमः।
Om Nityanityaya Namah।
जो नश्वर-अनश्वर दोनों रूपों को धारण करने वाले हैं
निरामय
538
ॐ निरामयाय नमः।
Om Niramayaya Namah।
जो अविद्या रूपी महारोग से मुक्त हैं
परं व्योम
539
ॐ परस्मै व्योम्ने नमः।
Om Parasmai Vyomne Namah।
जो नित्य धामस्वरूप हैं
परं धाम
540
ॐ परस्मै धाम्ने नमः।
Om Parasmai Dhamne Namah।
जो परम ज्योति हैं
परमात्मा
541
ॐ परमात्मने नमः।
Om Paramatmane Namah।
जो स्वयं परब्रह्म हैं
परं पद
542
ॐ परस्मै पदाय नमः।
Om Parasmai Padaya Namah।
जो सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित हैं
परात्पर
543
ॐ परात्पराय नमः।
Om Paratparaya Namah।
जो पर अर्थात् भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से भी उत्कृष्ट हैं
पशुपति
544
ॐ पशुपतये नमः।
Om Pashupataye Namah।
जो समस्त प्राणियों के पालक हैं
पशुपाशविमोचक
545
ॐ पशुपाशविमोचकाय नमः।
Om Pashupashavimochakaya Namah।
जो जीवों को विभिन्न बन्धनों से मुक्त करने वाले हैं
पूर्णानन्द
546
ॐ पूर्णानन्दाय नमः।
Om Purnanandaya Namah।
जो आनन्द की वर्षा करने वाले हैं
परानन्द
547
ॐ परानन्दाय नमः।
Om Paranandaya Namah।
जो सदैव परम आनन्द प्रदान करने वाले हैं
पुराणपुरुषोत्तम
548
ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः।
Om Puranapurushottamaya Namah।
जो समस्त देवगणों में सर्वोच्च हैं
पद्मप्रसन्ननयन
549
ॐ पद्मप्रसन्ननयनाय नमः।
Om Padmaprasannanayanaya Namah।
जो खिले हुये कमलपुष्पों के समान प्रसन्न नेत्रों वाले हैं
प्रणताज्ञानमोचन
550
ॐ प्रणताज्ञानमोचनाय नमः।
Om Pranatajnanamochanaya Namah।
जो भक्त के समस्त अज्ञान का नाश करने वाले हैं
प्रमाणप्रत्ययातीत
551
ॐ प्रमाणप्रत्ययातीताय नमः।
Om Pramanapratyayatitaya Namah।
जो विभिन्न प्रमाणों की प्रतीति से परे नित्य ज्ञान स्वरूप हैं
प्रणतार्तिनिवारण
552
ॐ प्रणतार्तिनिवारणाय नमः।
Om Pranatartinivaranaya Namah।
जो भक्तों के कष्ट का निवारण करने वाले हैं
फलहस्त
553
ॐ फलहस्ताय नमः।
Om Phalahastaya Namah।
जो भक्तों को अविलम्ब फल प्रदान करने वाले हैं
फणिपति
554
ॐ फणिपतये नमः।
Om Phanipataye Namah।
जो शेष और वासुकि नाग के भी स्वामी हैं
फेत्कार
555
ॐ फेत्काराय नमः।
Om Phetkaraya Namah।
जो स्वयं तन्त्र स्वरूप हैं
फाणितप्रिय
556
ॐ फाणितप्रियाय नमः।
Om Phanitapriyaya Namah।
जो गन्ने के रस के प्रेमी हैं
बाणार्चिताङ्घ्रियुगल
557
ॐ बाणार्चिताङ्घ्रियुगलाय नमः।
Om Banarchitanghriyugalaya Namah।
जिनके चरण कमलों का पूजन बाणासुर करता है
बालकेलिकुतूहली
558
ॐ बालकेलिकुतूहलिने नमः।
Om Balakelikutuhaline Namah।
जो बाल क्रीडा का आनन्द लेने वाले हैं
ब्रह्म
559
ॐ ब्रह्मणे नमः।
Om Brahmane Namah।
जो स्वयं ब्रह्म स्वरूप हैं
ब्रह्मार्चितपद
560
ॐ ब्रह्मार्चितपदाय नमः।
Om Brahmarchitapadaya Namah।
जिनके चरण कमलों का पूजन ब्रह्मा जी करते हैं
ब्रह्मचारी
561
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
Om Brahmacharine Namah।
जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले हैं
बृहस्पति
562
ॐ बृहस्पतये नमः।
Om Brihaspataye Namah।
जो स्वयं देवगुरु बृहस्पति स्वरूप हैं
बृहत्तम
563
ॐ बृहत्तमाय नमः।
Om Brihattamaya Namah।
जो अत्यधिक विशालकाय हैं
ब्रह्मपर
564
ॐ ब्रह्मपराय नमः।
Om Brahmaparaya Namah।
जो ब्रह्मा जी से भी श्रेष्ठ हैं
ब्रह्मण्य
565
ॐ ब्रह्मण्याय नमः।
Om Brahmanyaya Namah।
जो ब्राह्मणों पर श्रद्धा रखने वाले हैं
ब्रह्मवित्प्रिय
566
ॐ ब्रह्मवित्प्रियाय नमः।
Om Brahmavitpriyaya Namah।
जो विद्यार्थियों को प्रिय हैं
बृहन्नादाग्र्यचीत्कार
567
ॐ बृहन्नादाग्र्यचीत्काराय नमः।
Om Brihannadagryachitkaraya Namah।
जो मेघों से भी अधिक उच्चस्वर से गर्जना करने वाले हैं
ब्रह्माण्डावलिमेखल
568
ॐ ब्रह्माण्डावलिमेखलाय नमः।
Om Brahmandavalimekhalaya Namah।
जो ब्रह्माण्ड को अपनी कटिसूत्र के रूप में धारण करने वाले हैं
भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीक
569
ॐ भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीकाय नमः।
Om Bhrukshepadattalakshmikaya Namah।
जो पलक झपकते ही भक्तों पर धनवर्षा करने वाले हैं
भर्ग
570
ॐ भर्गाय नमः।
Om Bhargaya Namah।
जो सूर्य के समान तेज वाले हैं
भद्र
571
ॐ भद्राय नमः।
Om Bhadraya Namah।
जो सर्वोत्तम एवं सभ्य हैं
भयापह
572
ॐ भयापहाय नमः।
Om Bhayapahaya Namah।
जो भक्तों के ज्ञात-अज्ञात भय नष्ट करने वाले हैं
भगवान्
573
ॐ भगवते नमः।
Om Bhagavate Namah।
जो षड्विध ऐश्वर्य से सम्पन्न हैं
भक्तिसुलभ
574
ॐ भक्तिसुलभाय नमः।
Om Bhaktisulabhaya Namah।
जो भक्ति द्वारा सुगमता से प्राप्त किए जा सकते हैं
भूतिद
575
ॐ भूतिदाय नमः।
Om Bhutidaya Namah।
जो अष्ट सिद्धियों के दाता हैं
भूतिभूषण
576
ॐ भूतिभूषणाय नमः।
Om Bhutibhushanaya Namah।
जो भस्म धारण करने वाले हैं
भव्य
577
ॐ भव्याय नमः।
Om Bhavyaya Namah।
जो कल्याणस्वरूप हैं
भूतालय
578
ॐ भूतालयाय नमः।
Om Bhutalayaya Namah।
जो पञ्चभूत आदि समस्त भूत प्राणियों के आश्रय हैं
भोगदाता
579
ॐ भोगदात्रे नमः।
Om Bhogadatre Namah।
जो जीवों को कर्मानुसार फल प्रदान करने वाले हैं
भ्रूमध्यगोचर
580
ॐ भ्रूमध्यगोचराय नमः।
Om Bhrumadhyagocharaya Namah।
जो ध्यान काल में दोनों भौंहों के मध्य अनुभूत होने वाले हैं
मन्त्र
581
ॐ मन्त्राय नमः।
Om Mantraya Namah।
जो स्वयं मन्त्र स्वरूप हैं
मन्त्रपति
582
ॐ मन्त्रपतये नमः।
Om Mantrapataye Namah।
जो समस्त मन्त्रणाओं के अधिपति हैं
मन्त्री
583
ॐ मन्त्रिणे नमः।
Om Mantrine Namah।
जो राज्य सञ्चालन हेतु समस्त मन्त्रशक्ति के अधिष्ठाता हैं
मदमत्तमनोरम
584
ॐ मदमत्तमनोरमाय नमः।
Om Madamattamanoramaya Namah।
जो आनन्द-उत्साह में लीन हैं
मेखलावान्
585
ॐ मेखलावते नमः।
Om Mekhalavate Namah।
जो कमरबन्ध धारण करने वाले हैं
मन्दगति
586
ॐ मन्दगतये नमः।
Om Mandagataye Namah।
जो अल्प बुद्धियों के भी आश्रय दाता हैं
मतिमत्कमलेक्षण
587
ॐ मतिमत्कमलेक्षणाय नमः।
Om Matimatkamalekshanaya Namah।
जो सद्बुद्धि देने वाले हैं
महाबल
588
ॐ महाबलाय नमः।
Om Mahabalaya Namah।
जो अत्यन्त बलशाली हैं
महावीर्य
589
ॐ महावीर्याय नमः।
Om Mahaviryaya Namah।
जो महापराक्रमी एवं साहसी हैं
महाप्राण
590
ॐ महाप्राणाय नमः।
Om Mahapranaya Namah।
जो समस्त जीवात्माओं के प्राण हैं
महामना
591
ॐ महामनसे नमः।
Om Mahamanase Namah।
जो श्रेष्ठ विचारों वाले हैं
यज्ञ
592
ॐ यज्ञाय नमः।
Om Yajnaya Namah।
जो स्वयं यज्ञस्वरूप हैं
यज्ञपति
593
ॐ यज्ञपतये नमः।
Om Yajnapataye Namah।
जो यज्ञों के स्वामी हैं
यज्ञगोप्ता
594
ॐ यज्ञगोप्त्रे नमः।
Om Yajnagoptre Namah।
जो यज्ञों के रक्षक हैं
यज्ञफलप्रद
595
ॐ यज्ञफलप्रदाय नमः।
Om Yajnaphalapradaya Namah।
जो यज्ञों का फल प्रदान करने वाले हैं
यशस्कर
596
ॐ यशस्कराय नमः।
Om Yashaskaraya Namah।
जो यश एवं प्रसिद्धि प्रदान करने वाले हैं
योगगम्य
597
ॐ योगगम्याय नमः।
Om Yogagamyaya Namah।
जो योग द्वारा प्राप्त होने वाले हैं
याज्ञिक
598
ॐ याज्ञिकाय नमः।
Om Yajnikaya Namah।
जो यज्ञकर्ता हैं
याजकप्रिय
599
ॐ याजकप्रियाय नमः।
Om Yajakapriyaya Namah।
जो यज्ञ कराने वालों के प्रिय हैं
रस
600
ॐ रसाय नमः।
Om Rasaya Namah।
जो परम आनन्दस्वरूप हैं
रसप्रिय
601
ॐ रसप्रियाय नमः।
Om Rasapriyaya Namah।
जो मधुर आदि रसों में अधिक प्रीति रखने वाले हैं
रस्य
602
ॐ रस्याय नमः।
Om Rasyaya Namah।
जो आस्वाद के विषय हैं
रञ्जक
603
ॐ रञ्जकाय नमः।
Om Ranjakaya Namah।
जो हर्ष एवं आनन्द प्रदान करने वाले हैं
रावणार्चित
604
ॐ रावणार्चिताय नमः।
Om Ravanarchitaya Namah।
जो रावण द्वारा पूजे जाने वाले हैं
रक्षोरक्षाकर
605
ॐ रक्षोरक्षाकराय नमः।
Om Rakshorakshakaraya Namah।
जो राक्षसों की जलाकर राख कर देने वाले हैं
रत्नगर्भ
606
ॐ रत्नगर्भाय नमः।
Om Ratnagarbhaya Namah।
जो पृथ्वी के आश्रय हैं
राजसुखप्रद
607
ॐ राजसुखप्रदाय नमः।
Om Rajasukhapradaya Namah।
जो राजसुख प्रदान करने वाले हैं
लक्ष्य
608
ॐ लक्ष्याय नमः।
Om Lakshyaya Namah।
जो समस्त प्राणियों के उद्देश्य हैं
लक्ष्यप्रद
609
ॐ लक्ष्यप्रदाय नमः।
Om Lakshyapradaya Namah।
जो सफलतापूर्वक लक्ष्य प्रदान करने वाले हैं
लक्ष्य
610
ॐ लक्ष्याय नमः।
Om Lakshyaya Namah।
जो स्वयं परम लक्ष्य हैं
लयस्थ
611
ॐ लयस्थाय नमः।
Om Layasthaya Namah।
जो प्रलय काल में भी विद्यमान रहने वाले हैं
लड्डुकप्रिय
612
ॐ लड्डुकप्रियाय नमः।
Om Laddukapriyaya Namah।
जो लड्डूओं से अत्यन्त प्रसन्न रहने वाले हैं
लानप्रिय
613
ॐ लानप्रियाय नमः।
Om Lanapriyaya Namah।
जो गजशाला में प्रीति रखने वाले हैं
लास्यपर
614
ॐ लास्यपराय नमः।
Om Lasyaparaya Namah।
जो विलास योग्य परम धाम वाले हैं
लाभकृल्लोकविश्रुत
615
ॐ लाभकृल्लोकविश्रुताय नमः।
Om Labhakrillokavishrutaya Namah।
जो भक्तों को शीघ्र वर प्रदान करने वाले हैं
वरेण्य
616
ॐ वरेण्याय नमः।
Om Varenyaya Namah।
जो गणपति भक्त राजा वरेण्य के समान हैं
वह्निवदन
617
ॐ वह्निवदनाय नमः।
Om Vahnivadanaya Namah।
जो अग्नि के समान तेज धारण करने वाले हैं
वन्द्य
618
ॐ वन्द्याय नमः।
Om Vandyaya Namah।
जो हम सभी के आराध्य हैं
वेदान्तगोचर
619
ॐ वेदान्तगोचराय नमः।
Om Vedantagocharaya Namah।
जो उपनिषदों के द्वारा जानने योग्य हैं
विकर्ता
620
ॐ विकर्त्रे नमः।
Om Vikartre Namah।
जो जन्म आदि छः भावविकारों के प्रवर्तक हैं
विश्वतश्चक्षु
621
ॐ विश्वतश्चक्षुषे नमः।
Om Vishvatashchakshushe Namah।
जो संसार को अपने नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं
विधाता
622
ॐ विधात्रे नमः।
Om Vidhatre Namah।
जो सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले हैं
विश्वतोमुख
623
ॐ विश्वतोमुखाय नमः।
Om Vishvatomukhaya Namah।
जो स्वयं ब्रह्मा स्वरूप में विराजमान हैं
वामदेव
624
ॐ वामदेवाय नमः।
Om Vamadevaya Namah।
जो स्वयं शिव स्वरूप हैं
विश्वनेता
625
ॐ विश्वनेत्रे नमः।
Om Vishvanetre Namah।
जो सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करने वाले हैं
वज्रिवज्रनिवारण
626
ॐ वज्रिवज्रनिवारणाय नमः।
Om Vajrivajranivaranaya Namah।
जो इन्द्र के वज्र को स्तम्भित करने वाले हैं
विश्वबन्धनविष्कम्भाधार
627
ॐ विश्वबन्धनविष्कम्भाधाराय नमः।
Om Vishvabandhanavishkambhadharaya Namah।
जो सम्पूर्ण जगत की सृष्टि के आधार के आधार हैं
विश्वेश्वरप्रभु
628
ॐ विश्वेश्वरप्रभवे नमः।
Om Vishveshvaraprabhave Namah।
जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और उनके स्वामियों के स्वामी हैं
शब्दब्रह्म
629
ॐ शब्दब्रह्मणे नमः।
Om Shabdabrahmane Namah।
जो परा नामक वाणी से अतीत नादरूपधारी हैं
शमप्राप्य
630
ॐ शमप्राप्याय नमः।
Om Shamaprapyaya Namah।
जो मन के निग्रह द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं
शम्भुशक्तिगणेश्वर
631
ॐ शम्भुशक्तिगणेश्वराय नमः।
Om Shambhushaktiganeshvaraya Namah।
जो शिव एवं शक्ति के गणों के स्वामी हैं
शास्ता
632
ॐ शास्त्रे नमः।
Om Shastre Namah।
जो शास्ता नामक देवता के स्वरूप हैं
शिखाग्रनिलय
633
ॐ शिखाग्रनिलयाय नमः।
Om Shikhagranilayaya Namah।
जो शिखा के अग्रभाग में वास करने वाले हैं
शरण्य
634
ॐ शरण्याय नमः।
Om Sharanyaya Namah।
जो हम सभी के रक्षक हैं
शिखरीश्वर
635
ॐ शिखरीश्वराय नमः।
Om Shikharishvaraya Namah।
जो हिमालय के समान हैं
षड्ऋतुकुसुमस्रग्वी
636
ॐ षड्ऋतुकुसुमस्रग्विणे नमः।
Om Shadritukusumasragvine Namah।
जो छहों ऋतुओं में खिलने वाले पुष्पों की मालाओं से सुशोभित हैं
षडाधार
637
ॐ षडाधाराय नमः।
Om Shadadharaya Namah।
जो छहों चक्रों के आधारभूत मूलाधार चक्र के समान हैं
षडक्षर
638
ॐ षडक्षराय नमः।
Om Shadaksharaya Namah।
जो छः अक्षरों वाले ‘गणेशाय नमः’ मन्त्र स्वरूप हैं
संसारवैद्य
639
ॐ संसारवैद्याय नमः।
Om Samsaravaidyaya Namah।
जो समस्त सृष्टि के चिकित्सक हैं
सर्वज्ञ
640
ॐ सर्वज्ञाय नमः।
Om Sarvajnaya Namah।
जो सब कुछ जानने वाले हैं
सर्वभेषजभेषज
641
ॐ सर्वभेषजभेषजाय नमः।
Om Sarvabheshajabheshajaya Namah।
जो समस्त औषधियों की औषधि हैं
सृष्टिस्थितिलयक्रीड
642
ॐ सृष्टिस्थितिलयक्रीडाय नमः।
Om Srishtisthitilayakridaya Namah।
जगत की सृष्टि, पालन तथा उसका संहार करना जिनकी लीलायें हैं
सुरकुञ्जरभेदन
643
ॐ सुरकुञ्जरभेदनाय नमः।
Om Surakunjarabhedanaya Namah।
जो दानवों से पूजित होकर देवताओं में भेद उत्पन्न करने वाले हैं
सिन्दूरितमहाकुम्भ
644
ॐ सिन्दूरितमहाकुम्भाय नमः।
Om Sinduritamahakumbhaya Namah।
जो विशाल मस्तक पर सिन्दूर धारण करने वाले हैं
सदसद्व्यक्तिदायक
645
ॐ सदसद्व्यक्तिदायकाय नमः।
Om Sadasadvyaktidayakaya Namah।
जो भक्तों को सद्बुद्धि प्रदान करने वाले हैं
साक्षी
646
ॐ साक्षिणे नमः।
Om Sakshine Namah।
जो सृष्टि की समस्त गतिविधियों के साक्षी हैं
समुद्रमथन
647
ॐ समुद्रमथनाय नमः।
Om Samudramathanaya Namah।
जो समुद्र मन्थन काल में देवताओं द्वारा सर्वप्रथम पूजित हैं
स्वसंवेद्य
648
ॐ स्वसंवेद्याय नमः।
Om Svasamvedyaya Namah।
जो स्वयं परम ज्योति स्वरूप हैं
स्वदक्षिण
649
ॐ स्वदक्षिणाय नमः।
Om Svadakshinaya Namah।
जो स्वयं सब कुछ करने में समर्थ हैं
स्वतन्त्र
650
ॐ स्वतन्त्राय नमः।
Om Svatantraya Namah।
जो स्वतन्त्र हैं
सत्यसङ्कल्प
651
ॐ सत्यसङ्कल्पाय नमः।
Om Satyasankalpaya Namah।
जो परम सत्य स्वरूप हैं
सामगानरत
652
ॐ सामगानरताय नमः।
Om Samaganarataya Namah।
जो सामगान में तल्लीन रहने वाले हैं
सुखी
653
ॐ सुखिने नमः।
Om Sukhine Namah।
जो परम सुखी हैं
हंस
654
ॐ हंसाय नमः।
Om Hamsaya Namah।
जो सूर्य के समान हैं
हस्तिपिशाचीश
655
ॐ हस्तिपिशाचीशाय नमः।
Om Hastipishachishaya Namah।
जो हस्तिपिशाचीश नामक नवाक्षर मन्त्र के देवता हैं
हवन
656
ॐ हवनाय नमः।
Om Havanaya Namah।
जो आहुतिस्वरूप हैं
हव्यकव्यभुक्
657
ॐ हव्यकव्यभुजे नमः।
Om Havyakavyabhuje Namah।
जो देवताओं और पितरों को दी जाने वाली आहुति ग्रहण करने वाले हैं
हव्य
658
ॐ हव्याय नमः।
Om Havyaya Namah।
जो हव्य अर्थात् यज्ञ की आहुति के समान हैं
हुतप्रिय
659
ॐ हुतप्रियाय नमः।
Om Hutapriyaya Namah।
जो यज्ञाहुति में दिये गये द्रव्य के प्रेमी हैं
हर्ष
660
ॐ हर्षाय नमः।
Om Harshaya Namah।
जो सदैव प्रसन्नचित्त रहने वाले हैं
हृल्लेखामन्त्रमध्यग
661
ॐ हृल्लेखामन्त्रमध्यगाय नमः।
Om Hrillekhamantramadhyagaya Namah।
जो हृल्लेखा बीज मन्त्र के अर्थात् ह्रीं के मध्य वास करने वाले हैं
क्षेत्राधिप
662
ॐ क्षेत्राधिपाय नमः।
Om Kshetradhipaya Namah।
जो प्रयाग आदि तीर्थक्षेत्रों के अथवा शरीर आदि के स्वामी हैं
क्षमाभर्ता
663
ॐ क्षमाभर्त्रे नमः।
Om Kshamabhartre Namah।
जो पृथ्वी के आधार हैं
क्षमापरपरायण
664
ॐ क्षमापरपरायणाय नमः।
Om Kshamaparaparayanaya Namah।
जो क्षमाशील मुनियों द्वारा प्राप्य हैं
क्षिप्रक्षेमकर
665
ॐ क्षिप्रक्षेमकराय नमः।
Om Kshiprakshemakaraya Namah।
जो तत्क्षण कल्याण करने वाले हैं
क्षेमानन्द
666
ॐ क्षेमानन्दाय नमः।
Om Kshemanandaya Namah।
जो मंगलकर एवं आनन्द स्वरूप हैं
क्षोणीसुरद्रुम
667
ॐ क्षोणीसुरद्रुमाय नमः।
Om Kshonisuradrumaya Namah।
जो पृथ्वी पर कल्पवृक्ष के समान समस्त मनोरथों को पूर्ण करने वाले हैं
धर्मप्रद
668
ॐ धर्मप्रदाय नमः।
Om Dharmapradaya Namah।
जो धर्म प्रदान करने वाले हैं
अर्थद
669
ॐ अर्थदाय नमः।
Om Arthadaya Namah।
जो धन-सम्पदा प्रदान करने वाले हैं
कामदाता
670
ॐ कामदात्रे नमः।
Om Kamadatre Namah।
जो समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाले हैं
सौभाग्यवर्धन
671
ॐ सौभाग्यवर्धनाय नमः।
Om Saubhagyavardhanaya Namah।
जो स्त्रियों को सौभाग्य वृद्धि का वर देने वाले हैं
विद्याप्रद
672
ॐ विद्याप्रदाय नमः।
Om Vidyapradaya Namah।
जो विद्या प्रदान करने वाले हैं
विभवद
673
ॐ विभवदाय नमः।
Om Vibhavadaya Namah।
जो सम्पत्ति प्रदान करने वाले हैं
भुक्तिमुक्तिफलप्रद
674
ॐ भुक्तिमुक्तिफलप्रदाय नमः।
Om Bhuktimuktiphalapradaya Namah।
जो सांसारिक सुख एवं मोक्ष प्रदान करने वाले हैं
आभिरूप्यकर
675
ॐ आभिरूप्यकराय नमः।
Om Abhirupyakaraya Namah।
जो विद्वत्ता और सुन्दरता प्रदान करने वाले हैं
वीरश्रीप्रद
676
ॐ वीरश्रीप्रदाय नमः।
Om Virashripradaya Namah।
जो लक्ष्मी प्रदान करने वाले हैं
विजयप्रद
677
ॐ विजयप्रदाय नमः।
Om Vijayapradaya Namah।
जो विजय प्रदान करने वाले हैं
सर्ववश्यकर
678
ॐ सर्ववश्यकराय नमः।
Om Sarvavashyakaraya Namah।
जो सभी को भक्त के वश में कर देने वाले हैं
गर्भदोषहा
679
ॐ गर्भदोषघ्ने नमः।
Om Garbhadoshaghne Namah।
जो गर्भ की रक्षा अथवा गर्भपात आदि दोषों को दूर करने वाले हैं
पुत्रपौत्रद
680
ॐ पुत्रपौत्रदाय नमः।
Om Putrapautradaya Namah।
जो पुत्र और पौत्र प्रदान करने वाले हैं
मेधाद
681
ॐ मेधादाय नमः।
Om Medhadaya Namah।
जो विशिष्ट बुद्धि प्रदान करने वाले हैं
कीर्तिद
682
ॐ कीर्तिदाय नमः।
Om Kirtidaya Namah।
जो लोक में प्रसिद्धि प्रदान करने वाले हैं
शोकहारी
683
ॐ शोकहारिणे नमः।
Om Shokaharine Namah।
जो दुख का नाश करने वाले हैं
दौर्भाग्यनाशन
684
ॐ दौर्भाग्यनाशनाय नमः।
Om Daurbhagyanashanaya Namah।
जो स्त्रियों के विधवापन आदि दुर्भाग्यसूचक दोषों का नाश करने वाले हैं
प्रतिवादिमुखस्तम्भ
685
ॐ प्रतिवादिमुखस्तम्भाय नमः।
Om Prativadimukhastambhaya Namah।
जो शत्रुओं का दमन करने वाले हैं
रुष्टचित्तप्रसादन
686
ॐ रुष्टचित्तप्रसादनाय नमः।
Om Rushtachittaprasadanaya Namah।
जो क्रोधित राजा आदि को शान्त एवं प्रसन्न करने वाले हैं
पराभिचारशमन
687
ॐ पराभिचारशमनाय नमः।
Om Parabhicharashamanaya Namah।
जो दूसरों द्वारा किये गये मारण मोहन आदि उपायों को नष्ट करने वाले हैं
दुःखभञ्जनकारक
688
ॐ दुःखभञ्जनकारकाय नमः।
Om Duhkhabhanjanakarakaya Namah।
जो समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं
लव
689
ॐ लवाय नमः।
Om Lavaya Namah।
जो अति सूक्ष्म हैं
त्रुटि
690
ॐ त्रुटये नमः।
Om Trutaye Namah।
जो काल गणना के अनुसार एक हजार लव के काल के समान हैं
कला
691
ॐ कलायै नमः।
Om Kalayai Namah।
जो काल गणना के अनुसार तीस काष्ठाओं के काल के समान हैं
काष्ठा
692
ॐ काष्ठायै नमः।
Om Kashthayai Namah।
जो काल गणना के अनुसार अठारह निमेष के समान समय वाले हैं
निमेष
693
ॐ निमेषाय नमः।
Om Nimeshaya Namah।
जो काल गणना के अनुसार तीस तत्पर काल के समान समय वाले हैं
तत्पर
694
ॐ तत्पराय नमः।
Om Tatparaya Namah।
जो काल गणना के अनुसार सौ त्रुटियों के समय के बराबर हैं
क्षण
695
ॐ क्षणाय नमः।
Om Kshanaya Namah।
जो काल गणनानुसार क्षण स्वरूप अर्थात् तीस कलाओं के समय के बराबर हैं
घटी
696
ॐ घट्यै नमः।
Om Ghatyai Namah।
जो काल गणनानुसार घटी स्वरूप अर्थात् छः क्षण के समान समय वाले हैं
मुहूर्त
697
ॐ मुहूर्ताय नमः।
Om Muhurtaya Namah।
जो काल गणनानुसार दो घटी के समान समय वाले हैं
प्रहर
698
ॐ प्रहराय नमः।
Om Praharaya Namah।
जो काल गणनानुसार चार मूहूर्त के समय के समान हैं
दिवानक्त
699
ॐ दिवानक्ताय नमः।
Om Divanaktaya Namah।
जो काल गणनानुसार रात्रि स्वरूप हैं
अहर्निश
700
ॐ अहर्निशाय नमः।
Om Aharnishaya Namah।
जो काल गणनानुसार दिन और रात के समय के समान समय वाले हैं
पक्ष
701
ॐ पक्षाय नमः।
Om Pakshaya Namah।
जो पन्द्रह दिन अर्थात् एक पक्ष स्वरूप हैं
मास
702
ॐ मासाय नमः।
Om Masaya Namah।
जो दो पक्ष अर्थात् एक माह स्वरूप हैं
अयन
703
ॐ अयनाय नमः।
Om Ayanaya Namah।
जो छः माह अर्थात् एक अयन स्वरूप हैं
वर्ष
704
ॐ वर्षाय नमः।
Om Varshaya Namah।
जो दो अयन (उत्तरायण और दक्षिणायन) अर्थात् वर्ष स्वरूप हैं
युग
705
ॐ युगाय नमः।
Om Yugaya Namah।
जो युग स्वरूप अर्थात् बारह हजार दिव्य वर्षों के समान हैं
कल्प
706
ॐ कल्पाय नमः।
Om Kalpaya Namah।
जो कल्प (ब्रह्मा जी का एक दिन) स्वरूप अर्थात् एक हजार चतुर्युग के समान हैं
महालय
707
ॐ महालयाय नमः।
Om Mahalayaya Namah।
जो बहत्तर हजार कल्प अर्थात् महाप्रलय (ब्रह्मा जी का भी जब लय हो जाता है) स्वरूप हैं
राशि
708
ॐ राशये नमः।
Om Rashaye Namah।
जो मेष आदि बारह राशिस्वरूप हैं
तारा
709
ॐ तारायै नमः।
Om Tarayai Namah।
जो कृत्तिका आदि नक्षत्रस्वरूप हैं
तिथि
710
ॐ तिथये नमः।
Om Tithaye Namah।
जो पंचाङ्ग में चन्द्रमा की पन्द्रह कलाओं में से एक तिथि स्वरूप हैं
योग
711
ॐ योगाय नमः।
Om Yogaya Namah।
जो पंचाङ्ग में अमृतसिद्धि एवं आनन्द आदि योग के रूप में विद्यमान हैं
वार
712
ॐ वाराय नमः।
Om Varaya Namah।
जो सप्ताह के सात वार के स्वरूप में विद्यमान हैं
करण
713
ॐ करणाय नमः।
Om Karanaya Namah।
जो पंचाङ्ग में बव आदि करण के रूप में विद्यमान हैं
अंशक
714
ॐ अंशकाय नमः।
Om Amshakaya Namah।
जो ज्योतिष में समस्त अंशों के रूप में रहने वाले हैं
लग्न
715
ॐ लग्नाय नमः।
Om Lagnaya Namah।
जो ज्योतिष में मेष आदि राशियों के उदय करने वाले लग्नस्वरूप हैं
होरा
716
ॐ होरायै नमः।
Om Horayai Namah।
जो ज्योतिष में होरा चक्र के रूप में विद्यमान रहने वाले हैं
कालचक्र
717
ॐ कालचक्राय नमः।
Om Kalachakraya Namah।
जो स्वयं काल के स्वरूप हैं
मेरु
718
ॐ मेरवे नमः।
Om Merave Namah।
जो मेरु के पर्वत रूप में विद्यमान हैं
सप्तर्षि
719
ॐ सप्तर्षिभ्यो नमः।
Om Saptarshibhyo Namah।
जो कश्यप आदि सप्तऋषि स्वरूप हैं
ध्रुव
720
ॐ ध्रुवाय नमः।
Om Dhruvaya Namah।
जो उत्तानपाद के पुत्रस्वरूप हैं
राहु
721
ॐ राहवे नमः।
Om Rahave Namah।
जो राहु ग्रह स्वरूप हैं
मन्द
722
ॐ मन्दाय नमः।
Om Mandaya Namah।
जो शनि ग्रह स्वरूप हैं
कवि
723
ॐ कवये नमः।
Om Kavaye Namah।
जो शुक्र ग्रह स्वरूप हैं
जीव
724
ॐ जीवाय नमः।
Om Jivaya Namah।
जो बृहस्पति ग्रह स्वरूप हैं
बुध
725
ॐ बुधाय नमः।
Om Budhaya Namah।
जो बुध ग्रह स्वरूप हैं
भौम
726
ॐ भौमाय नमः।
Om Bhaumaya Namah।
जो मङ्गल ग्रह स्वरूप हैं
शशी
727
ॐ शशिने नमः।
Om Shashine Namah।
जो चन्द्र ग्रह स्वरूप हैं
रवि
728
ॐ रवये नमः।
Om Ravaye Namah।
जो सूर्य ग्रह स्वरूप हैं
काल
729
ॐ कालाय नमः।
Om Kalaya Namah।
जो जगत का संहार करने वाले हैं
सृष्टि
730
ॐ सृष्टये नमः।
Om Srishtaye Namah।
जो सृष्टि की रचना करने वाले हैं
स्थिति
731
ॐ स्थितये नमः।
Om Sthitaye Namah।
जो सृष्टि का पालन करने वाले हैं
विश्व स्थावर जङ्गम
732
ॐ विश्वस्मै स्थावराय जङ्गमाय नमः।
Om Vishvasmai Sthavaraya Jangamaya Namah।
जो चराचर जगत स्वरूप हैं
भू
733
ॐ भुवे नमः।
Om Bhuve Namah।
जो पृथ्वी स्वरूप हैं
आप
734
ॐ अद्भ्यो नमः।
Om Adbhyo Namah।
जो जल स्वरूप हैं
अग्नि
735
ॐ अग्नये नमः।
Om Agnaye Namah।
जो अग्नि स्वरूप हैं
मरुत्
736
ॐ मरुते नमः।
Om Marute Namah।
जो वायु स्वरूप हैं
व्योम
737
ॐ व्योम्ने नमः।
Om Vyomne Namah।
जो आकाश स्वरूप हैं
अहङ्कृति
738
ॐ अहंकृतये नमः।
Om Ahamkritaye Namah।
जो अहंकार स्वरूप हैं
प्रकृति
739
ॐ प्रकृतये नमः।
Om Prakritaye Namah।
जो जगत के मूल कारण प्रकृति स्वरूप हैं
पुमान्
740
ॐ पुंसे नमः।
Om Pumse Namah।
जो पुरुष स्वरूप हैं
ब्रह्मा
741
ॐ ब्रह्मणे नमः।
Om Brahmane Namah।
जो ब्रह्मा स्वरूप अर्थात् सृष्टि के सृजनकर्ता हैं
विष्णु
742
ॐ विष्णवे नमः।
Om Vishnave Namah।
जो विष्णु स्वरूप अर्थात् सृष्टि के पालनकर्ता हैं
शिव
743
ॐ शिवाय नमः।
Om Shivaya Namah।
जो शिव स्वरूप अर्थात् सृष्टि के संहारकर्ता हैं
रुद्र
744
ॐ रुद्राय नमः।
Om Rudraya Namah।
जो रुद्र स्वरूप हैं
ईश
745
ॐ ईशाय नमः।
Om Ishaya Namah।
जो ईश्वर स्वरूप हैं
शक्ति
746
ॐ शक्तये नमः।
Om Shaktaye Namah।
जो शक्ति स्वरूप हैं
सदाशिव
747
ॐ सदाशिवाय नमः।
Om Sadashivaya Namah।
जो सदैव कल्याण करने वाले हैं
त्रिदश
748
ॐ त्रिदशेभ्यो नमः।
Om Tridashebhyo Namah।
जो देवगणों के समान हैं
पितृ
749
ॐ पितृभ्यो नमः।
Om Pitribhyo Namah।
जो पितरों के समान हैं
सिद्ध
750
ॐ सिद्धेभ्यो नमः।
Om Siddhebhyo Namah।
जो समस्त सिद्धियों के समान हैं
यक्ष
751
ॐ यक्षेभ्यो नमः।
Om Yakshebhyo Namah।
जो यक्षगणों के समान हैं
रक्ष
752
ॐ रक्षोभ्यो नमः।
Om Rakshobhyo Namah।
जो राक्षसगणों के समान हैं
किन्नर
753
ॐ किन्नरेभ्यो नमः।
Om Kinnarebhyo Namah।
जो किन्नरवर्ग के समान हैं
साध्य
754
ॐ साध्येभ्यो नमः।
Om Sadhyebhyo Namah।
जो साधकजनों के समान हैं
विद्याधर
755
ॐ विद्याधरेभ्यो नमः।
Om Vidyadharebhyo Namah।
जो विद्याधारण करने वाले गणों के समान हैं
भूत
756
ॐ भूतेभ्यो नमः।
Om Bhutebhyo Namah।
जो स्वयं भूतगणों के रूप में हैं
मनुष्य
757
ॐ मनुष्येभ्यो नमः।
Om Manushyebhyo Namah।
जो मनुष्यगणों के रूप में हैं
पशु
758
ॐ पशुभ्यो नमः।
Om Pashubhyo Namah।
जो पशुगणों के समान हैं
खग
759
ॐ खगेभ्यो नमः।
Om Khagebhyo Namah।
जो पक्षिगण स्वरूप हैं
समुद्र
760
ॐ समुद्रेभ्यो नमः।
Om Samudrebhyo Namah।
जो विभिन्न समुद्रों के रूप में विद्यमान हैं
सरित्
761
ॐ सरिद्भ्यो नमः।
Om Saridbhyo Namah।
जो नदियों के रूप में प्रवाहित होते हैं
शैल
762
ॐ शैलेभ्यो नमः।
Om Shailebhyo Namah।
जो पर्वतों के रूप में विद्यमान हैं
भूत
763
ॐ भूताय नमः।
Om Bhutaya Namah।
जो भूतकाल स्वरूप हैं
भव्य
764
ॐ भव्याय नमः।
Om Bhavyaya Namah।
जो भविष्यकाल स्वरूप हैं
भवोद्भव
765
ॐ भवोद्भवाय नमः।
Om Bhavodbhavaya Namah।
जो जगत की उत्पत्ति के कारण हैं
साङ्ख्य
766
ॐ साङ्ख्याय नमः।
Om Sankhyaya Namah।
जो कपिल मुनि प्रणीत साङ्ख्य दर्शन स्वरूप हैं
पातञ्जल
767
ॐ पातञ्जलाय नमः।
Om Patanjalaya Namah।
जो पतञ्जलि मुनि प्रणीत योगसूत्र रूप में विद्यमान हैं
योग
768
ॐ योगाय नमः।
Om Yogaya Namah।
जो नागराज शेष द्वारा प्रतिपादित योग रूप हैं
पुराण
769
ॐ पुराणेभ्यो नमः।
Om Puranebhyo Namah।
जो समस्त पुराणों के रूप में हैं
श्रुति
770
ॐ श्रुत्यै नमः।
Om Shrutyai Namah।
जो स्वयं वेदस्वरूप हैं
स्मृति
771
ॐ स्मृत्यै नमः।
Om Smrityai Namah।
जो मनुस्मृति आदि धर्मशास्त्र स्वरूप हैं
वेदाङ्ग
772
ॐ वेदाङ्गेभ्यो नमः।
Om Vedangebhyo Namah।
जो छः वेदाङ्गों के रूप में विराजमान हैं
सदाचार
773
ॐ सदाचाराय नमः।
Om Sadacharaya Namah।
जो सदाचार संग्रहात्मक ग्रन्थ स्वरूप हैं
मीमांसा
774
ॐ मीमांसायै नमः।
Om Mimamsayai Namah।
जो जैमिनि मुनि प्रणीत मीमांसा दर्शन के रूप में अवस्थित हैं
न्यायविस्तर
775
ॐ न्यायविस्तराय नमः।
Om Nyayavistaraya Namah।
जो गौतम मुनि द्वारा वर्णित न्याय दर्शन स्वरूप हैं
आयुर्वेद
776
ॐ आयुर्वेदाय नमः।
Om Ayurvedaya Namah।
जो आयुर्वेद के रूप में विद्यमान हैं
धनुर्वेद
777
ॐ धनुर्वेदाय नमः।
Om Dhanurvedaya Namah।
जो स्वयं अस्त्रविद्या अर्थात् धनुर्वेद के रूप में विराजमान हैं
गान्धर्व
778
ॐ गान्धर्वाय नमः।
Om Gandharvaya Namah।
जो संगीत शास्त्र अर्थात् गन्धर्व वेद स्वरूप हैं
काव्यनाटक
779
ॐ काव्यनाटकाय नमः।
Om Kavyanatakaya Namah।
जो साहित्य शास्त्र में वर्णित काव्य एवं नाटक के रूप में विद्यमान हैं
वैखानस
780
ॐ वैखानसाय नमः।
Om Vaikhanasaya Namah।
जो भगवान विष्णु द्वारा कथित वैखानस तन्त्र स्वरूप हैं
भागवत
781
ॐ भागवताय नमः।
Om Bhagavataya Namah।
जो स्वयं वैष्णवशास्त्र अर्थात् भागवत स्वरूप में अवस्थित हैं
सात्वत
782
ॐ सात्वताय नमः।
Om Satvataya Namah।
जो सात्वत तन्त्र स्वरूप हैं
पाञ्चरात्रक
783
ॐ पाञ्चरात्रकाय नमः।
Om Pancharatrakaya Namah।
जो पाञ्चरात्र आगम स्वरूप अर्थात् चारों वैष्णव तन्त्र स्वरूप हैं
शैव
784
ॐ शैवाय नमः।
Om Shaivaya Namah।
जो शैव तन्त्र हैं
पाशुपत
785
ॐ पाशुपताय नमः।
Om Pashupataya Namah।
जो पाशुपत शास्त्र हैं
कालामुख
786
ॐ कालामुखाय नमः।
Om Kalamukhaya Namah।
जो कालामुख नामक प्रसिद्ध तन्त्र अथवा सम्प्रदाय के स्वरूप हैं
भैरवशासन
787
ॐ भैरवशासनाय नमः।
Om Bhairavashasanaya Namah।
जो भैरव कथित चारों शैव तन्त्र के रूप में विद्यमान हैं
शाक्त
788
ॐ शाक्ताय नमः।
Om Shaktaya Namah।
जो शक्तितन्त्र हैं
वैनायक
789
ॐ वैनायकाय नमः।
Om Vainayakaya Namah।
जो विनायकतन्त्र स्वरूप हैं
सौर
790
ॐ सौराय नमः।
Om Sauraya Namah।
जो भगवान सूर्य द्वारा कथित तन्त्र स्वरूप हैं
जैन
791
ॐ जैनाय नमः।
Om Jainaya Namah।
जो स्वयं जैन शास्त्र के रूप में विद्यमान हैं
आर्हतसंहिता
792
ॐ आर्हतसंहितायै नमः।
Om Arhatasamhitayai Namah।
जो आर्हतशास्त्र अर्थात् जैन धर्म के विशिष्ट ग्रन्थ के रूप में अवस्थित हैं
सत्
793
ॐ सते नमः।
Om Sate Namah।
जो सभी के कारण के रूप में स्थित हैं
असत्
794
ॐ असते नमः।
Om Asate Namah।
जो सभी के कार्य के रूप में विद्यमान हैं
व्यक्त
795
ॐ व्यक्ताय नमः।
Om Vyaktaya Namah।
जो कार्य रूप में व्यक्त अर्थात् प्रत्यक्ष हैं
अव्यक्त
796
ॐ अव्यक्ताय नमः।
Om Avyaktaya Namah।
जो कार्य के कारण रूप में अर्थात् अप्रत्यक्ष हैं
सचेतन
797
ॐ सचेतनाय नमः।
Om Sachetanaya Namah।
जो सजीव अर्थात् चेतना से युक्त हैं
अचेतन
798
ॐ अचेतनाय नमः।
Om Achetanaya Namah।
जो निर्जीव अर्थात् चेतना से रहित हैं
बन्ध
799
ॐ बन्धाय नमः।
Om Bandhaya Namah।
जो स्वयं भ्रमरूपी बन्धन हैं
मोक्ष
800
ॐ मोक्षाय नमः।
Om Mokshaya Namah।
जो मोक्षस्वरूप हैं
सुख
801
ॐ सुखाय नमः।
Om Sukhaya Namah।
जो विशुद्ध आनन्द स्वरूप हैं
भोग
802
ॐ भोगाय नमः।
Om Bhogaya Namah।
जो अनुभव योग्य हैं
अयोग
803
ॐ अयोगाय नमः।
Om Ayogaya Namah।
जो आसक्ति रहित हैं
सत्य
804
ॐ सत्याय नमः।
Om Satyaya Namah।
जिनका तीनों कालों में निर्बाध रूप से संचार हैं
अणु
805
ॐ अणवे नमः।
Om Anave Namah।
जो मन आदि इन्द्रियों के अगोचर हैं
महान्
806
ॐ महते नमः।
Om Mahate Namah।
जो परम आनन्द स्वरूप हैं
स्वस्ति
807
ॐ स्वस्तये नमः।
Om Svastaye Namah।
जो कल्याण स्वरूप अथवा सत्ताधारी हैं
हुं
808
ॐ हुं नमः।
Om Hum Namah।
जो हुं बीज मन्त्र में विद्यमान हैं
फट्
809
ॐ फट् नमः।
Om Phat Namah।
जो बीज मन्त्र स्वरूप हैं
स्वधा
810
ॐ स्वधा नमः।
Om Svadha Namah।
जो सर्वशक्तिशाली मन्त्र अथवा श्राद्ध कर्म स्वरूप हैं
स्वाहा
811
ॐ स्वाहा नमः।
Om Svaha Namah।
जो यज्ञ कर्म स्वरूप हैं
श्रौषट्
812
ॐ श्रौषट् नमः।
Om Shraushat Namah।
जो श्रौषट् मन्त्र स्वरूप हैं
वौषट्
813
ॐ वौषट् नमः।
Om Vaushat Namah।
जो वौषट् मन्त्र स्वरूप हैं
वषण्णमः
814
ॐ वषट् नमः।
Om Vashat Namah।
जो वषट् मन्त्र स्वरूप हैं
नमो नमः
815
ॐ नमो नमः।
Om Namo Namah।
जो अभिवादन स्वरूप हैं
ज्ञान
816
ॐ ज्ञानाय नमः।
Om Jnanaya Namah।
जो मोक्षविषयक ज्ञानस्वरूप हैं
विज्ञान
817
ॐ विज्ञानाय नमः।
Om Vijnanaya Namah।
जो विज्ञान स्वरूप में विद्यमान हैं
आनन्द
818
ॐ आनन्दाय नमः।
Om Anandaya Namah।
जो आत्मानन्द स्वरूप हैं
बोध
819
ॐ बोधाय नमः।
Om Bodhaya Namah।
जो अन्तर्बोध स्वरूप अर्थात् अन्तरिन्द्रिय द्वारा जानने योग्य हैं
संविद
820
ॐ संविदे नमः।
Om Samvide Namah।
जो बाह्य वृत्तियों द्वारा दुष्प्राप्य हैं
शम
821
ॐ शमाय नमः।
Om Shamaya Namah।
जो मन के निग्रह स्वरूप हैं
यम
822
ॐ यमाय नमः।
Om Yamaya Namah।
जो इन्द्रियों पर संयम रखने वाले हैं
एक
823
ॐ एकस्मै नमः।
Om Ekasmai Namah।
जो एकमात्र अद्वितीय ब्रह्म हैं
एकाक्षराधार
824
ॐ एकाक्षराधाराय नमः।
Om Ekaksharadharaya Namah।
जो एकाक्षर गं बीजमात्र में स्थित रहने वाले हैं
एकाक्षरपरायण
825
ॐ एकाक्षरपरायणाय नमः।
Om Ekaksharaparayanaya Namah।
जो ॐ एकाक्षर में स्थित रहने वाले हैं
एकाग्रधी
826
ॐ एकाग्रधिये नमः।
Om Ekagradhiye Namah।
जो अत्यन्त एकाग्र रहने वाले हैं
एकवीर
827
ॐ एकवीराय नमः।
Om Ekaviraya Namah।
जो सर्वशक्तिमान एकमात्र वीर स्वरूप हैं
एकानेकस्वरूपधृश्
828
ॐ एकानेकस्वरूपधृषे नमः।
Om Ekanekasvarupadhrishe Namah।
जो एक होते हुए भी अनेक रूपों को धारण करने वाले हैं
द्विरूप
829
ॐ द्विरूपाय नमः।
Om Dvirupaya Namah।
जो सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में स्थित हैं
द्विभुज
830
ॐ द्विभुजाय नमः।
Om Dvibhujaya Namah।
जो दो भुजाओं वाले हैं
द्व्यक्ष
831
ॐ द्व्यक्षाय नमः।
Om Dvyakshaya Namah।
जो दो नेत्रों वाले हैं
द्विरद
832
ॐ द्विरदाय नमः।
Om Dviradaya Namah।
जो तो दाँत वाले अर्थात् गज के रूप में रहने वाले हैं
द्वीपरक्षक
833
ॐ द्वीपरक्षकाय नमः।
Om Dviparakshakaya Namah।
जो सातों द्वीपों के रक्षक हैं
द्वैमातुर
834
ॐ द्वैमातुराय नमः।
Om Dvaimaturaya Namah।
जो माता उमा और गङ्गा के पुत्र हैं
द्विवदन
835
ॐ द्विवदनाय नमः।
Om Dvivadanaya Namah।
जो दो मुख अर्थात् अग्निमुख और गजमुख वाले हैं
द्वन्द्वातीत
836
ॐ द्वन्द्वातीताय नमः।
Om Dvandvatitaya Namah।
जो शीत उष्ण आदि द्वन्द दुःखों से रहित हैं
द्व्यातिग
837
ॐ द्वयातिगाय नमः।
Om Dvayatigaya Namah।
जो रजोगुण और तमोगुण से परे हैं
त्रिधामा
838
ॐ त्रिधाम्ने नमः।
Om Tridhamne Namah।
जो सूर्य, चन्द्र और अग्नि इन तीनों तेजों से युक्त हैं
त्रिकर
839
ॐ त्रिकराय नमः।
Om Trikaraya Namah।
जो तीनों लोकों के कर्ता हैं
त्रेतात्रिवर्गफलदायक
840
ॐ त्रेतात्रिवर्गफलदायकाय नमः।
Om Tretatrivargaphaladayakaya Namah।
जो धर्म, अर्थ और काम रूपी फल प्रदान करने वाले हैं
त्रिगुणात्मा
841
ॐ त्रिगुणात्मने नमः।
Om Trigunatmane Namah।
जो सत्त्व, रज और तम तीनों गुणों से युक्त प्रकृति के आधार हैं
त्रिलोकादि
842
ॐ त्रिलोकादये नमः।
Om Trilokadaye Namah।
जो तीनों लोकों के आदि कारण हैं
त्रिशक्तीश
843
ॐ त्रिशक्तीशाय नमः।
Om Trishaktishaya Namah।
जो प्रभुशक्ति, उत्साहशक्ति और मन्त्रशक्ति नामक त्रिशक्तियों के स्वामी हैं
त्रिलोचन
844
ॐ त्रिलोचनाय नमः।
Om Trilochanaya Namah।
जो तीन नेत्र वाले हैं
चतुर्बाहु
845
ॐ चतुर्बाहवे नमः।
Om Chaturbahave Namah।
जो चार भुजाओं वाले हैं
चतुर्दन्त
846
ॐ चतुर्दन्ताय नमः।
Om Chaturdantaya Namah।
जो चार दातों वाले हैं
चतुरात्मा
847
ॐ चतुरात्मने नमः।
Om Chaturatmane Namah।
जो आत्मा, अन्तरात्मा, ज्ञानात्मा और परमात्मा नामक चार आत्माओं वाले हैं
चतुर्मुख
848
ॐ चतुर्मुखाय नमः।
Om Chaturmukhaya Namah।
जो चार मुख वाले हैं
चतुर्विधोपायमय
849
ॐ चतुर्विधोपायमयाय नमः।
Om Chaturvidhopayamayaya Namah।
जो साम, दाम, दण्ड, भेद चार उपायों से उत्पन्न फल के साधक हैं
चतुर्वर्णाश्रमाश्रय
850
ॐ चतुर्वर्णाश्रमाश्रयाय नमः।
Om Chaturvarnashramashrayaya Namah।
जो चारों वर्णों और चारों आश्रमों के आधार हैं
चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवृत्तिप्रवर्तक
851
ॐ चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवृत्तिप्रवर्तकाय नमः।
Om Chaturvidhavachovrittiparivrittipravartakaya Namah।
जो चार प्रकार की वाणी (परा, पश्यन्ति, मध्यमा, बैखरी) के अधिपति हैं
चतुर्थीपूजनप्रीत
852
ॐ चतुर्थीपूजनप्रीताय नमः।
Om Chaturthipujanapritaya Namah।
जो चतुर्थी पर पूजन से प्रसन्न होने वाले हैं
चतुर्थीतिथिसम्भव
853
ॐ चतुर्थीतिथिसम्भवाय नमः।
Om Chaturthitithisambhavaya Namah।
जो चतुर्थी तिथि पर प्रकट होने वाले हैं
पञ्चाक्षरात्मा
854
ॐ पञ्चाक्षरात्मने नमः।
Om Panchaksharatmane Namah।
जो अकार, उकार, मकार, नाद और बिन्दु (पञ्चाक्षर ॐ) में निवास करने वाले हैं
पञ्चात्मा
855
ॐ पञ्चात्मने नमः।
Om Panchatmane Namah।
जो पञ्चात्मा ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, ईश्वर और सदाशिव इन पाँच विग्रहों से युक्त हैं
पञ्चास्य
856
ॐ पञ्चास्याय नमः।
Om Panchasyaya Namah।
जो पाँच मुख वाले हैं
पञ्चकृत्यकृत्
857
ॐ पञ्चकृत्यकृते नमः।
Om Panchakrityakrite Namah।
जो सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह करने वाले हैं
पञ्चाधार
858
ॐ पञ्चाधाराय नमः।
Om Panchadharaya Namah।
जो प्रकृति के पञ्चतत्वों को धारण करने वाले हैं
पञ्चवर्ण
859
ॐ पञ्चवर्णाय नमः।
Om Panchavarnaya Namah।
जो पाँच वर्ण वाले हैं
पञ्चाक्षरपरायण
860
ॐ पञ्चाक्षरपरायणाय नमः।
Om Panchaksharaparayanaya Namah।
जो नित्य शिव पञ्चाक्षर मन्त्र (नमः शिवाय) का जाप करने वाले हैं
पञ्चताल
861
ॐ पञ्चतालाय नमः।
Om Panchatalaya Namah।
जो पाँच ताल के बराबर शरीरवाले अर्थात् वामनरूपी हैं
पञ्चकर
862
ॐ पञ्चकराय नमः।
Om Panchakaraya Namah।
जो पाँच हाथों वाले होने के कारण पञ्चकर कहे जाने जाने वाले हैं
पञ्चप्रणवभावित
863
ॐ पञ्चप्रणवभाविताय नमः।
Om Panchapranavabhavitaya Namah।
जिन्हें पञ्च प्रणव द्वारा अनुभव किया जा सकता है
पञ्चब्रह्ममयस्फूर्ति
864
ॐ पञ्चब्रह्ममयस्फूर्तये नमः।
Om Panchabrahmamayasphurtaye Namah।
जो सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईश्वर इन पाँच ब्रह्मस्वरूपों की शक्ति से युक्त हैं
पञ्चावरणवारित
865
ॐ पञ्चावरणवारिताय नमः।
Om Panchavaranavaritaya Namah।
जो अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनन्दमय इन पाँच कोषों से युक्त हैं
पञ्चभक्ष्यप्रिय
866
ॐ पञ्चभक्ष्यप्रियाय नमः।
Om Panchabhakshyapriyaya Namah।
जो पाँच प्रकार के भक्ष्य पदार्थों के प्रेमी हैं
पञ्चबाण
867
ॐ पञ्चबाणाय नमः।
Om Panchabanaya Namah।
जो कामेश्वरी उमा और कामेश्वर शिव के पाँच बीजों से युक्त हैं
पञ्चशिवात्मक
868
ॐ पञ्चशिवात्मकाय नमः।
Om Panchashivatmakaya Namah।
जो शिव के पाँच रूपों में स्थित रहने वाले हैं
षट्कोणपीठ
869
ॐ षट्कोणपीठाय नमः।
Om Shatkonapithaya Namah।
जो षट्भुज आसन पर विराजमान होने वाले हैं
षट्चक्रधामा
870
ॐ षट्चक्रधाम्ने नमः।
Om Shatchakradhamne Namah।
जो मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि एवं आज्ञा इन छः चक्रों में रहने वाले हैं
षड्ग्रन्थिभेदक
871
ॐ षड्ग्रन्थिभेदकाय नमः।
Om Shadgranthibhedakaya Namah।
जो छः प्रकार की ग्रन्थियों को भेदकर मुक्ति प्रदान करने वाले हैं
षडध्वध्वान्तविध्वंसी
872
ॐ षडध्वध्वान्तविध्वंसिने नमः।
Om Shadadhvadhvantavidhvamsine Namah।
जो छः प्रकार के अंधकारों को नष्ट करने वाले हैं
षडङ्गुलमहाह्रद
873
ॐ षडङ्गुलमहाह्रदाय नमः।
Om Shadangulamahahradaya Namah।
जो छः अंगुल गहरे नाभि वाले हैं
षण्मुख
874
ॐ षण्मुखाय नमः।
Om Shanmukhaya Namah।
जो छः शास्त्रों को मुख में धारण करने वाले हैं
षण्मुखभ्राता
875
ॐ षण्मुखभ्रात्रे नमः।
Om Shanmukhabhratre Namah।
जो छः मुख वाले कार्तिकेय के भ्राता हैं
षट्शक्तिपरिवारित
876
ॐ षट्शक्तिपरिवारिताय नमः।
Om Shatshaktiparivaritaya Namah।
जो छः प्रकार की शक्तियों से घिरे हुये हैं
षड्वैरिवर्गविध्वंसी
877
ॐ षड्वैरिवर्गविध्वंसिने नमः।
Om Shadvairivargavidhvamsine Namah।
जो काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर इन छः शत्रुओं का नाश करने वाले हैं
षडूर्मिभयभञ्जन
878
ॐ षडूर्मिभयभञ्जनाय नमः।
Om Shadurmibhayabhanjanaya Namah।
जो भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा और मृत्यु इन छः ऊर्मियों के भय का निवारण करने वाले हैं
षट्तर्कदूर
879
ॐ षट्तर्कदूराय नमः।
Om Shattarkaduraya Namah।
जो छः शास्त्रों के परे हैं
षट्कर्मनिरत
880
ॐ षट्कर्मनिरताय नमः।
Om Shatkarmanirataya Namah।
जो षट्कर्म (यजन ,याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान, प्रतिग्रह) में लीन हैं
षड्रसाश्रय
881
ॐ षड्रसाश्रयाय नमः।
Om Shadrasashrayaya Namah।
जो छः रस (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, कषाय तथा तिक्त) में स्थित हैं
सप्तपातालचरण
882
ॐ सप्तपातालचरणाय नमः।
Om Saptapatalacharanaya Namah।
तल, अतल, आदि नीचे के सात लोक जिनके चरणों के आश्रित हैं
सप्तद्वीपोरुमण्डल
883
ॐ सप्तद्वीपोरुमण्डलाय नमः।
Om Saptadviporumandalaya Namah।
जम्बू आदि सात द्वीप जिनकी जङ्घाओं के रूप में स्थित हैं
सप्तस्वर्लोकमुकुट
884
ॐ सप्तस्वर्लोकमुकुटाय नमः।
Om Saptasvarlokamukutaya Namah।
जो भू लोक से लेकर गोलोक पर्यन्त सात स्वर्लोक जिनके मुकुट हैं
सप्तसप्तिवरप्रद
885
ॐ सप्तसप्तिवरप्रदाय नमः।
Om Saptasaptivarapradaya Namah।
जो सूर्य को वर प्रदान करने वाले हैं
सप्ताङ्गराज्यसुखद
886
ॐ सप्ताङ्गराज्यसुखदाय नमः।
Om Saptangarajyasukhadaya Namah।
जो सप्तांग राज्य सुख प्रदान करने वाले हैं
सप्तर्षिगणमण्डित
887
ॐ सप्तर्षिगणमण्डिताय नमः।
Om Saptarshiganamanditaya Namah।
जो कश्यप आदि सात ऋषियों तथा गण-देवताओं से सुशोभित हैं
सप्तछन्दोनिधि
888
ॐ सप्तछन्दोनिधये नमः।
Om Saptachhandonidhaye Namah।
जो गायत्री से लेकर जगती पर्यन्त सात वैदिक छन्दों के आश्रय हैं
सप्तहोता
889
ॐ सप्तहोत्रे नमः।
Om Saptahotre Namah।
जो होता से लेकर उद्गाता पर्यन्त सात होतृगण स्वरूप हैं
सप्तस्वराश्रय
890
ॐ सप्तस्वराश्रयाय नमः।
Om Saptasvarashrayaya Namah।
जो सात स्वरों (षड्ज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पञ्चम, धैवत, निषाद) के आधार हैं
सप्ताब्धिकेलिकासार
891
ॐ सप्ताब्धिकेलिकासाराय नमः।
Om Saptabdhikelikasaraya Namah।
सातों समुद्र जिनके क्रीड़ा-सरोवर हैं
सप्तमातृनिषेवित
892
ॐ सप्तमातृनिषेविताय नमः।
Om Saptamatrinishevitaya Namah।
जो ब्राह्मी, माहेश्वरी आदि सात मातृकाओं से सेवित हैं
सप्तच्छन्दोमोदमद
893
ॐ सप्तच्छन्दोमोदमदाय नमः।
Om Saptachchhandomodamadaya Namah।
जो पथ्य नामक सात छन्दों से उत्पन्न आनन्द में लीन हैं
सप्तच्छन्दोमखप्रभु
894
ॐ सप्तच्छन्दोमखप्रभवे नमः।
Om Saptachchhandomakhaprabhave Namah।
जो सप्त छन्दों की ऊर्जा के स्रोत हैं
अष्टमूर्तिध्येयमूर्ति
895
ॐ अष्टमूर्तिध्येयमूर्तये नमः।
Om Ashtamurtidhyeyamurtaye Namah।
जो भगवान् शिव के द्वारा भी पूजनीय हैं
अष्टप्रकृतिकारण
896
ॐ अष्टप्रकृतिकारणाय नमः।
Om Ashtaprakritikaranaya Namah।
जो पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार इन आठ प्रकृतियों की उत्पत्ति के कारण हैं
अष्टाङ्गयोगफलभू
897
ॐ अष्टाङ्गयोगफलभुवे नमः।
Om Ashtangayogaphalabhuve Namah।
जो अष्टाङ्गयोग के माध्यम फल प्रदान करने वाले हैं
अष्टपत्राम्बुजासन
898
ॐ अष्टपत्राम्बुजासनाय नमः।
Om Ashtapatrambujasanaya Namah।
जो अष्टदल कमल पुष्प के आसान पर विराजमान रहने वाले हैं
अष्टशक्तिसमृद्धिश्री
899
ॐ अष्टशक्तिसमृद्धिश्रिये नमः।
Om Ashtashaktisamriddhishriye Namah।
जो तीव्रा, ज्वालिनी आदि अष्ट शक्तियों द्वारा पूजित होने के कारण श्रीसम्पन्न हैं
अष्टैश्वर्यप्रदायक
900
ॐ अष्टैश्वर्यप्रदायकाय नमः।
Om Ashtaishvaryapradayakaya Namah।
जो अणिमा आदि आठ सिद्धियों के दाता हैं
अष्टपीठोपपीठश्री
901
ॐ अष्टपीठोपपीठश्रिये नमः।
Om Ashtapithopapithashriye Namah।
जो अष्टपीठ एवं उपपीठों को ऐश्वर्य युक्त करने वाले हैं
अष्टमातृसमावृत
902
ॐ अष्टमातृसमावृताय नमः।
Om Ashtamatrisamavritaya Namah।
सप्त मातृका एवं महालक्ष्मी जिनके आवरण देव के रूप में विराजमान हैं
अष्टभैरवसेव्य
903
ॐ अष्टभैरवसेव्याय नमः।
Om Ashtabhairavasevyaya Namah।
जो बटुक आदि अष्ट भैरवों द्वारा पूजे जाने वाले हैं
अष्टवसुवन्द्य
904
ॐ अष्टवसुवन्द्याय नमः।
Om Ashtavasuvandyaya Namah।
जो धर से लेकर प्रभास तक आठ वसुओं द्वारा पूजे जाने वाले हैं
अष्टमूर्तिभृत्
905
ॐ अष्टमूर्तिभृते नमः।
Om Ashtamurtibhrite Namah।
जो अष्टमूर्ति रूप धारण करने वाले हैं
अष्टचक्रस्फुरन्मूर्ति
906
ॐ अष्टचक्रस्फुरन्मूर्तये नमः।
Om Ashtachakrasphuranmurtaye Namah।
जो अष्ट चक्र यन्त्र स्वरूप हैं
अष्टद्रव्यहविःप्रिय
907
ॐ अष्टद्रव्यहविःप्रियाय नमः।
Om Ashtadravyahavihpriyaya Namah।
जो ईख, सत्तू आदि अष्टद्रव्यों से प्रसन्न होने वाले हैं
नवनागासनाध्यासी
908
ॐ नवनागासनाध्यासिने नमः।
Om Navanagasanadhyasine Namah।
जो वासुकी, तक्षक, कुलक, कर्कोटक आदि नौ नागों के आसन पर बैठने वाले हैं
नवनिध्यनुशासिता
909
ॐ नवनिध्यनुशासित्रे नमः।
Om Navanidhyanushasitre Namah।
जो नौ निधियों पर शासन करने वाले हैं
नवद्वारपुराधार
910
ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः।
Om Navadvarapuradharaya Namah।
जो नौ द्वारों वाली मानव देह के आधार हैं
नवाधारनिकेतन
911
ॐ नवाधारनिकेतनाय नमः।
Om Navadharaniketanaya Namah।
जो कुलाकुल, सहस्रार, मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और लम्बिका इन नौ आधारों में निवास करने वाले हैं
नवनारायणस्तुत्य
912
ॐ नवनारायणस्तुत्याय नमः।
Om Navanarayanastutyaya Namah।
जो धर्म, आदि, अनन्त, बदरी, रूप, शंकर, सुन्दर, लक्ष्मी और साध्य इन नौ नारायणों द्वारा पूजित हैं
नवदुर्गानिषेवित
913
ॐ नवदुर्गानिषेविताय नमः।
Om Navadurganishevitaya Namah।
नौदुर्गा जिनकी उपासना करती हैं
नवनाथमहानाथ
914
ॐ नवनाथमहानाथाय नमः।
Om Navanathamahanathaya Namah।
जो नौ नाथों (ज्ञान, प्रकाश, सत्य, आनन्द, विमर्श, स्वभाव, सुभग, प्रतिभ और पूर्ण) के महानाथ हैं
नवनागविभूषण
915
ॐ नवनागविभूषणाय नमः।
Om Navanagavibhushanaya Namah।
जो कर्कोटक आदि नौ नागों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले हैं
नवरत्नविचित्राङ्ग
916
ॐ नवरत्नविचित्राङ्गाय नमः।
Om Navaratnavichitrangaya Namah।
जो नौ प्रकार के रत्नों से सुशोभित हैं
नवशक्तिशिरोधृत
917
ॐ नवशक्तिशिरोधृताय नमः।
Om Navashaktishirodhritaya Namah।
नवशक्तियाँ जिन्हें अपने मस्तक पर धारण करती हैं
दशात्मक
918
ॐ दशात्मकाय नमः।
Om Dashatmakaya Namah।
जो दसों दिशाओं में व्याप्त हैं
दशभुज
919
ॐ दशभुजाय नमः।
Om Dashabhujaya Namah।
जो दस भुजाओं वाले हैं
दशदिक्पतिवन्दित
920
ॐ दशदिक्पतिवन्दिताय नमः।
Om Dashadikpativanditaya Namah।
जो इन्द्र आदि दसों दिशाओं के दिक्पालों द्वारा पूजे जाने वाले हैं
दशाध्याय
921
ॐ दशाध्यायाय नमः।
Om Dashadhyayaya Namah।
जो चार वेद और छः अंगों के अध्येता हैं
दशप्राण
922
ॐ दशप्राणाय नमः।
Om Dashapranaya Namah।
जो प्राण, अपान, व्यान आदि दस प्रकार के प्राणों से युक्त हैं
दशेन्द्रियनियामक
923
ॐ दशेन्द्रियनियामकाय नमः।
Om Dashendriyaniyamakaya Namah।
जो पाँच ज्ञानेन्द्रियों एवं पाँच कर्मेन्द्रियों को वश में रखने वाले हैं
दशाक्षरमहामन्त्र
924
ॐ दशाक्षरमहामन्त्राय नमः।
Om Dashaksharamahamantraya Namah।
जो दस अक्षरवाले (ॐ हस्तिपिशाचिनी हुं स्वाहा) महामन्त्रस्वरूप स्वरूप हैं
दशाशाव्यापिविग्रह
925
ॐ दशाशाव्यापिविग्रहाय नमः।
Om Dashashavyapivigrahaya Namah।
जो दशों दिशाओं में व्याप्त शरीर वाले हैं
एकादशादि रुद्र स्तुत
926
ॐ एकदशादिभिः रुद्रैः स्तुताय नमः।
Om Ekadashadibhih Rudraih Stutaya Namah।
जो ग्यारह से लेकर एक हजार तक रुद्रों द्वारा पूजित हैं
एकादशाक्षर
927
ॐ एकादशाक्षराय नमः।
Om Ekadashaksharaya Namah।
जो ग्यारह अक्षर मन्त्र स्वरूप हैं
द्वादशोद्दण्डदोर्दण्ड
928
ॐ द्वादशोद्दण्डदोर्दण्डाय नमः।
Om Dvadashoddandadordandaya Namah।
जो बारह भुजाओं वाले दण्डधारी स्वरूप में विरजमान हैं
द्वादशान्तनिकेतन
929
ॐ द्वादशान्तनिकेतनाय नमः।
Om Dvadashantaniketanaya Namah।
जो ललाट से लेकर ब्रह्मरन्ध्र तक अर्थात् द्वादशान्त में निवास करने हैं
त्रयोदशभिदाभिन्नविश्वेदेवाधिदैवत
930
ॐ त्रयोदशभिदाभिन्नविश्वेदेवाधिदैवताय नमः।
Om Trayodashabhidabhinnavishvedevadhidaivataya Namah।
जो तेरह विश्वेदेवों के अधिदेवता हैं
चतुर्दशेन्द्रवरद
931
ॐ चतुर्दशेन्द्रवरदाय नमः।
Om Chaturdashendravaradaya Namah।
जो चौदह प्रकार के इन्द्रों को वर प्रदान करने वाले हैं
चतुर्दशमनुप्रभु
932
ॐ चतुर्दशमनुप्रभवे नमः।
Om Chaturdashamanuprabhave Namah।
जो चौदह प्रकार के मनुओं के अधिपति हैं
चतुर्दशादिविद्याढ्य
933
ॐ चतुर्दशादिविद्याढ्याय नमः।
Om Chaturdashadividyadhyaya Namah।
जो चौदह प्रकार की विद्याओं में पारंगत हैं
चतुर्दशजगत्प्रभु
934
ॐ चतुर्दशजगत्प्रभवे नमः।
Om Chaturdashajagatprabhave Namah।
जो चौदह भुवनों (सप्त ऊर्ध्वलोक एवं सप्त पाताल लोक) के स्वामी हैं
सामपञ्चदश
935
ॐ सामपञ्चदशाय नमः।
Om Samapanchadashaya Namah।
जो सामवेद के पन्द्रह भागों के रूप में विद्यमान हैं
पञ्चदशीशीतांशुनिर्मल
936
ॐ पञ्चदशीशीतांशुनिर्मलाय नमः।
Om Panchadashishitamshunirmalaya Namah।
जो पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं
षोडशाधारनिलय
937
ॐ षोडशाधारनिलयाय नमः।
Om Shodashadharanilayaya Namah।
जो मानव शरीर के सोलह आधारों के रूप में स्थित रहने वाले हैं
षोडशस्वरमातृक
938
ॐ षोडशस्वरमातृकाय नमः।
Om Shodashasvaramatrikaya Namah।
जो सोलह स्वर अक्षर स्वरूप हैं
षोडशान्तपदावास
939
ॐ षोडशान्तपदावासाय नमः।
Om Shodashantapadavasaya Namah।
जो षोडशान्त (ब्रह्मरन्ध्र अन्तर्गत) में निवास करने वाले हैं
षोडशेन्दुकलात्मक
940
ॐ षोडशेन्दुकलात्मकाय नमः।
Om Shodashendukalatmakaya Namah।
जो अमृता और मानिनी आदि सोलह कलाओं से युक्त चन्द्र के समान हैं
कलासप्तदशी
941
ॐ कलासप्तदश्यै नमः।
Om Kalasaptadashyai Namah।
जो त्रिपुरागम में प्रसिद्ध सप्तदशी नामक कलास्वरूप हैं
सप्तदश
942
ॐ सप्तदशाय नमः।
Om Saptadashaya Namah।
जो सत्रह यज्ञों के स्वरूप हैं
सप्तदशाक्षर
943
ॐ सप्तदशाक्षराय नमः।
Om Saptadashaksharaya Namah।
जो सत्रह अक्षर वाले मन्त्र में स्थित हैं
अष्टादशद्वीपपति
944
ॐ अष्टादशद्वीपपतये नमः।
Om Ashtadashadvipapataye Namah।
जो अठारह द्वीपों के अधिपति हैं
अष्टादशपुराणकृत्
945
ॐ अष्टादशपुराणकृते नमः।
Om Ashtadashapuranakrite Namah।
जो अठारह पुराणों के रचीयता हैं
अष्टादशौषधीसृष्टि
946
ॐ अष्टादशौषधीसृष्टये नमः।
Om Ashtadashaushadhisrishtaye Namah।
जो अठारह प्रकार की औषधियों के उत्पत्तिकर्ता हैं
अष्टादशविधिस्मृत
947
ॐ अष्टादशविधिस्मृताय नमः।
Om Ashtadashavidhismritaya Namah।
जो मीमांसा दर्शन द्वारा प्रतिपादित अठारह प्रकार की विधियों के समान हैं
अष्टादशलिपिव्यष्टिसमष्टिज्ञानकोविद
948
ॐ अष्टादशलिपिव्यष्टिसमष्टिज्ञानकोविदाय नमः।
Om Ashtadashalipivyashtisamashtijnanakovidaya Namah।
जो अठारह प्रकार की लिपियों का ज्ञान रखने वाले हैं
एकविंश पुमान्
949
ॐ एकविंशाय पुंसे नमः।
Om Ekavimshaya Pumse Namah।
जो पञ्च ज्ञानेन्द्रिय आदि से परे इक्कीसवे तत्त्व हैं
एकविंशत्यङ्गुलिपल्लव
950
ॐ एकविंशत्यङ्गुलिपल्लवाय नमः।
Om Ekavimshatyangulipallavaya Namah।
जो इक्कीस कोमल अंगुलियों एवं एक सूँड वाले हैं
चतुर्विंशतितत्त्वात्मा
951
ॐ चतुर्विंशतितत्त्वात्मने नमः।
Om Chaturvimshatitattvatmane Namah।
जो चौबीस तत्व वाले हैं
पञ्चविंशाख्यपूरुष
952
ॐ पञ्चविंशाख्यपूरुषाय नमः।
Om Panchavimshakhyapurushaya Namah।
जो चौबीस तत्वों से परे पच्चीसवें पुरुष हैं
सप्तविंशतितारेश
953
ॐ सप्तविंशतितारेशाय नमः।
Om Saptavimshatitareshaya Namah।
जो अश्विनी आदि सत्ताईस नक्षत्रों के स्वामी हैं
सप्तविंशतियोगकृत्
954
ॐ सप्तविंशतियोगकृते नमः।
Om Saptavimshatiyogakrite Namah।
जो सत्ताईस योगों के कर्ता हैं
द्वात्रिंशद्भैरवाधीश
955
ॐ द्वात्रिंशद्भैरवाधीशाय नमः।
Om Dvatrimshadbhairavadhishaya Namah।
जो बत्तीस प्रकार के भैरवों के स्वामी हैं
चतुस्त्रिंशन्महाह्रद
956
ॐ चतुस्त्रिंशन्महाह्रदाय नमः।
Om Chatustrimshanmahahradaya Namah।
जो चौंतीस सरोवरों से भी विशाल सरोवर स्वरूप हैं
षट्त्रिंशत्तत्त्वसम्भूति
957
ॐ षट्त्रिंशत्तत्त्वसम्भूतये नमः।
Om Shattrimshattattvasambhutaye Namah।
जो छत्तीस तत्वों (सिद्धान्तों) के स्वामी हैं
अष्टात्रिंशत्कलातनु
958
ॐ अष्टात्रिंशत्कलातनवे नमः।
Om Ashtatrimshatkalatanave Namah।
जो अड़तीस कलाओं से युक्त हैं
नमदेकोनपञ्चाशन्मरुद्वर्गनिरर्गल
959
ॐ नमदेकोनपञ्चाशन्मरुद्वर्गनिरर्गलाय नमः।
Om Namadekonapanchashanmarudvarganirargalaya Namah।
जो उनचास प्रकार के मरुत गणों के विघ्न दूर करने वाले हैं
पञ्चाशदक्षरश्रेणि
960
ॐ पञ्चाशदक्षरश्रेण्यै नमः।
Om Panchashadaksharashrenyai Namah।
जो संस्कृत वर्णमाला में पचास अक्षर की श्रृंखला हैं
पञ्चाशद्रुद्रविग्रह
961
ॐ पञ्चाशद्रुद्रविग्रहाय नमः।
Om Panchashadrudravigrahaya Namah।
जो पचास प्रकार के रुद्रों के रूप में स्थित हैं
पञ्चाशद्विष्णुशक्तीश
962
ॐ पञ्चाशद्विष्णुशक्तीशाय नमः।
Om Panchashadvishnushaktishaya Namah।
जो पचास प्रकार की विष्णु शक्तियों के स्वामी हैं
पञ्चाशन्मातृकालय
963
ॐ पञ्चाशन्मातृकालयाय नमः।
Om Panchashanmatrikalayaya Namah।
जो पचास प्रकार के मातृका वर्ण के रूप में स्थित हैं
द्विपञ्चाशद्वपुःश्रेणि
964
ॐ द्विपञ्चाशद्वपुःश्रेण्यै नमः।
Om Dvipanchashadvapuhshrenyai Namah।
जो लिङ्गपुराण कथित बावन प्रकार की शारीरिक संरचना के स्वामी हैं
त्रिषष्ट्यक्षरसंश्रय
965
ॐ त्रिषष्ट्यक्षरसंश्रयाय नमः।
Om Trishashtyaksharasamshrayaya Namah।
जो तिरसठ अक्षरों के आधार हैं
चतुष्षष्ट्यर्णनिर्णेता
966
ॐ चतुष्षष्ट्यर्णनिर्णेत्रे नमः।
Om Chatushshashtyarnanirnetre Namah।
जो चौंसठ अक्षरों के निर्णायक हैं
चतुःषष्टिकलानिधि
967
ॐ चतुःषष्टिकलानिधये नमः।
Om Chatuhshashtikalanidhaye Namah।
जो चौंसठ कलाओं के ज्ञाता हैं
चतुष्षष्टिमहासिद्धयोगिनीवृन्दवन्दित
968
ॐ चतुष्षष्टिमहासिद्धयोगिनीवृन्दवन्दिताय नमः।
Om Chatushshashtimahasiddhayoginivrindavanditaya Namah।
जो अक्षोभ्य आदि चौंसठ महासिद्धों और उतनी ही योगिनियों द्वारा पूजित हैं
अष्टषष्टिमहातीर्थक्षेत्रभैरवभावन
969
ॐ अष्टषष्टिमहातीर्थक्षेत्रभैरवभावनाय नमः।
Om Ashtashashtimahatirthakshetrabhairavabhavanaya Namah।
जो शिव के अड़सठ महतीर्थों में स्थित भैरव द्वारा पूजे जाने वाले हैं
चतुर्नवतिमन्त्रात्मा
970
ॐ चतुर्नवतिमन्त्रात्मने नमः।
Om Chaturnavatimantratmane Namah।
जो चौरानबे मूल मन्त्रों के रूप में स्थित हैं
षण्णवत्यधिकप्रभु
971
ॐ षण्णवत्यधिकप्रभवे नमः।
Om Shannavatyadhikaprabhave Namah।
जो तन्त्रराज तन्त्र में वर्णित छियानबे से अधिक देवताओं के अधिपति हैं
शतानन्द
972
ॐ शतानन्दाय नमः।
Om Shatanandaya Namah।
जो मानुष आदि से सेकड़ों गुना प्रसन्न रहने वाले हैं
शतधृति
973
ॐ शतधृतये नमः।
Om Shatadhritaye Namah।
जो अनन्त ब्रह्माण्ड को धारण करने वाले हैं
शतपत्रायतेक्षण
974
ॐ शतपत्रायतेक्षणाय नमः।
Om Shatapatrayatekshanaya Namah।
जो कमल के समान विशाल नयनों वाले हैं
शतानीक
975
ॐ शतानीकाय नमः।
Om Shatanikaya Namah।
जो अनन्त सैनिकों के स्वामी हैं
शतमख
976
ॐ शतमखाय नमः।
Om Shatamakhaya Namah।
जो सौ यज्ञों का अनुष्ठान करने वाले इन्द्रस्वरूप हैं
शतधारावरायुध
977
ॐ शतधारावरायुधाय नमः।
Om Shatadharavarayudhaya Namah।
जो सौ धारों से युक्त तीक्ष्ण वज्र धारण करने वाले हैं
सहस्रपत्रनिलय
978
ॐ सहस्रपत्रनिलयाय नमः।
Om Sahasrapatranilayaya Namah।
जो सहस्रार चक्र में स्थित रहने वाले हैं
सहस्रफणभूषण
979
ॐ सहस्रफणभूषणाय नमः।
Om Sahasraphanabhushanaya Namah।
जो सहस्र फन वाले नाग से सुशोभित हैं
सहस्रशीर्षा पुरुष
980
ॐ सहस्रशीर्ष्णे पुरुषाय नमः।
Om Sahasrashirshne Purushaya Namah।
जो असंख्य मस्तक वाले हैं
सहस्राक्ष
981
ॐ सहस्राक्षाय नमः।
Om Sahasrakshaya Namah।
जो सहस्र नेत्रों वाले हैं
सहस्रपात्
982
ॐ सहस्रपदे नमः।
Om Sahasrapade Namah।
जो सहस्र पैरों वाले हैं
सहस्रनामसंस्तुत्य
983
ॐ सहस्रनामसंस्तुत्याय नमः।
Om Sahasranamasamstutyaya Namah।
जिनकी स्तुति सहस्र नामों द्वारा की जाती है
सहस्राक्षबलापह
984
ॐ सहस्राक्षबलापहाय नमः।
Om Sahasrakshabalapahaya Namah।
जो इन्द्र के बल को भी विध्वस्त कर देने वाले हैं
दशसहस्रफणिभृत्फणिराजकृतासन
985
ॐ दशसाहस्रफणिभृत्फणिराजकृतासनाय नमः।
Om Dashasahasraphanibhritphanirajakritasanaya Namah।
जो दस हजार फण धारण करने वाले नागराज वासुकि के ऊपर आसीन हैं
अष्टाशीतिसहस्रौघमहर्षिस्तोत्रयन्त्रित
986
ॐ अष्टाशीतिसहस्राद्यमहर्षिस्तोत्रयन्त्रिताय नमः।
Om Ashtashitisahasradyamaharshistotrayantritaya Namah।
जो अट्ठासी हजार आद्य महर्षियों की स्तुति एवं श्रद्धा के बन्धन में हैं
लक्षाधीशप्रियाधार
987
ॐ लक्षाधीशप्रियाधाराय नमः।
Om Lakshadhishapriyadharaya Namah।
जो लक्षपतियों के प्रिय आधार हैं
लक्षाधीशमनोमय
988
ॐ लक्षाधीशमनोमयाय नमः।
Om Lakshadhishamanomayaya Namah।
जो एकाग्रचित्त एवं सत्पुरुष स्वरूप हैं
चतुर्लक्षजपप्रीत
989
ॐ चतुर्लक्षजपप्रीताय नमः।
Om Chaturlakshajapapritaya Namah।
जो चार लाख मन्त्र जप द्वारा प्रसन्न होने वाले हैं
चतुर्लक्षप्रकाशित
990
ॐ चतुर्लक्षप्रकाशिताय नमः।
Om Chaturlakshaprakashitaya Namah।
जो अठारह पुराणों में वर्णित चार लाख श्लोकों द्वारा वर्णित रूप वाले हैं
चतुरशीतिलक्षाणां जीवानां देहसंस्थित
991
ॐ चतुरशीतिलक्षाणां जीवानां देहसंस्थिताय नमः।
Om Chaturashitilakshanam Jivanam Dehasamsthitaya Namah।
जो चौरासी लाख जीवों के शरीर में विराजमान हैं
कोटिसूर्यप्रतीकाश
992
ॐ कोटिसूर्यप्रतीकाशाय नमः।
Om Kotisuryapratikashaya Namah।
जो करोड़ों सूर्य के समान तेज वाले हैं
कोटिचन्द्रांशुनिर्मल
993
ॐ कोटिचन्द्रांशुनिर्मलाय नमः।
Om Kotichandramshunirmalaya Namah।
जो करोड़ों चन्द्रमा के समान निर्मल हैं
शिवाभवाध्युष्टकोटिविनायकधुरन्धर
994
ॐ शिवाभवाध्युष्टकोटिविनायकधुरन्धराय नमः।
Om Shivabhavadhyushtakotivinayakadhurandharaya Namah।
जो करोड़ो विनायकों का नेतृत्व करने वाले हैं
सप्तकोटिमहामन्त्रमन्त्रितावयवद्युति
995
ॐ सप्तकोटिमहामन्त्रमन्त्रितावयवद्युतये नमः।
Om Saptakotimahamantramantritavayavadyutaye Namah।
जो सात करोड़ मन्त्रों का तेज धारण करने वाले हैं
त्रयस्त्रिंशत्कोटिसुरश्रेणीप्रणतपादुक
996
ॐ त्रयस्त्रिंशत्कोटिसुरश्रेणीप्रणतपादुकाय नमः।
Om Trayastrimshatkotisurashrenipranatapadukaya Namah।
तैंतीस कोटि देव जिनकी चरण पादुकाओं को प्रणाम करते हैं
अनन्तनाम
997
ॐ अनन्तनाम्ने नमः।
Om Anantanamne Namah।
जो अनन्त नामों वाले हैं
अनन्तश्री
998
ॐ अनन्तश्रिये नमः।
Om Anantashriye Namah।
जो अनन्त विद्या एवं सम्पत्ति वाले हैं
अनन्तानन्तसौख्यद
999
ॐ अनन्तानन्तसौख्यदाय नमः।
Om Anantanantasaukhyadaya Namah।
जो अनन्त प्रकार की धन-सम्पदा एवं सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले हैं




