ॐ साईं राम

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Ganesh ji Sahasranamavali

Ganesh ji Sahasranamavali

गणेश्वर

1

ॐ गणेश्वराय नमः।

Om Ganeshvaraya Namah।

जो सृष्टि के स्वामी हैं

गणक्रीड

2

ॐ गणक्रीडाय नमः।

Om Ganakridaya Namah।

जो गणों के साथ क्रीडा करने वाले हैं

गणनाथ

3

ॐ गणनाथाय नमः।

Om Gananathaya Namah।

जो गणों के नाथ अथवा स्वामी हैं

गणाधिप

4

ॐ गणाधिपाय नमः।

Om Ganadhipaya Namah।

जो आदित्य आदि गणदेवताओं के अधिपति हैं

एकदंष्ट्र

5

ॐ एकदंष्ट्राय नमः।

Om Ekadamshtraya Namah।

जो एक दाँत वाले हैं

वक्रतुण्ड

6

ॐ वक्रतुण्डाय नमः।

Om Vakratundaya Namah।

जो मुड़ी हुयी सूँड वाले हैं

गजवक्त्र

7

ॐ गजवक्त्राय नमः।

Om Gajavaktraya Namah।

जो हाथी के समान मुख वाले हैं

महोदर

8

ॐ महोदराय नमः।

Om Mahodaraya Namah।

जो विशाल उदर वाले हैं

लम्बोदर

9

ॐ लम्बोदराय नमः।

Om Lambodaraya Namah।

जो लम्बे उदर वाले हैं

धूम्रवर्ण

10

ॐ धूम्रवर्णाय नमः।

Om Dhumravarnaya Namah।

जिनकी देह धुएँ के रंग की है

विकट

11

ॐ विकटाय नमः।

Om Vikataya Namah।

जो विशाल देह वाले हैं

विघ्ननाशक

12

ॐ विघ्ननाशकाय नमः।

Om Vighnanashakaya Namah।

जो विघ्नों का नाश करने वाले हैं

सुमुख

13

ॐ सुमुखाय नमः।

Om Sumukhaya Namah।

जो सदैव प्रसन्नचित्त रहने वाले हैं

दुर्मुख

14

ॐ दुर्मुखाय नमः।

Om Durmukhaya Namah।

जो चञ्चल मुख वाले हैं

बुद्ध

15

ॐ बुद्धाय नमः।

Om Buddhaya Namah।

जो ज्ञानवान एवं चतुर हैं

विघ्नराज

16

ॐ विघ्नराजाय नमः।

Om Vighnarajaya Namah।

जो समस्त विघ्नों के स्वामी हैं

गजानन

17

ॐ गजाननाय नमः।

Om Gajananaya Namah।

जिनका शीश हाथी का है

भीम

18

ॐ भीमाय नमः।

Om Bhimaya Namah।

जो विशाल एवं कठोर हैं

प्रमोद

19

ॐ प्रमोदाय नमः।

Om Pramodaya Namah।

जो आनन्ददायक साधन प्रदान करने वाले हैं

आमोद

20

ॐ आमोदाय नमः।

Om Amodaya Namah।

जो सदैव उत्साहित रहने वाले हैं

सुरानन्द

21

ॐ सुरानन्दाय नमः।

Om Suranandaya Namah।

जो शिवगणों को प्रसन्नता प्रदान करने वाले हैं

मदोत्कट

22

ॐ मदोत्कटाय नमः।

Om Madotkataya Namah।

जो निष्कपट एवं मेधावी हैं

हेरम्ब

23

ॐ हेरम्बाय नमः।

Om Herambaya Namah।

जो दुर्बलों की रक्षा करने वाले हैं

शम्बर

24

ॐ शम्बराय नमः।

Om Shambaraya Namah।

जो जल के रूप में निवास करने वाले हैं

शम्भु

25

ॐ शम्भवे नमः।

Om Shambhave Namah।

जो आनन्द प्रदान करने वाले हैं

लम्बकर्ण

26

ॐ लम्बकर्णाय नमः।

Om Lambakarnaya Namah।

जो बड़े कानों वाले हैं

महाबल

27

ॐ महाबलाय नमः।

Om Mahabalaya Namah।

जो अत्यन्त सुदृढ़ एवं साहसी हैं

नन्दन

28

ॐ नन्दनाय नमः।

Om Nandanaya Namah।

जो युवा हैं

अलम्पट

29

ॐ अलम्पटाय नमः।

Om Alampataya Namah।

जो सुन्दर वस्त्र धारण करने वाले हैं

अभीरु

30

ॐ अभीरवे नमः।

Om Abhirave Namah।

जो निर्भीक हैं

मेघनाद

31

ॐ मेघनादाय नमः।

Om Meghanadaya Namah।

जो मेघों के समान गर्जना करने वाले हैं

गणञ्जय

32

ॐ गणञ्जयाय नमः।

Om Gananjayaya Namah।

जो दुष्टों पर विजय पाने वाले हैं

विनायक

33

ॐ विनायकाय नमः।

Om Vinayakaya Namah।

जो सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ हैं

विरूपाक्ष

34

ॐ विरूपाक्षाय नमः।

Om Virupakshaya Namah।

जो सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि को नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं

धीरशूर

35

ॐ धीरशूराय नमः।

Om Dhirashuraya Namah।

जो अत्यन्त शूरवीर हैं

वरप्रद

36

ॐ वरप्रदाय नमः।

Om Varapradaya Namah।

जो वर प्रदान करने वाले हैं

महागणपति

37

ॐ महागणपतये नमः।

Om Mahaganapataye Namah।

जो सर्वशक्तिमान हैं

बुद्धिप्रिय

38

ॐ बुद्धिप्रियाय नमः।

Om Buddhipriyaya Namah।

जो ज्ञान के प्रशंसक हैं

क्षिप्रप्रसादन

39

ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः।

Om Kshipraprasadanaya Namah।

जो शीघ्र वर प्रदान करने वाले हैं

रुद्रप्रिय

40

ॐ रुद्रप्रियाय नमः।

Om Rudrapriyaya Namah।

जो रुद्र मन्त्र के प्रशंसक हैं

गणाध्यक्ष

41

ॐ गणाध्यक्षाय नमः।

Om Ganadhyakshaya Namah।

जो छत्तीस सिद्धान्तों की रक्षा करने वाले हैं

उमापुत्र

42

ॐ उमापुत्राय नमः।

Om Umaputraya Namah।

जो देवी उमा के पुत्र हैं

अघनाशन

43

ॐ अघनाशनाय नमः।

Om Aghanashanaya Namah।

जो पापों का नाश करने वाले हैं

कुमारगुरु

44

ॐ कुमारगुरवे नमः।

Om Kumaragurave Namah।

जो भगवान कार्तिकेय के गुरु हैं

ईशानपुत्र

45

ॐ ईशानपुत्राय नमः।

Om Ishanaputraya Namah।

जो भगवान शिव के पुत्र हैं

मूषकवाहन

46

ॐ मूषकवाहनाय नमः।

Om Mushakavahanaya Namah।

जो मूषक को अपने वाहन के रूप में रखने वाले हैं

सिद्धिप्रिय

47

ॐ सिद्धिप्रियाय नमः।

Om Siddhipriyaya Namah।

जो सिद्धि प्रदान करने वाले हैं

सिद्धिपति

48

ॐ सिद्धिपतये नमः।

Om Siddhipataye Namah।

जो समस्त सिद्धियों के स्वामी हैं

सिद्धि

49

ॐ सिद्धये नमः।

Om Siddhaye Namah।

जो स्वयं सिद्धि स्वरूप हैं

सिद्धिविनायक

50

ॐ सिद्धिविनायकाय नमः।

Om Siddhivinayakaya Namah।

जो सफलता प्रदान करने वाले हैं

अविघ्न

51

ॐ अविघ्नाय नमः।

Om Avighnaya Namah।

जो अज्ञान को नष्ट करने वाले हैं

तुम्बरु

52

ॐ तुम्बुरवे नमः।

Om Tumburave Namah।

जो तुम्बुरु नामक वाद्ययन्त्र से प्रसन्न होने वाले हैं

सिंहवाहन

53

ॐ सिंहवाहनाय नमः।

Om Simhavahanaya Namah।

जो सिंह के वाहन पर आरूढ़ रहने वाले हैं

मोहिनीप्रिय

54

ॐ मोहिनीप्रियाय नमः।

Om Mohinipriyaya Namah।

जो मोहिनी के प्रिय हैं

कटङ्कट

55

ॐ कटङ्कटाय नमः।

Om Katankataya Namah।

जो अज्ञान का नाश करने वाले हैं

राजपुत्र

56

ॐ राजपुत्राय नमः।

Om Rajaputraya Namah।

जो राजा वरेण्य के पुत्र हैं

शालक

57

ॐ शालकाय नमः।

Om Shalakaya Namah।

जो शान्त एवं संयमित रहने वाले हैं

सम्मित

58

ॐ सम्मिताय नमः।

Om Sammitaya Namah।

जो आकार प्रकार में समान एवं अनुरूप हैं

अमित

59

ॐ अमिताय नमः।

Om Amitaya Namah।

जो असीमित हैं

कूष्माण्डसामसम्भूति

60

ॐ कूष्माण्डसामसम्भूतये नमः।

Om Kushmandasamasambhutaye Namah।

जो वेदों को अपनी सम्पत्ति मानने वाले हैं

दुर्जय

61

ॐ दुर्जयाय नमः।

Om Durjayaya Namah।

जो अपराजेय हैं

धूर्जय

62

ॐ धूर्जयाय नमः।

Om Dhurjayaya Namah।

जो दुर्जनों को जीतने वाले हैं

जय

63

ॐ जयाय नमः।

Om Jayaya Namah।

जो विजयी हैं

भूपति

64

ॐ भूपतये नमः।

Om Bhupataye Namah।

जो देवों के देव हैं

भुवनपति

65

ॐ भुवनपतये नमः।

Om Bhuvanapataye Namah।

जो संसार के स्वामी हैं

भूतानां पति

66

ॐ भूतानां पतये नमः।

Om Bhutanam Pataye Namah।

जो पञ्च तत्वों के अधिपति हैं

अव्यय

67

ॐ अव्ययाय नमः।

Om Avyayaya Namah।

जो अमर हैं

विश्वकर्ता

68

ॐ विश्वकर्त्रे नमः।

Om Vishvakartre Namah।

जो सृष्टि के निर्माता हैं

विश्वमुख

69

ॐ विश्वमुखाय नमः।

Om Vishvamukhaya Namah।

जो मुख के रूप में सृष्टि धारण किये हुये हैं

विश्वरूप

70

ॐ विश्वरूपाय नमः।

Om Vishvarupaya Namah।

जो सम्पूर्ण सृष्टि के रूप में हैं

निधि

71

ॐ निधये नमः।

Om Nidhaye Namah।

जो नौ निधियाँ प्रदान करने वाले हैं

घृणि

72

ॐ घृणये नमः।

Om Ghrinaye Namah।

जो सूर्य के रूप में प्रतिष्ठित हैं

कवि

73

ॐ कवये नमः।

Om Kavaye Namah।

जो कवि हैं

कवीनामृषभ

74

ॐ कवीनामृषभाय नमः।

Om Kavinamrishabhaya Namah।

जो कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि हैं

ब्रह्मण्य

75

ॐ ब्रह्मण्याय नमः।

Om Brahmanyaya Namah।

जो ब्रह्मा के रक्षक हैं

ब्रह्मणस्पति

76

ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः।

Om Brahmanaspataye Namah।

जो वाणी के स्वामी हैं

ज्येष्ठराज

77

ॐ ज्येष्ठराजाय नमः।

Om Jyeshtharajaya Namah।

जो सामवेद के अनुसार सबसे बड़े हैं

निधिपति

78

ॐ निधिपतये नमः।

Om Nidhipataye Namah।

जो निधियों के अभिरक्षक हैं

निधिप्रियपतिप्रिय

79

ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः।

Om Nidhipriyapatipriyaya Namah।

कुबेर भी जिनकी पूजा करते हैं

हिरण्मयपुरान्तःस्थ

80

ॐ हिरण्मयपुरान्तःस्थाय नमः।

Om Hiranmayapurantahsthaya Namah।

जो गहरे विचारों में मग्न रहने वाले हैं

सूर्यमण्डलमध्यग

81

ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः।

Om Suryamandalamadhyagaya Namah।

जो सूर्यमण्डल में निवास करने वाले हैं

कराहतिविध्वस्तसिन्धुसलिल

82

ॐ कराहतिविध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः।

Om Karahatividhvastasindhusalilaya Namah।

जो अपनी सूँड से समुद्र सूखा देने वाले हैं

पूषदन्तभित्

83

ॐ पूषदन्तभिदे नमः।

Om Pushadantabhide Namah।

जो पूषा का दाँत खण्डित करने वाले हैं

उमाङ्ककेलिकुतुकी

84

ॐ उमाङ्ककेलिकुतुकिने नमः।

Om Umankakelikutukine Namah।

जो माता उमा की गोद में हर्षित होने वाले हैं

मुक्तिद

85

ॐ मुक्तिदाय नमः।

Om Muktidaya Namah।

जो मुक्ति प्रदान करने वाले हैं

कुलपालन

86

ॐ कुलपालनाय नमः।

Om Kulapalanaya Namah।

जो कुल का पालन/रक्षा करने वाले हैं

किरीटी

87

ॐ किरीटिने नमः।

Om Kiritine Namah।

जो सुन्दर मुकुट धारण करने वाले हैं

कुण्डली

88

ॐ कुण्डलिने नमः।

Om Kundaline Namah।

जो कुण्डल धारण करने वाले हैं

हारी

89

ॐ हारिणे नमः।

Om Harine Namah।

जो मोतियों का हार धारण किये हुये हैं

वनमाली

90

ॐ वनमालिने नमः।

Om Vanamaline Namah।

जो सुन्दर पुष्पों के हार से सुशोभित हैं

मनोमय

91

ॐ मनोमयाय नमः।

Om Manomayaya Namah।

जो अपने मन की करने वाले हैं

वैमुख्यहतदैत्यश्री

92

ॐ वैमुख्यहतदैत्यश्रिये नमः।

Om Vaimukhyahatadaityashriye Namah।

जो अश्रद्धावान का वैभव हरने वाले हैं

पादाहतिजितक्षिति

93

ॐ पादाहतिजितक्षितये नमः।

Om Padahatijitakshitaye Namah।

जो अपने चरणों से पृथ्वी का अहङ्कार नष्ट करने वाले हैं

सद्योजातस्वर्णमुञ्जमेखली

94

ॐ सद्योजातस्वर्णमुञ्जमेखलिने नमः।

Om Sadyojatasvarnamunjamekhaline Namah।

जो कमर में कुशा घास की मेखला धारण करने वाले हैं

दुर्निमित्तहृत्

95

ॐ दुर्निमित्तहृते नमः।

Om Durnimittahrite Namah।

जो अशुभ शकुनों का नाश करने वाले हैं

दुःस्वप्नहृत्

96

ॐ दुःस्वप्नहृते नमः।

Om Duhsvapnahrite Namah।

जो दुःस्वप्न का नाश करने वाले हैं

प्रसहन

97

ॐ प्रसहनाय नमः।

Om Prasahanaya Namah।

जो दोषों को सहन करने वाले हैं

गुणी

98

ॐ गुणिने नमः।

Om Gunine Namah।

जो समस्त गुणों के स्वामी हैं

नादप्रतिष्ठित

99

ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः।

Om Nadapratishthitaya Namah।

जो सङ्गीत में विद्यमान रहने वाले हैं

सुरूप

100

ॐ सुरूपाय नमः।

Om Surupaya Namah।

जो सुन्दर रूप वाले हैं

सर्वनेत्राधिवास

101

ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः।

Om Sarvanetradhivasaya Namah।

जो सभी के नेत्रों में विद्यमान रहने वाले हैं

वीरासनाश्रय

102

ॐ वीरासनाश्रयाय नमः।

Om Virasanashrayaya Namah।

जो सुदृढ़ता से डटे रहने वाले हैं

पीताम्बर

103

ॐ पीताम्बराय नमः।

Om Pitambaraya Namah।

जो पीत वस्त्र धारण करने वाले हैं

खण्डरद

104

ॐ खण्डरदाय नमः।

Om Khandaradaya Namah।

जिनका एक दाँत खण्डित है

खण्डेन्दुकृतशेखर

105

ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः।

Om Khandendukritashekharaya Namah।

जिनके घुँघराले बालों में अर्धचन्द्र सुशोभित है

चित्राङ्कश्यामदशन

106

ॐ चित्राङ्कश्यामदशनाय नमः।

Om Chitrankashyamadashanaya Namah।

जो विचित्र रंग-बिरंगे दाँत वाले हैं

भालचन्द्र

107

ॐ भालचन्द्राय नमः।

Om Bhalachandraya Namah।

जिनके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है

चतुर्भुज

108

ॐ चतुर्भुजाय नमः।

Om Chaturbhujaya Namah।

जो चार भुजाधारी हैं

योगाधिप

109

ॐ योगाधिपाय नमः।

Om Yogadhipaya Namah।

जो योग के अधिष्ठाता हैं

तारकस्थ

110

ॐ तारकस्थाय नमः।

Om Tarakasthaya Namah।

जो तारकमन्त्र में निवास करने वाले हैं

पुरुष

111

ॐ पुरुषाय नमः।

Om Purushaya Namah।

जो पुरुष हैं

गजकर्णक

112

ॐ गजकर्णकाय नमः।

Om Gajakarnakaya Namah।

जो हाथी के कान वाले हैं

गणाधिराज

113

ॐ गणाधिराजाय नमः।

Om Ganadhirajaya Namah।

जो गणों के राजा हैं

विजयस्थिर

114

ॐ विजयस्थिराय नमः।

Om Vijayasthiraya Namah।

जो सदैव विजय हेतु आतुर हैं

गजपतिर्ध्वजी

115

ॐ गजपतिर्ध्वजिने नमः।

Om Gajapatirdhvajine Namah।

जो हाथी के प्रतीक वाला ध्वज लिये हुए हैं

देवदेव

116

ॐ देवदेवाय नमः।

Om Devadevaya Namah।

जो देवताओं के भी देवता हैं

स्मरप्राणदीपक

117

ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः।

Om Smarapranadipakaya Namah।

जो मन्मथ को पुनर्जीवित करने वाले हैं

वायुकीलक

118

ॐ वायुकीलकाय नमः।

Om Vayukilakaya Namah।

जो जीवन शक्ति के रक्षक हैं

विपश्चिद्वरद

119

ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः।

Om Vipashchidvaradaya Namah।

जो राजा विपश्चित् को वरदान देने वाले हैं

नादोन्नादभिन्नबलाहक

120

ॐ नादोन्नादभिन्नबलाहकाय नमः।

Om Nadonnadabhinnabalahakaya Namah।

जो सूँड से मेघों की दिशा बदल देने वाले हैं

वराहरदन

121

ॐ वराहरदनाय नमः।

Om Varaharadanaya Namah।

जो वाराह के दाँत से अधिक सुन्दर दाँत वाले हैं

मृत्युञ्जय

122

ॐ मृत्युञ्जयाय नमः।

Om Mrityunjayaya Namah।

जो मृत्यु पर विजय पाने वाले हैं

व्याघ्राजिनाम्बर

123

ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः।

Om Vyaghrajinambaraya Namah।

जो बाघम्बर धारण करने वाले हैं

इच्छाशक्तिधर

124

ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः।

Om Ichchhashaktidharaya Namah।

जो आत्म नियन्त्रण में रहने वाले हैं

देवत्राता

125

ॐ देवत्रात्रे नमः।

Om Devatratre Namah।

जो देवों की रक्षा करने वाले हैं

दैत्यविमर्दन

126

ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः।

Om Daityavimardanaya Namah।

जो दैत्यों का संहार करने वाले हैं

शम्भुवक्त्रोद्भव

127

ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः।

Om Shambhuvaktrodbhavaya Namah।

जो शिव के मुख से व्यक्त होने वाले हैं

शम्भुकोपहा

128

ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः।

Om Shambhukopaghne Namah।

जो शिव जी का क्रोध शान्त करने वाले हैं

शम्भुहास्यभू

129

ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः।

Om Shambhuhasyabhuve Namah।

जो शिव जी की महिमा का गुणगान करने वाले हैं

शम्भुतेजस्

130

ॐ शम्भुतेजसे नमः।

Om Shambhutejase Namah।

जो शिव के समान तेज वाले हैं

शिवाशोकहारी

131

ॐ शिवाशोकहारिणे नमः।

Om Shivashokaharine Namah।

जो माता पार्वती (शिवा) के शोक को हरने वाले हैं

गौरीसुखावह

132

ॐ गौरीसुखावहाय नमः।

Om Gaurisukhavahaya Namah।

जो माता गौरी को प्रसन्न रखने वाले हैं

उमाङ्गमलज

133

ॐ उमाङ्गमलजाय नमः।

Om Umangamalajaya Namah।

जो देवी उमा की गोद में खेलने वाले हैं

गौरीतेजोभू

134

ॐ गौरीतेजोभुवे नमः।

Om Gauritejobhuve Namah।

जो माता पार्वती के तेज से उत्पन्न हैं

स्वर्धुनीभव

135

ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः।

Om Svardhunibhavaya Namah।

जो गङ्गा के उद्भव का कारण हैं

यज्ञकाय

136

ॐ यज्ञकायाय नमः।

Om Yajnakayaya Namah।

जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं

महानाद

137

ॐ महानादाय नमः।

Om Mahanadaya Namah।

जो अत्यन्त तेज ध्वनि उत्पन्न करने वाले हैं

गिरिवर्ष्मा

138

ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः।

Om Girivarshmane Namah।

जो पर्वतों के समान देह वाले हैं

शुभानन

139

ॐ शुभाननाय नमः।

Om Shubhananaya Namah।

जो मंगलमयी मुखाकृति वाले हैं

सर्वात्मा

140

ॐ सर्वात्मने नमः।

Om Sarvatmane Namah।

जो समस्त सृष्टि में विद्यमान रहने वाले हैं

सर्वदेवात्मा

141

ॐ सर्वदेवात्मने नमः।

Om Sarvadevatmane Namah।

जो समस्त देवों में उपस्थित रहने वाले हैं

ब्रह्ममूर्धा

142

ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः।

Om Brahmamurdhne Namah।

जो ब्रह्मा के मुख वाले हैं

ककुप्श्रुति

143

ॐ ककुप्श्रुतये नमः।

Om Kakupshrutaye Namah।

जो दिशाओं को कान के रूप में धारण करने वाले हैं

ब्रह्माण्डकुम्भ

144

ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः।

Om Brahmandakumbhaya Namah।

जो सृष्टि को अपने मस्तिष्क के भाग में रखने वाले हैं

चिद्व्योमभाल

145

ॐ चिद्व्योमभालाय नमः।

Om Chidvyomabhalaya Namah।

जो अन्तरिक्ष के समान मस्तक वाले हैं

सत्यशिरोरुह

146

ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः।

Om Satyashiroruhaya Namah।

जो सत्य को केश के रूप में धारण करने वाले हैं

जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेष

147

ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः।

Om Jagajjanmalayonmeshanimeshaya Namah।

जो क्षणभर में सृष्टि का सृजन एवं संहार करने वाले हैं

अग्न्यर्कसोमदृक्

148

ॐ अग्न्यर्कसोमदृशे नमः।

Om Agnyarkasomadrishe Namah।

जो सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि को नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं

गिरीन्द्रैकरद

149

ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः।

Om Girindraikaradaya Namah।

जो मेरु पर्वत को अपने दाँत के रूप में धारण किये हुये हैं

धर्माधर्मोष्ठ

150

ॐ धर्माधर्मोष्ठाय नमः।

Om Dharmadharmoshthaya Namah।

धर्म और अधर्म जिनके दोनों ओष्ठ हैं

सामबृंहित

151

ॐ सामबृंहिताय नमः।

Om Samabrimhitaya Namah।

सामवेद जिनकी वाणी है

ग्रहर्क्षदशन

152

ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः।

Om Graharkshadashanaya Namah।

जो सूर्य आदि ग्रहों को अपने दाँतों के रूप में धारण करने वाले हैं

वाणीजिह्व

153

ॐ वाणीजिह्वाय नमः।

Om Vanijihvaya Namah।

जो वाणी को जिह्वा के रूप में धारण करने वाले हैं

वासवनासिक

154

ॐ वासवनासिकाय नमः।

Om Vasavanasikaya Namah।

जो इन्द्र को नासिका के रूप में धारण करने वाले हैं

कुलाचलांस

155

ॐ कुलाचलांसाय नमः।

Om Kulachalamsaya Namah।

कुल पर्वत जिनके कन्धो के रूप में स्थित हैं

सोमार्कघण्ट

156

ॐ सोमार्कघण्टाय नमः।

Om Somarkaghantaya Namah।

जो चन्द्र रूपी गर्दन वाले हैं

रुद्रशिरोधर

157

ॐ रुद्रशिरोधराय नमः।

Om Rudrashirodharaya Namah।

जो सिर पर रुद्र को धारण किये हुये हैं

नदीनदभुज

158

ॐ नदीनदभुजाय नमः।

Om Nadinadabhujaya Namah।

गङ्गा आदि नदियाँ और शोणभद्र आदि नद जिनकी भुजायें हैं

सर्पाङ्गुलीक

159

ॐ सर्पाङ्गुलीकाय नमः।

Om Sarpangulikaya Namah।

शेष आदि नाग जिनकी अँगुलियों में हैं

तारकानख

160

ॐ तारकानखाय नमः।

Om Tarakanakhaya Namah।

जो ध्रुव आदि तारों को नख के रूप में धारण करने वाले हैं

भ्रूमध्यसंस्थितकर

161

ॐ भ्रूमध्यसंस्थितकराय नमः।

Om Bhrumadhyasamsthitakaraya Namah।

जो भौंहों के मध्यभाग में स्थित शुण्डदण्ड वाले हैं

ब्रह्मविद्यामदोत्कट

162

ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः।

Om Brahmavidyamadotkataya Namah।

जो प्रचुर बुद्धि वाले हैं

व्योमनाभ

163

ॐ व्योमनाभये नमः।

Om Vyomanabhaye Namah।

जो आकाश रूपी नाभि वाले हैं

श्रीहृदय

164

ॐ श्रीहृदयाय नमः।

Om Shrihridayaya Namah।

जिनका हृदय ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद में संलग्न है

मेरुपृष्ठ

165

ॐ मेरुपृष्ठाय नमः।

Om Meruprishthaya Namah।

जो सुमेरु पर्वत रूपी पृष्ठभाग वाले हैं

अर्णवोदर

166

ॐ अर्णवोदराय नमः।

Om Arnavodaraya Namah।

सारे समुद्र जिनके उदर के जल हैं

कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुष

167

ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुषाय नमः।

Om Kukshisthayakshagandharvarakshahkinnaramanushaya Namah।

यक्ष, गन्धर्व, राक्षस, किन्नर और मनुष्य जिनकी नाड़ियाँ हैं

पृथ्विकटि

168

ॐ पृथ्विकटये नमः।

Om Prithvikataye Namah।

पृथ्वी जिनका कटिभाग अर्थात् कमर है

सृष्टिलिङ्ग

169

ॐ सृष्टिलिङ्गाय नमः।

Om Srishtilingaya Namah।

मैथुनी सृष्टि जिनकी जननेन्द्रिय के स्थान में है

शैलोरु

170

ॐ शैलोरवे नमः।

Om Shailorave Namah।

पर्वत जिनकी जाँघें हैं

दस्रजानुक

171

ॐ दस्रजानुकाय नमः।

Om Dasrajanukaya Namah।

दोनों अश्विनीकुमार जिनके दो घुटने हैं

पातालजङ्घ

172

ॐ पातालजङ्घाय नमः।

Om Patalajanghaya Namah।

सातों पाताल जिनकी पिंडलियों में हैं

मुनिपात्

173

ॐ मुनिपदे नमः।

Om Munipade Namah।

चरणों की सेवा में संलग्न मुनि ही जिनके चरण हैं

कालाङ्गुष्ठ

174

ॐ कालाङ्गुष्ठाय नमः।

Om Kalangushthaya Namah।

यम जिनके पैर का अँगूठा है

त्रयीतनु

175

ॐ त्रयीतनवे नमः।

Om Trayitanave Namah।

तीनों वेद जिनकी शेष देह के रूप में हैं

ज्योतिर्मण्डललाङ्गूल

176

ॐ ज्योतिर्मण्डललाङ्गूलाय नमः।

Om Jyotirmandalalangulaya Namah।

शिशुमार नामक तारों का समूह जिनकी पूँछ है

हृदयालाननिश्चल

177

ॐ हृदयालान-निश्चलाय नमः।

Om Hridayalana-nishchalaya Namah।

जो भक्तों के हृदयरूपी खम्भे में बधकर रहने वाले हैं

हृत्पद्मकर्णिकाशालिवियत्केलिसरोवर

178

ॐ हृत्पद्मकर्णिकाशालिवियत्केलिसरोवराय नमः।

Om Hritpadmakarnikashaliviyatkelisarovaraya Namah।

जो भक्तों के हृदयस्थल में क्रीडा का आनन्द लेने वाले हैं

सद्भक्तध्याननिगड

179

ॐ सद्भक्तध्याननिगडाय नमः।

Om Sadbhaktadhyananigadaya Namah।

जो श्रेष्ठ भक्तों के ध्यान रूपी बन्धन में बँध जाने वाले हैं

पूजावारिनिवारित

180

ॐ पूजावारिनिवारिताय नमः।

Om Pujavarinivaritaya Namah।

जो भक्तों की प्रार्थना से बँधे रहने वाले हैं

प्रतापी

181

ॐ प्रतापिने नमः।

Om Pratapine Namah।

जो अत्यन्त पराक्रमी हैं

कश्यपसुत

182

ॐ कश्यपसुताय नमः।

Om Kashyapasutaya Namah।

जो ऋषि कश्यप के पुत्र हैं

गणप

183

ॐ गणपाय नमः।

Om Ganapaya Namah।

जो होता, अध्वर्यु आदि गणों के रक्षक हैं

विष्टपी

184

ॐ विष्टपिने नमः।

Om Vishtapine Namah।

जो सभी भुवनों के आधार हैं

बली

185

ॐ बलिने नमः।

Om Baline Namah।

जो शक्तिशाली एवं बलिष्ठ हैं

यशस्वी

186

ॐ यशस्विने नमः।

Om Yashasvine Namah।

जो महान एवं कीर्तिमान हैं

धार्मिक

187

ॐ धार्मिकाय नमः।

Om Dharmikaya Namah।

जो धर्म-कर्म को प्रोत्साहित करने वाले हैं

स्वोजस्

188

ॐ स्वोजसे नमः।

Om Svojase Namah।

जो ओजपूर्ण व्यक्तित्व वाले हैं

प्रथम

189

ॐ प्रथमाय नमः।

Om Prathamaya Namah।

जो सभी शुभकार्यों में प्रथमपूज्य हैं

प्रथमेश्वर

190

ॐ प्रथमेश्वराय नमः।

Om Prathameshvaraya Namah।

जो त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश के स्वामी हैं

चिन्तामणिद्वीपपति

191

ॐ चिन्तामणिद्वीपपतये नमः।

Om Chintamanidvipapataye Namah।

जो चिन्तामणि नामक द्वीप के अधिपति हैं

कल्पद्रुमवनालय

192

ॐ कल्पद्रुमवनालयाय नमः।

Om Kalpadrumavanalayaya Namah।

जो कल्पवृक्षों के वन में निवास करने वाले हैं

रत्नमण्डपमध्यस्थ

193

ॐ रत्नमण्डपमध्यस्थाय नमः।

Om Ratnamandapamadhyasthaya Namah।

जो रत्नों से सुसज्जित मण्डप में विराजमान हैं

रत्नसिंहासनाश्रय

194

ॐ रत्नसिंहासनाश्रयाय नमः।

Om Ratnasimhasanashrayaya Namah।

जो रत्नसिंहासन पर आरूढ़ रहने वाले हैं

तीव्राशिरोद्धृतपद

195

ॐ तीव्राशिरोद्धृतपदाय नमः।

Om Tivrashiroddhritapadaya Namah।

जो तीव्रा नामक पीठ-शक्ति पर चरण रखने वाले हैं

ज्वालिनीमौलिलालित

196

ॐ ज्वालिनीमौलिलालिताय नमः।

Om Jvalinimaulilalitaya Namah।

ज्वालिनी नामक शक्ति जिनके चरणों का स्पर्श करके पूजन करती है

नन्दानन्दितपीठश्री

197

ॐ नन्दानन्दितपीठश्रिये नमः।

Om Nandananditapithashriye Namah।

जो नन्दा नामक शक्ति पर अनुग्रह करने वाले हैं

भोगदाभूषितासन

198

ॐ भोगदाभूषितासनाय नमः।

Om Bhogadabhushitasanaya Namah।

जो भोगदा नामक सिंहासन पर विराजमान हैं

सकामदायिनीपीठ

199

ॐ सकामदायिनीपीठाय नमः।

Om Sakamadayinipithaya Namah।

जो कामदायिनी पीठ पर विराजमान हैं

स्फुरदुग्रासनाश्रय

200

ॐ स्फुरदुग्रासनाश्रयाय नमः।

Om Sphuradugrasanashrayaya Namah।

जो उग्र आसन पर विराजने वाले हैं

तेजोवतीशिरोरत्न

201

ॐ तेजोवतीशिरोरत्नाय नमः।

Om Tejovatishiroratnaya Namah।

जो तेजोवती नामक शक्ति को रत्न के रूप धारण किये हुये हैं

सत्यानित्यावतंसित

202

ॐ सत्यानित्यावतंसिताय नमः।

Om Satyanityavatamsitaya Namah।

सत्या नामक शक्ति जिन्हें नित्य अपने मस्तक का आभूषण बनाये रखती है

सविघ्ननाशिनीपीठ

203

ॐ सविघ्ननाशिनीपीठाय नमः।

Om Savighnanashinipithaya Namah।

जो विघ्ननाशिनी नामक शक्ति पर विराजित हैं

सर्वशक्त्यम्बुजाश्रय

204

ॐ सर्वशक्त्यम्बुजाश्रयाय नमः।

Om Sarvashaktyambujashrayaya Namah।

जो सम्पूर्ण शक्तियों से युक्त कमल के आसन पर विराजमान हैं

लिपिपद्मासनाधार

205

ॐ लिपिपद्मासनाधाराय नमः।

Om Lipipadmasanadharaya Namah।

जो अक्षरों से सुसज्जित कमल पर सुशोभित होने वाले हैं

वह्निधामत्रयाश्रय

206

ॐ वह्निधामत्रयाश्रयाय नमः।

Om Vahnidhamatrayashrayaya Namah।

जो कमल पर बैठे सूर्य, चन्द्र और अग्नि नामक तीनों तेजोमण्डल में विद्यमान हैं

उन्नतप्रपद

207

ॐ उन्नतप्रपदाय नमः।

Om Unnataprapadaya Namah।

जिनके चरण का अग्रभाग कछुए के पीठ के समान ऊँचा है

गूढगुल्फ

208

ॐ गूढगुल्फाय नमः।

Om Gudhagulphaya Namah।

जिनके टखने मांस से छुपे हुये हैं

संवृतपार्ष्णिक

209

ॐ संवृतपार्ष्णिकाय नमः।

Om Samvritaparshnikaya Namah।

जिनके पैरों के तलवे अर्धवृत्ताकार हैं

पीनजङ्घ

210

ॐ पीनजङ्घाय नमः।

Om Pinajanghaya Namah।

जिनके टखने के नीचे का भाग मांसल है

श्लिष्टजानु

211

ॐ श्लिष्टजानवे नमः।

Om Shlishtajanave Namah।

जिनके दोनों घुटने स्पष्ट नहीं दिखायी देते हैं

स्थूलोरु

212

ॐ स्थूलोरवे नमः।

Om Sthulorave Namah।

जो मोटी जङ्घा वाले हैं

प्रोन्नमत्कटि

213

ॐ प्रोन्नमत्कटये नमः।

Om Pronnamatkataye Namah।

जो ऊँचे कटिभाग अर्थात् कमर वाले हैं

निम्ननाभि

214

ॐ निम्ननाभये नमः।

Om Nimnanabhaye Namah।

जो अत्यन्त गहरी नाभि वाले हैं

स्थूलकुक्षि

215

ॐ स्थूलकुक्षये नमः।

Om Sthulakukshaye Namah।

जो विशाल उदर वाले हैं

पीनवक्षा

216

ॐ पीनवक्षसे नमः।

Om Pinavakshase Namah।

जो सुदृढ़ वक्षस्थल वाले हैं

बृहद्भुज

217

ॐ बृहद्भुजाय नमः।

Om Brihadbhujaya Namah।

जो बड़ी भुजाओं वाले हैं

पीनस्कन्ध

218

ॐ पीनस्कन्धाय नमः।

Om Pinaskandhaya Namah।

जो बलिष्ठ कन्धों वाले हैं

कम्बुकण्ठ

219

ॐ कम्बुकण्ठाय नमः।

Om Kambukanthaya Namah।

जो दक्षिणावर्ती शंख के समान गर्दन वाले हैं

लम्बोष्ठ

220

ॐ लम्बोष्ठाय नमः।

Om Lamboshthaya Namah।

जो लटकते हुये ओठों वाले हैं

लम्बनासिक

221

ॐ लम्बनासिकाय नमः।

Om Lambanasikaya Namah।

जो लम्बी नासिका (सूँड) वाले हैं

भग्नवामरद

222

ॐ भग्नवामरदाय नमः।

Om Bhagnavamaradaya Namah।

जिनके बायें दाँत का अग्रभाग टूट हुआ है

तुङ्गसव्यदन्त

223

ॐ तुङ्गसव्यदन्ताय नमः।

Om Tungasavyadantaya Namah।

जिनका दाहिना दाँत ऊँचा है

महाहनु

224

ॐ महाहनवे नमः।

Om Mahahanave Namah।

जिनकी ठोड़ी अत्यधिक विशाल है

ह्रस्वनेत्रत्रय

225

ॐ ह्रस्वनेत्रत्रयाय नमः।

Om Hrasvanetratrayaya Namah।

जो छोटे-छोटे तीन नेत्रों वाले हैं

शूर्पकर्ण

226

ॐ शूर्पकर्णाय नमः।

Om Shurpakarnaya Namah।

जो सूप के समान विशाल कानों वाले हैं

निबिडमस्तक

227

ॐ निबिडमस्तकाय नमः।

Om Nibidamastakaya Namah।

जो कठोर मस्तक वाले हैं

स्तबकाकारकुम्भाग्र

228

ॐ स्तबकाकारकुम्भाग्राय नमः।

Om Stabakakarakumbhagraya Namah।

जिनके मस्तक का अग्रभाग पुष्पों के गुच्छे के समान है

रत्नमौलि

229

ॐ रत्नमौलये नमः।

Om Ratnamaulaye Namah।

जो रत्न जड़ित मुकुट धारण करने वाले हैं

निरङ्कुश

230

ॐ निरङ्कुशाय नमः।

Om Nirankushaya Namah।

जो परम स्वतन्त्र हैं

सर्पहारकटीसूत्र

231

ॐ सर्पहारकटीसूत्राय नमः।

Om Sarpaharakatisutraya Namah।

जो सर्पाकार हार और कटिसूत्र धारण करने वाले हैं

सर्पयज्ञोपवीतवान्

232

ॐ सर्पयज्ञोपवीतवते नमः।

Om Sarpayajnopavitavate Namah।

जो सर्पाकार यज्ञोपवीत धारण करने वाले हैं

सर्पकोटीरकटक

233

ॐ सर्पकोटीरकटकाय नमः।

Om Sarpakotirakatakaya Namah।

जो सर्प को मुकुट व कँगन के रूप में धारण करने वाले हैं

सर्पग्रैवेयकाङ्गद

234

ॐ सर्पग्रैवेयकाङ्गदाय नमः।

Om Sarpagraiveyakangadaya Namah।

जो सर्प को हार एवं बाजूबन्द के रूप में धारण करने वाले हैं

सर्पकक्ष्योदराबन्ध

235

ॐ सर्पकक्ष्योदराबन्धाय नमः।

Om Sarpakakshyodarabandhaya Namah।

जो सर्प को करधनी के रूप में धारण करने वाले हैं

सर्पराजोत्तरीयक

236

ॐ सर्पराजोत्तरीयकाय नमः।

Om Sarparajottariyakaya Namah।

जो नागराज वासुकि को उत्तरीय वस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं

रक्त

237

ॐ रक्ताय नमः।

Om Raktaya Namah।

जो रक्तवर्ण वाले हैं

रक्ताम्बरधर

238

ॐ रक्ताम्बरधराय नमः।

Om Raktambaradharaya Namah।

जो लाल रंग के वस्त्र धारण करने वाले हैं

रक्तमाल्यविभूषण

239

ॐ रक्तमाल्यविभूषणाय नमः।

Om Raktamalyavibhushanaya Namah।

जो लाल रंग की पुष्पों की माला एवं आभूषण धारण करने वाले हैं

रक्तेक्षण

240

ॐ रक्तेक्षणाय नमः।

Om Raktekshanaya Namah।

जो लाल नेत्रों वाले हैं

रक्तकर

241

ॐ रक्तकराय नमः।

Om Raktakaraya Namah।

जो लाल हाथों वाले हैं

रक्तताल्वोष्ठपल्लव

242

ॐ रक्तताल्वोष्ठपल्लवाय नमः।

Om Raktatalvoshthapallavaya Namah।

जो लाल गालों एवं ओठों वाले हैं

श्वेत

243

ॐ श्वेताय नमः।

Om Shvetaya Namah।

जो श्वेतवर्ण वाले हैं

श्वेताम्बरधर

244

ॐ श्वेताम्बरधराय नमः।

Om Shvetambaradharaya Namah।

जो श्वेत वस्त्र धारण करने वाले हैं

श्वेतमाल्यविभूषण

245

ॐ श्वेतमाल्यविभूषणाय नमः।

Om Shvetamalyavibhushanaya Namah।

जो श्वेत माला एवं श्वेत आभूषणों से सुशोभित हैं

श्वेतातपत्ररुचिर

246

ॐ श्वेतातपत्ररुचिराय नमः।

Om Shvetatapatraruchiraya Namah।

जो श्वेत छत्र के नीचे विराजमान हैं

श्वेतचामरवीजित

247

ॐ श्वेतचामरवीजिताय नमः।

Om Shvetachamaravijitaya Namah।

जिनकी श्वेत चँवर डुलाकर सेवा की जाती है

सर्वावयवसम्पूर्णसर्वलक्षणलक्षित

248

ॐ सर्वावयवसम्पूर्णसर्वलक्षणलक्षिताय नमः।

Om Sarvavayavasampurnasarvalakshanalakshitaya Namah।

जो सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार शुभ लक्षणों से पूर्ण हैं

सर्वाभरणशोभाढ्य

249

ॐ सर्वाभरणशोभाढ्याय नमः।

Om Sarvabharanashobhadhyaya Namah।

जो सम्पूर्ण आभूषणों की शोभा से सम्पन्न हैं

सर्वशोभासमन्वित

250

ॐ सर्वशोभासमन्विताय नमः।

Om Sarvashobhasamanvitaya Namah।

जो लावण्य नामक सम्पूर्ण अंगकान्ति से शोभायमान हैं

सर्वमङ्गलमाङ्गल्य

251

ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्याय नमः।

Om Sarvamangalamangalyaya Namah।

जो समस्त मंगलों के लिये मंगलकारी हैं

सर्वकारणकारण

252

ॐ सर्वकारणकारणाय नमः।

Om Sarvakaranakaranaya Namah।

जो समस्त कारणों के कारण हैं

सर्वदैककर

253

ॐ सर्वदैककराय नमः।

Om Sarvadaikakaraya Namah।

जो उदार हस्त वाले हैं

शार्ङ्गी

254

ॐ शार्ङ्गिणे नमः।

Om Sharngine Namah।

जो शार्ङ्गी धनुष धारण करने वाले हैं

बीजापूरी

255

ॐ बीजापूरिणे नमः।

Om Bijapurine Namah।

जो हाथ में अनार धारण करने वाले हैं

गदाधर

256

ॐ गदाधराय नमः।

Om Gadadharaya Namah।

जो गदाधारी हैं

इक्षुचापधर

257

ॐ इक्षुचापधराय नमः।

Om Ikshuchapadharaya Namah।

जो गन्ने का धनुष धारण करने वाले हैं

शूली

258

ॐ शूलिने नमः।

Om Shuline Namah।

जो त्रिशूल धारण करने वाले हैं

चक्रपाणि

259

ॐ चक्रपाणये नमः।

Om Chakrapanaye Namah।

जो हाथ में चक्र धारण करने वाले हैं

सरोजभृत्

260

ॐ सरोजभृते नमः।

Om Sarojabhrite Namah।

जो हाथ में कमल पुष्प धारण करने वाले हैं

पाशी

261

ॐ पाशिने नमः।

Om Pashine Namah।

जो हाथ में पाश धारण करने वाले हैं

धृतोत्पल

262

ॐ धृतोत्पलाय नमः।

Om Dhritotpalaya Namah।

जो हाथ में उत्पल अर्थात् नील कमल पुष्प धारण करने वाले हैं

शालीमञ्जरीभृत्

263

ॐ शालीमञ्जरीभृते नमः।

Om Shalimanjaribhrite Namah।

जो हाथ में धान की बाली धारण करने वाले हैं

स्वदन्तभृत्

264

ॐ स्वदन्तभृते नमः।

Om Svadantabhrite Namah।

जो हाथ में स्वयं का खण्डित दाँत धारण करने वाले हैं

कल्पवल्लीधर

265

ॐ कल्पवल्लीधराय नमः।

Om Kalpavallidharaya Namah।

जो हाथ में कल्पलता रखने वाले हैं

विश्वाभयदैककर

266

ॐ विश्वाभयदैककराय नमः।

Om Vishvabhayadaikakaraya Namah।

जो सम्पूर्ण विश्व में भक्तों का भय नष्ट करने वाले हैं

वशी

267

ॐ वशिने नमः।

Om Vashine Namah।

जो सम्पूर्ण विश्व को वश में रखने वाले हैं

अक्षमालाधर

268

ॐ अक्षमालाधराय नमः।

Om Akshamaladharaya Namah।

जो अक्षमाला धारण करने वाले हैं

ज्ञानमुद्रावान्

269

ॐ ज्ञानमुद्रावते नमः।

Om Jnanamudravate Namah।

जो ज्ञान के सूचक हैं

मुद्गरायुध

270

ॐ मुद्गरायुधाय नमः।

Om Mudgarayudhaya Namah।

जो मुद्गर को शस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं

पूर्णपात्री

271

ॐ पूर्णपात्रिणे नमः।

Om Purnapatrine Namah।

जो अमृत से भरे पात्र को धारण करने वाले हैं

कम्बुधर

272

ॐ कम्बुधराय नमः।

Om Kambudharaya Namah।

जो शंख धारण करने वाले हैं

विधृतालिसमुद्गक

273

ॐ विधृतालिसमुद्गकाय नमः।

Om Vidhritalisamudgakaya Namah।

जो जिनके गालों पर बहता शहद भ्रमरों को आकर्षित कर रहा है

मातुलिङ्गधर

274

ॐ मातुलिङ्गधराय नमः।

Om Matulingadharaya Namah।

जिनके हाथ में मातुलिङ्ग फल अर्थात् बिजौरा नींबू है

चूतकलिकाभृत्

275

ॐ चूतकलिकाभृते नमः।

Om Chutakalikabhrite Namah।

जो आम के पल्लव धारण करने वाले हैं

कुठारवान्

276

ॐ कुठारवते नमः।

Om Kutharavate Namah।

जो कुठार धारण करने वाले हैं

पुष्करस्थस्वर्णघटीपूर्णरत्नाभिवर्षक

277

ॐ पुष्करस्थस्वर्णघटीपूर्णरत्नाभिवर्षकाय नमः।

Om Pushkarasthasvarnaghatipurnaratnabhivarshakaya Namah।

जिनके हाथ में रत्नों के स्वर्ण पात्र हैं

भारतीसुन्दरीनाथ

278

ॐ भारतीसुन्दरीनाथाय नमः।

Om Bharatisundarinathaya Namah।

जो देवी सरस्वती गौरी एवं लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं

विनायकरतिप्रिय

279

ॐ विनायकरतिप्रियाय नमः।

Om Vinayakaratipriyaya Namah।

जो अपने गणों के साथ खेलने में रुचि रखने वाले हैं

महालक्ष्मीप्रियतम

280

ॐ महालक्ष्मीप्रियतमाय नमः।

Om Mahalakshmipriyatamaya Namah।

जो महालक्ष्मी के प्रिय हैं

सिद्धलक्ष्मीमनोरम

281

ॐ सिद्धलक्ष्मीमनोरमाय नमः।

Om Siddhalakshmimanoramaya Namah।

जो सिद्धलक्ष्मी को मोहित करने वाले हैं

रमारमेशपूर्वाङ्ग

282

ॐ रमारमेशपूर्वाङ्गाय नमः।

Om Ramarameshapurvangaya Namah।

जिनके सम्मुख श्री लक्ष्मी तथा विष्णु जी विराजमान हैं

दक्षिणोमामहेश्वर

283

ॐ दक्षिणोमामहेश्वराय नमः।

Om Dakshinomamaheshvaraya Namah।

जो देवी उमा और महेश्वर को अपने दक्षिणभाग में स्थापित करने वाले हैं

महीवराहवामाङ्ग

284

ॐ महीवराहवामाङ्गाय नमः।

Om Mahivarahavamangaya Namah।

जो श्री भूमिदेवी एवं वराह देव को अपने बाये भाग या उत्तर दिशा में रखने वाले हैं

रतिकन्दर्पपश्चिम

285

ॐ रतिकन्दर्पपश्चिमाय नमः।

Om Ratikandarpapashchimaya Namah।

जो रति और कामदेव को अपने पीछे या पश्चिम दिशा में रखने वाले हैं

आमोदप्रमोदजनन

286

ॐ आमोदमोदजननाय नमः।

Om Amodamodajananaya Namah।

जो आमोद अर्थात् हर्ष को भी हर्ष देने वाले हैं

सप्रमोदप्रमोदन

287

ॐ सप्रमोदप्रमोदनाय नमः।

Om Sapramodapramodanaya Namah।

जो प्रमोद अर्थात् सुख को भी सुख देने वाले हैं

समेधितसमृद्धिश्री

288

ॐ समेधितसमृद्धिश्रिये नमः।

Om Samedhitasamriddhishriye Namah।

जो देवी समृद्धि को समृद्धि प्रदान करने वाले हैं

ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तक

289

ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः।

Om Riddhisiddhipravartakaya Namah।

जो ऋद्धि देवी में स्थित सिद्धि के प्रवर्तक हैं

दत्तसौमुख्यसुमुख

290

ॐ दत्तसौमुख्यसुमुखाय नमः।

Om Dattasaumukhyasumukhaya Namah।

जो सुमुख को सुमुखता प्रदान करने वाले हैं

कान्तिकन्दलिताश्रय

291

ॐ कान्तिकन्दलिताश्रयाय नमः।

Om Kantikandalitashrayaya Namah।

जो कान्ति देवी के आश्रय स्थान को अंकुरित करने वाले हैं

मदनावत्याश्रिताङ्घ्रि

292

ॐ मदनावत्याश्रिताङ्घ्रये नमः।

Om Madanavatyashritanghraye Namah।

जो मदनावती देवी द्वारा पूजे जाने वाले हैं

कृत्तदौर्मुख्यदुर्मुख

293

ॐ कृत्तदौर्मुख्यदुर्मुखाय नमः।

Om Krittadaurmukhyadurmukhaya Namah।

जो दुर्मुख की दुर्मुखता को काट फेंकने वाले हैं

विघ्नसम्पल्लवोपघ्न

294

ॐ विघ्न-सम्पल्लवोपघ्नाय नमः।

Om Vighna-sampallavopaghnaya Namah।

जो विघ्नों के निवारक हैं

सेवोन्निद्रमदद्रव

295

ॐ सेवोन्निद्र-मदद्रवाय नमः।

Om Sevonnidra-madadravaya Namah।

जो देवी मदद्रवा द्वारा पूजे जाने वाले हैं

विघ्नकृन्निघ्नचरण

296

ॐ विघ्नकृन्निघ्नचरणाय नमः।

Om Vighnakrinnighnacharanaya Namah।

विघ्नकृत भक्तिभाव से जिनके चरणों को अपने अधीन करके रखा है

द्राविणीशक्तिसत्कृत

297

ॐ द्राविणीशक्तिसत्कृताय नमः।

Om Dravinishaktisatkritaya Namah।

जो द्राविणी नामक शक्ति द्वारा सम्मानित हैं

तीव्राप्रसन्ननयन

298

ॐ तीव्राप्रसन्ननयनाय नमः।

Om Tivraprasannanayanaya Namah।

जो तीव्रा नामक शक्ति के प्रति अत्यन्त प्रसन्न रहते हैं

ज्वालिनीपालितैकदृक्

299

ॐ ज्वालिनीपालितैकदृशे नमः।

Om Jvalinipalitaikadrishe Namah।

जिनकी मुख्य दृष्टि ज्वालिनी-शक्ति के संरक्षण में संलग्न है

मोहिनीमोहन

300

ॐ मोहिनीमोहनाय नमः।

Om Mohinimohanaya Namah।

जो मोहिनी शक्ति को भी मोहित करने वाले हैं

भोगदायिनीकान्तिमण्डित

301

ॐ भोगदायिनीकान्तिमण्डिताय नमः।

Om Bhogadayinikantimanditaya Namah।

जो भोगदायिनी शक्ति की कान्ति से मण्डित चरणपादुका वाले हैं

कामिनीकान्तवक्त्रश्री

302

ॐ कामिनीकान्तवक्त्रश्रिये नमः।

Om Kaminikantavaktrashriye Namah।

जो कामदायिनी नामक शक्ति के मुख की शोभा को बढ़ाने वाले हैं

अधिष्ठितवसुन्धर

303

ॐ अधिष्ठितवसुन्धराय नमः।

Om Adhishthitavasundharaya Namah।

जो देवी वसुन्धरा के आधार हैं

वसुन्धरामदोन्नद्धमहाशङ्खनिधिप्रभु

304

ॐ वसुन्धरामदोन्नद्धमहाशङ्खनिधिप्रभवे नमः।

Om Vasundharamadonnaddhamahashankhanidhiprabhave Namah।

जो पत्नी वसुन्धरा के साथ प्रसन्न रहने वाले महाशंख निधि के स्वामी हैं

नमद्वसुमतीमौलिमहापद्मनिधिप्रभु

305

ॐ नमद्वसुमतीमौलिमहापद्मनिधिप्रभवे नमः।

Om Namadvasumatimaulimahapadmanidhiprabhave Namah।

जो वसुमती एवं महापद्म द्वारा पूजनीय हैं

सर्वसद्गुरुसंसेव्य

306

ॐ सर्वसद्गुरुसंसेव्याय नमः।

Om Sarvasadgurusamsevyaya Namah।

जो समस्त गुरुओं द्वारा पूजे जाने वाले हैं

शोचिष्केशहृदाश्रय

307

ॐ शोचिष्केशहृदाश्रयाय नमः।

Om Shochishkeshahridashrayaya Namah।

जो गार्हपत्य आदि पाँच अग्नियों के हृदय में ध्येयरूप से विराजमान हैं

ईशानमूर्द्धा

308

ॐ ईशानमूर्ध्ने नमः।

Om Ishanamurdhne Namah।

जो भगवान शंकर के माननीय हैं

देवेन्द्रशिखा

309

ॐ देवेन्द्रशिखायै नमः।

Om Devendrashikhayai Namah।

जो देवराज इन्द्र के आराध्य हैं

पवननन्दन

310

ॐ पवननन्दनाय नमः।

Om Pavananandanaya Namah।

जो वायु को आनन्दित करने वाले हैं

अग्रप्रत्यग्रनयन

311

ॐ अग्रप्रत्यग्रनयनाय नमः।

Om Agrapratyagranayanaya Namah।

जो सूक्ष्म एवं नूतन दृष्टि वाले हैं

दिव्यास्त्र प्रयोगवित्

312

ॐ दिव्यास्त्राणां प्रयोगविदे नमः।

Om Divyastranam Prayogavide Namah।

जो दिव्य अस्त्रों के प्रयोग को जानने वाले हैं

ऐरावतादिसर्वाशावारणावरणप्रिय

313

ॐ ऐरावतादिसर्वाशावारणावरणप्रियाय नमः।

Om Airavatadisarvashavaranavaranapriyaya Namah।

जिन्हें खेल-खेल में ऐरावत आदि हाथियों को ढँक लेना प्रिय लगता है

वज्राद्यस्त्रपरिवार

314

ॐ वज्राद्यस्त्रपरिवाराय नमः।

Om Vajradyastraparivaraya Namah।

जो वज्र आदि अस्त्रों तथा इन्द्र आदि दिक्पालों से आवृत हैं

गणचण्डसमाश्रय

315

ॐ गणचण्डसमाश्रयाय नमः।

Om Ganachandasamashrayaya Namah।

जो चण्ड आदि गणों को बल प्रदान करने वाले हैं

जयाजयापरीवार

316

ॐ जयाजयापरीवाराय नमः।

Om Jayajayaparivaraya Namah।

जो जया और अजया नामक पीठशक्तियों से घिरे हुए हैं

विजयाविजयावह

317

ॐ विजयाविजयावहाय नमः।

Om Vijayavijayavahaya Namah।

जो विजया नामक पीठशक्ति को विजय प्रदान करने वाले हैं

अजितार्चितपादाब्ज

318

ॐ अजितार्चितपादाब्जाय नमः।

Om Ajitarchitapadabjaya Namah।

जो जिनके चरण कमल अपराजिता शक्ति द्वारा पूजे जाते हैं

नित्यानित्यावतंसित

319

ॐ नित्यानित्यावतंसिताय नमः।

Om Nityanityavatamsitaya Namah।

नित्या नाम की शक्ति नित्य जिनके चरणकमलों की सेवा में उपस्थित है

विलासिनीकृतोल्लास

320

ॐ विलासिनीकृतोल्लासाय नमः।

Om Vilasinikritollasaya Namah।

जो विलासिनी की सेवा से प्रसन्न होने वाले हैं

शौण्डीसौन्दर्यमण्डित

321

ॐ शौण्डीसौन्दर्यमण्डिताय नमः।

Om Shaundisaundaryamanditaya Namah।

जो शौण्डी शक्ति के सौन्दर्य में वृद्धि करने वाले हैं

अनन्तानन्तसुखद

322

ॐ अनन्तानन्तसुखदाय नमः।

Om Anantanantasukhadaya Namah।

जो अनन्ता नामक शक्ति को अनन्त सुख प्रदान करने वाले हैं

सुमङ्गलसुमङ्गल

323

ॐ सुमङ्गलसुमङ्गलाय नमः।

Om Sumangalasumangalaya Namah।

जिनके कारण सुमंगल नामक पीठ भी मंगलयुक्त हो जाता है

इच्छाशक्तिज्ञानशक्तिक्रियाशक्तिनिषेवित

324

ॐ इच्छाशक्तिज्ञानशक्तिक्रियाशक्तिनिषेविताय नमः।

Om Ichchhashaktijnanashaktikriyashaktinishevitaya Namah।

जो इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, एवं क्रियाशक्ति द्वारा सेवित हैं

सुभगासंश्रितपद

325

ॐ सुभगासंश्रितपदाय नमः।

Om Subhagasamshritapadaya Namah।

जो सुभगा देवी के द्वारा सेवित चरणकमल वाले हैं

ललिताललिताश्रय

326

ॐ ललिताललिताश्रयाय नमः।

Om Lalitalalitashrayaya Namah।

जो ललिता देवी के मनोरम आश्रय हैं

कामिनीकामन

327

ॐ कामिनीकामनाय नमः।

Om Kaminikamanaya Namah।

जो कामकला नामक शक्ति की कामना रखने वाले हैं

काममालिनीकेलिलालित

328

ॐ काममालिनीकेलिलालिताय नमः।

Om Kamamalinikelilalitaya Namah।

जो काममालिनी नामक शक्ति की क्रीडाओं द्वारा प्रसन्न किये गये हैं

सरस्वत्याश्रय

329

ॐ सरस्वत्याश्रयाय नमः।

Om Sarasvatyashrayaya Namah।

जो देवी सरस्वती के आश्रय हैं

गौरीनन्दन

330

ॐ गौरीनन्दनाय नमः।

Om Gaurinandanaya Namah।

जो माता पार्वती को आनन्द प्रदान करने वाले हैं

श्रीनिकेतन

331

ॐ श्रीनिकेतनाय नमः।

Om Shriniketanaya Namah।

जो देवी लक्ष्मी के निवासस्थान हैं

गुरुगुप्तपद

332

ॐ गुरुगुप्तपदाय नमः।

Om Guruguptapadaya Namah।

जिनके चरण गुरुओं द्वारा आलिंगन के कारण ढँके हुए हैं

वाचासिद्ध

333

ॐ वाचासिद्धाय नमः।

Om Vachasiddhaya Namah।

जिनकी भक्ति से वाक्-सिद्धि प्राप्त होती है

वागीश्वरीपति

334

ॐ वागीश्वरीपतये नमः।

Om Vagishvaripataye Namah।

जो वागीश्वरी अर्थात् नकुली नामक शक्ति के प्रियतम हैं

नलिनीकामुक

335

ॐ नलिनीकामुकाय नमः।

Om Nalinikamukaya Namah।

जो नलिनी अर्थात् सुरापगा नामक शक्ति के प्रियतम हैं

वामाराम

336

ॐ वामारामाय नमः।

Om Vamaramaya Namah।

वामा नामक शक्ति जिनकी प्रिया हैं

ज्येष्ठामनोरम

337

ॐ ज्येष्ठामनोरमाय नमः।

Om Jyeshthamanoramaya Namah।

ज्येष्ठा नामक शक्ति जिनकी मनोरमा हैं

रौद्रीमुद्रितपादाब्ज

338

ॐ रौद्रीमुद्रितपादाब्जाय नमः।

Om Raudrimudritapadabjaya Namah।

रौद्री नामक शक्ति जिनके चरणों को अपनी अंजलि में बाँधे रखती हैं

हुंबीज

339

ॐ हुंबीजाय नमः।

Om Humbijaya Namah।

हुम् जिनका बीज मन्त्र है

तुङ्गशक्तिक

340

ॐ तुङ्गशक्तिकाय नमः।

Om Tungashaktikaya Namah।

जो अनन्त शक्ति वाले हैं

विश्वादिजननत्राण

341

ॐ विश्वादिजननत्राणाय नमः।

Om Vishvadijananatranaya Namah।

जो विश्व के आदिभूत हिरण्यगर्भ के जन्म और पालन के कारण हैं

स्वाहाशक्ति

342

ॐ स्वाहाशक्तये नमः।

Om Svahashaktaye Namah।

साक्षात् स्वाहा जिनकी शक्ति हैं

सकीलक

343

ॐ सकीलकाय नमः।

Om Sakilakaya Namah।

जो कीलक से युक्त हैं

अमृताब्धिकृतावास

344

ॐ अमृताब्धिकृतावासाय नमः।

Om Amritabdhikritavasaya Namah।

जो अमृत के सागर में निवास करने वाले हैं

मदघूर्णितलोचन

345

ॐ मदघूर्णितलोचनाय नमः।

Om Madaghurnitalochanaya Namah।

जो सजल नेत्रों वाले हैं

उच्छिष्टगण

346

ॐ उच्छिष्टगणाय नमः।

Om Uchchhishtaganaya Namah।

जो उत्कृष्ट और शिष्ट गणों के स्वामी हैं

उच्छिष्टगणेश

347

ॐ उच्छिष्टगणेशाय नमः।

Om Uchchhishtaganeshaya Namah।

जो सतत मोदक-भक्षण करने वाले हैं

गणनायक

348

ॐ गणनायकाय नमः।

Om Gananayakaya Namah।

जिनके गणों की गणना भक्तों द्वारा होती रहती है

सार्वकालिकसंसिद्धि

349

ॐ सार्वकालिकसंसिद्धये नमः।

Om Sarvakalikasamsiddhaye Namah।

जो सर्वदा सिद्धियों से युक्त रहते हैं

नित्यशैव

350

ॐ नित्यशैवाय नमः।

Om Nityashaivaya Namah।

जो निरन्तर शिव का ध्यान करने वाले हैं

दिगम्बर

351

ॐ दिगम्बराय नमः।

Om Digambaraya Namah।

जो समस्त दिशाओं को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं

अनपाय

352

ॐ अनपायाय नमः।

Om Anapayaya Namah।

जो अनन्त-अविनाशी हैं

अनन्तदृष्टि

353

ॐ अनन्तदृष्टये नमः।

Om Anantadrishtaye Namah।

जो असीम ज्ञानशक्ति से सम्पन्न हैं

अप्रमेय

354

ॐ अप्रमेयाय नमः।

Om Aprameyaya Namah।

जो वाणी, मन एवं ज्ञानेन्द्रियों से अगम्य होने के कारण प्रमाणातीत हैं

अजरामर

355

ॐ अजरामराय नमः।

Om Ajaramaraya Namah।

जो जरा और मृत्यु से रहित हैं

अनाविल

356

ॐ अनाविलाय नमः।

Om Anavilaya Namah।

जो अत्यन्त शुद्ध हैं

अप्रतिरथ

357

ॐ अप्रतिरथाय नमः।

Om Apratirathaya Namah।

जो अतुलनीय हैं

अच्युत

358

ॐ अच्युताय नमः।

Om Achyutaya Namah।

जो मर्यादा से कभी च्युत अर्थात् विचलित न होने वाले हैं

अमृत

359

ॐ अमृताय नमः।

Om Amritaya Namah।

जो अमृत के समान हैं

अक्षर

360

ॐ अक्षराय नमः।

Om Aksharaya Namah।

जो सर्वव्यापी हैं

अप्रतर्क्य

361

ॐ अप्रतर्क्याय नमः।

Om Apratarkyaya Namah।

जिन्हें शब्दों से परिभाषित न किया जा सके

अक्षय

362

ॐ अक्षयाय नमः।

Om Akshayaya Namah।

जो अजर-अमर हैं

अजय्य

363

ॐ अजय्याय नमः।

Om Ajayyaya Namah।

जो अजेय हैं

अनाधार

364

ॐ अनाधाराय नमः।

Om Anadharaya Namah।

जिन्हें किसी आधार की अवश्यकता नहीं है

अनामय

365

ॐ अनामयाय नमः।

Om Anamayaya Namah।

जो समस्त रोगों से मुक्त हैं

अमल

366

ॐ अमलाय नमः।

Om Amalaya Namah।

जो मलिनता से रहित हैं

अमोघसिद्धि

367

ॐ अमोघसिद्धये नमः।

Om Amoghasiddhaye Namah।

जो अचूक सिद्धि वाले हैं

अद्वैत

368

ॐ अद्वैताय नमः।

Om Advaitaya Namah।

जो स्वयं अद्वैत हैं

अघोर

369

ॐ अघोराय नमः।

Om Aghoraya Namah।

जो शिव-स्वरूप हैं

अप्रमितानन

370

ॐ अप्रमिताननाय नमः।

Om Apramitananaya Namah।

जो अनन्त मुख वाले हैं

अनाकार

371

ॐ अनाकाराय नमः।

Om Anakaraya Namah।

जो आकार रहित अर्थात् निराकार ब्रह्म हैं

अब्धिभूम्यग्निबलघ्न

372

ॐ अब्धिभूम्यग्निबलघ्नाय नमः।

Om Abdhibhumyagnibalaghnaya Namah।

जो पृथ्वी, समुद्र एवं अग्नि की शक्ति को नष्ट करने वाले हैं

अव्यक्तलक्षण

373

ॐ अव्यक्तलक्षणाय नमः।

Om Avyaktalakshanaya Namah।

जो सामान्य मानव की बुद्धि द्वारा अभिव्यक्त नहीं हो सकते

आधारपीठ

374

ॐ आधारपीठाय नमः।

Om Adharapithaya Namah।

जो पृथ्वी से लेकर शिवपर्यन्त छत्तीस आधारभूत तत्त्वों के भी आश्रय हैं

आधार

375

ॐ आधाराय नमः।

Om Adharaya Namah।

जो विष्णु तथा ब्रह्मा को भी धारण करने वाले हैं

आधाराधेयवर्जित

376

ॐ आधाराधेयवर्जिताय नमः।

Om Adharadheyavarjitaya Namah।

जो अद्वैत स्वरूप हैं

आखुकेतन

377

ॐ आखुकेतनाय नमः।

Om Akhuketanaya Namah।

जिनके ध्वज पर मूषक का चिन्ह अंकित है

आशापूरक

378

ॐ आशापूरकाय नमः।

Om Ashapurakaya Namah।

जो सबकी आशा पूर्ण करने वाले हैं

आखुमहारथ

379

ॐ आखुमहारथाय नमः।

Om Akhumaharathaya Namah।

जो मूषकरूपी महान् रथ अर्थात् वाहन से युक्त हैं

इक्षुसागरमध्यस्थ

380

ॐ इक्षुसागरमध्यस्थाय नमः।

Om Ikshusagaramadhyasthaya Namah।

जो गन्ने के रस के सागर के मध्य विरजमान हैं

इक्षुभक्षणलालस

381

ॐ इक्षुभक्षणलालसाय नमः।

Om Ikshubhakshanalalasaya Namah।

जिन्हें गन्ना का सेवन करना अत्यन्त प्रिय है

इक्षुचापातिरेकश्री

382

ॐ इक्षुचापातिरेकश्रिये नमः।

Om Ikshuchapatirekashriye Namah।

जो मन्मथ अर्थात् कामदेव से भी अधिक सुन्दर हैं

इक्षुचापनिषेवित

383

ॐ इक्षुचापनिषेविताय नमः।

Om Ikshuchapanishevitaya Namah।

कामदेव जिनकी पुजा करते हैं

इन्द्रगोपसमानश्री

384

ॐ इन्द्रगोपसमानश्रिये नमः।

Om Indragopasamanashriye Namah।

जो इन्द्रगोप नामक कीट के समान वर्ण वाले हैं

इन्द्रनीलसमद्युति

385

ॐ इन्द्रनीलसमद्युतये नमः।

Om Indranilasamadyutaye Namah।

जो नीलमणि के समान श्याम कान्ति वाले हैं

इन्दीवरदलश्याम

386

ॐ इन्दीवरदलश्यामाय नमः।

Om Indivaradalashyamaya Namah।

जो नीलकमल के समान श्याम वर्ण वाले हैं

इन्दुमण्डलनिर्मल

387

ॐ इन्दुमण्डलनिर्मलाय नमः।

Om Indumandalanirmalaya Namah।

जो चन्द्रमा के समान गौर कान्ति वाले हैं

इध्मप्रिय

388

ॐ इध्मप्रियाय नमः।

Om Idhmapriyaya Namah।

जिनको हवन की समिधा प्रिय है

इडाभाग

389

ॐ इडाभागाय नमः।

Om Idabhagaya Namah।

जो ऋत्विक्, यजमान आदि रूप में यज्ञ में भाग लेने वाले हैं

इराधाम

390

ॐ इराधाम्ने नमः।

Om Iradhamne Namah।

जिनके धाम में पृथ्वी निवास करती हैं

इन्दिराप्रिय

391

ॐ इन्दिराप्रियाय नमः।

Om Indirapriyaya Namah।

जो देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं

इक्ष्वाकुविघ्नविध्वंसी

392

ॐ इक्ष्वाकुविघ्नविध्वंसिने नमः।

Om Ikshvakuvighnavidhvamsine Namah।

जो राजा इक्ष्वाकु के विघ्न का नाश करने वाले हैं

इतिकर्तव्यतेप्सित

393

ॐ इतिकर्तव्यतेप्सिताय नमः।

Om Itikartavyatepsitaya Namah।

जो यजमान की मनोवांछा पूर्ण करने वाले हैं

ईशानमौलि

394

ॐ ईशानमौलये नमः।

Om Ishanamaulaye Namah।

जो देवों के देव हैं

ईशान

395

ॐ ईशानाय नमः।

Om Ishanaya Namah।

जो देवों में सर्वश्रेष्ठ हैं

ईशानसुत

396

ॐ ईशानसुताय नमः।

Om Ishanasutaya Namah।

जो भगवान शङ्कर के पुत्र हैं

ईतिहा

397

ॐ ईतिघ्ने नमः।

Om Itighne Namah।

जो फसल की समस्त प्रकार के रोगों एवं विपदाओं से रक्षा करने वाले हैं

ईषणात्रयकल्पान्त

398

ॐ ईषणात्रयकल्पान्ताय नमः।

Om Ishanatrayakalpantaya Namah।

जो भौतिक कामनाओं के प्रति वैराग्य उत्पन्न करने वाले हैं

ईहामात्रविवर्जित

399

ॐ ईहामात्रविवर्जिताय नमः।

Om Ihamatravivarjitaya Namah।

जो समस्त इच्छाओं से रहित हैं

उपेन्द्र

400

ॐ उपेन्द्राय नमः।

Om Upendraya Namah।

जो कश्यप-अदिति के यहाँ बालक के रूप में अवतरित होने वाले हैं

उडुभृन्मौलि

401

ॐ उडुभृन्मौलये नमः।

Om Udubhrinmaulaye Namah।

जो अपने मस्तक पर चन्द्रमा धारण करने वाले हैं

उण्डेरकबलिप्रिय

402

ॐ उण्डेरकबलिप्रियाय नमः।

Om Underakabalipriyaya Namah।

जिन्हें गोल-गोल मिष्टान्न प्रिय हैं

उन्नतानन

403

ॐ उन्नताननाय नमः।

Om Unnatananaya Namah।

जो ब्रह्मा आदि उत्कृष्ट देवों में चेतना जगाने वाले हैं

उत्तुङ्ग

404

ॐ उत्तुङ्गाय नमः।

Om Uttungaya Namah।

जो अत्यन्त विशाल देह वाले हैं

उदारत्रिदशाग्रणी

405

ॐ उदारत्रिदशाग्रण्ये नमः।

Om Udaratridashagranye Namah।

जो उदार देवताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं

ऊर्जस्वान्

406

ॐ ऊर्जस्वते नमः।

Om Urjasvate Namah।

जो असीमित ऊर्जा वाले हैं

ऊष्मलमद

407

ॐ ऊष्मलमदाय नमः।

Om Ushmalamadaya Namah।

जिनकी देह से गरम मद प्रवाहित होता है

ऊहापोहदुरासद

408

ॐ ऊहापोहदुरासदाय नमः।

Om Uhapohadurasadaya Namah।

जो समस्त तर्क-वितर्क से परे हैं

ऋग्यजुस्सामसम्भूति

409

ॐ ऋग्यजुस्सामसम्भूतये नमः।

Om Rigyajussamasambhutaye Namah।

जो ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद को प्रकट करने वाले हैं

ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तक

410

ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः।

Om Riddhisiddhipravartakaya Namah।

जो राज्य-सम्पत्ति तथा अणिमा आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं

ऋजुचित्तैकसुलभ

411

ॐ ऋजुचित्तैकसुलभाय नमः।

Om Rijuchittaikasulabhaya Namah।

जो सद्गुणी भक्तों को सरलता से प्राप्त होने वाले हैं

ऋणत्रयविमोचक

412

ॐ ऋणत्रयविमोचकाय नमः।

Om Rinatrayavimochakaya Namah।

जो देव ऋण, ऋषि ऋण तथा पितृ ऋण से मुक्त करने वाले हैं

स्वभक्त लुप्तविघ्न

413

ॐ स्वभक्तानां लुप्तविघ्नाय नमः।

Om Svabhaktanam Luptavighnaya Namah।

जो अपने भक्तों के समस्त कष्टों का नाश करने वाले हैं

सुरद्विषांलुप्तशक्ति

414

ॐ सुरद्विषां-लुप्तशक्तये नमः।

Om Suradvisham-luptashaktaye Namah।

जो दैत्यों की शक्ति नष्ट करने वाले हैं

विमुखार्चन लुप्तश्री

415

ॐ विमुखार्चानां लुप्तश्रिये नमः।

Om Vimukharchanam Luptashriye Namah।

जो अधर्मियों की समृद्धि नष्ट करने वाले हैं

लूताविस्फोटनाशन

416

ॐ लूताविस्फोटनाशनाय नमः।

Om Lutavisphotanashanaya Namah।

जो विभिन्न रोगों का नाश करने वाले हैं

एकारपीठमध्यस्थ

417

ॐ एकारपीठमध्यस्थाय नमः।

Om Ekarapithamadhyasthaya Namah।

जो त्रिकोणचक्र के मध्य में विराजमान हैं

एकपादकृतासन

418

ॐ एकपादकृतासनाय नमः।

Om Ekapadakritasanaya Namah।

जो एक पैर पर खड़े रहने वाले हैं

एजिताखिलदैत्यश्री

419

ॐ एजिताखिलदैत्यश्रिये नमः।

Om Ejitakhiladaityashriye Namah।

जो दैत्यों की समृद्धि नष्ट करने वाले हैं

एधिताखिलसंश्रय

420

ॐ एधिताखिलसंश्रयाय नमः।

Om Edhitakhilasamshrayaya Namah।

जो भक्तों के वैभव में वृद्धि करने वाले हैं

ऐश्वर्यनिधि

421

ॐ ऐश्वर्यनिधये नमः।

Om Aishvaryanidhaye Namah।

जो समस्त ऐश्वर्य के स्वामी हैं

ऐश्वर्य

422

ॐ ऐश्वर्याय नमः।

Om Aishvaryaya Namah।

जो स्वयं ऐश्वर्य स्वरूप हैं

ऐहिकामुष्मिकप्रद

423

ॐ ऐहिकामुष्मिकप्रदाय नमः।

Om Aihikamushmikapradaya Namah।

जो लौकिक और पारलौकिक सुख देने वाले हैं

ऐरम्मदसमोन्मेष

424

ॐ ऐरम्मदसमोन्मेषाय नमः।

Om Airammadasamonmeshaya Namah।

जो विद्युत के समान तेज वाले हैं

ऐरावतनिभानन

425

ॐ ऐरावतनिभाननाय नमः।

Om Airavatanibhananaya Namah।

जिनका मुख ऐरावत हाथी के समान है

ओङ्कारवाच्य

426

ॐ ओङ्कारवाच्याय नमः।

Om Onkaravachyaya Namah।

जो ‘ॐ’ मन्त्र के सार हैं

ओङ्कार

427

ॐ ओङ्काराय नमः।

Om Onkaraya Namah।

जो स्वयं ॐ स्वरूप हैं

ओजस्वान्

428

ॐ ओजस्वते नमः।

Om Ojasvate Namah।

जो अतुलनीय तेज वाले हैं

ओषधीपति

429

ॐ ओषधीपतये नमः।

Om Oshadhipataye Namah।

जो औषधियों के अधिपति चन्द्रमा स्वरूप हैं

औदार्यनिधि

430

ॐ औदार्यनिधये नमः।

Om Audaryanidhaye Namah।

जो भक्तों के प्रति अत्यन्त उदार हैं

औद्धत्यधुर्य

431

ॐ औद्धत्यधुर्याय नमः।

Om Auddhatyadhuryaya Namah।

जो अपने भक्तों पर कृपा हेतु अत्यन्त उतकर्षित होते हैं

औन्नत्यनिस्स्वन

432

ॐ औन्नत्यनिस्स्वनाय नमः।

Om Aunnatyanissvanaya Namah।

जो सबकी अपेक्षा उच्चस्वर से गर्जना करने वाले हैं

सुरनागानामङ्कुश

433

ॐ सुरनागानामङ्कुशाय नमः।

Om Suranaganamankushaya Namah।

जो तीनों लोकों को नियन्त्रित करने वाले हैं

सुरविद्विषामङ्कुश

434

ॐ सुरविद्विषामङ्कुशाय नमः।

Om Suravidvishamankushaya Namah।

जो देवताओं और विद्वानों के द्वेषियों को दण्डित करने वाले हैं

अःसमस्तविसर्गान्तपदेषुपरिकीर्तित

435

ॐ अःसमस्तविसर्गान्तपदेषुपरिकीर्तिताय नमः।

Om Ahsamastavisargantapadeshuparikirtitaya Namah।

सम्पूर्ण वर्णमाला जिनकी स्तुति करती है

कमण्डलुधर

436

ॐ कमण्डलुधराय नमः।

Om Kamandaludharaya Namah।

जो कमण्डलु धारण करने वाले हैं

कल्प

437

ॐ कल्पाय नमः।

Om Kalpaya Namah।

जो स्वयं प्रलयस्वरूप हैं

कपर्दी

438

ॐ कपर्दिने नमः।

Om Kapardine Namah।

जो जटाजूट धारण करने वाले हैं

कलभानन

439

ॐ कलभाननाय नमः।

Om Kalabhananaya Namah।

जो गजमुख अथवा हाथी के समान मुख वाले हैं

कर्मसाक्षी

440

ॐ कर्मसाक्षिणे नमः।

Om Karmasakshine Namah।

जो अदृष्ट कर्मों के भी साक्षी हैं

कर्मकर्ता

441

ॐ कर्मकर्त्रे नमः।

Om Karmakartre Namah।

जो कर्म करने की प्रेरणा देने वाले हैं

कर्माकर्मफलप्रद

442

ॐ कर्माकर्मफलप्रदाय नमः।

Om Karmakarmaphalapradaya Namah।

जो कर्मानुसार स्वर्ग और मोक्षरूप फल देने वाले हैं

कदम्बगोलकाकार

443

ॐ कदम्बगोलकाकाराय नमः।

Om Kadambagolakakaraya Namah।

जो कदम्ब-पुष्प के समान गोल आकार वाले हैं

कूष्माण्डगणनायक

444

ॐ कूष्माण्डगणनायकाय नमः।

Om Kushmandagananayakaya Namah।

जो दुष्ट ग्रहों पर कठोर शासन करने वाले हैं

कारुण्यदेह

445

ॐ कारुण्यदेहाय नमः।

Om Karunyadehaya Namah।

जो करुणा के सागर हैं

कपिल

446

ॐ कपिलाय नमः।

Om Kapilaya Namah।

जो कपिल मुनि स्वरूप हैं

कथक

447

ॐ कथकाय नमः।

Om Kathakaya Namah।

जो सम्प्रदायों के प्रवर्तक हैं

कटिसूत्रभृत्

448

ॐ कटिसूत्रभृते नमः।

Om Katisutrabhrite Namah।

जो स्वर्ण का कमरबन्ध धारण करने वाले हैं

खर्व

449

ॐ खर्वाय नमः।

Om Kharvaya Namah।

जो वामन स्वरूप हैं

खड्गप्रिय

450

ॐ खड्गप्रियाय नमः।

Om Khadgapriyaya Namah।

जिन्हें खड्ग अत्यन्त प्रिय है

खड्गखान्तान्तःस्थ

451

ॐ खड्गखान्तान्तःस्थाय नमः।

Om Khadgakhantantahsthaya Namah।

जो गकार में विराजमान हैं

खनिर्मल

452

ॐ खनिर्मलाय नमः।

Om Khanirmalaya Namah।

जो आकाश की भाँति सबमें रहते हुए भी सबसे निर्लिप्त हैं

खल्वाटशृङ्गनिलय

453

ॐ खल्वाटशृङ्गनिलयाय नमः।

Om Khalvatashringanilayaya Namah।

जो वृक्षविहीन पर्वत के शिखर पर निवास करने वाले हैं

खट्वाङ्गी

454

ॐ खट्वाङ्गिने नमः।

Om Khatvangine Namah।

जो खट्वाङ्ग नामक अस्त्र धारण करने वाले हैं

खदुरासद

455

ॐ खदुरासदाय नमः।

Om Khadurasadaya Namah।

जो आकाश की भाँति पकड़ में न आ सकने वाले हैं

गुणाढ्य

456

ॐ गुणाढ्याय नमः।

Om Gunadhyaya Namah।

जो सर्वगुण सम्पन्न हैं

गहन

457

ॐ गहनाय नमः।

Om Gahanaya Namah।

जो अत्यन्त गूढ़ हैं

गस्थ

458

ॐ गस्थाय नमः।

Om Gasthaya Namah।

जो ‘ग’ बीजाक्षर में विराजमान हैं

गद्यपद्यसुधार्णव

459

ॐ गद्यपद्यसुधार्णवाय नमः।

Om Gadyapadyasudharnavaya Namah।

जो गद्य एवं पद्य में काव्यरस रूपी अमृत के सागर हैं

गद्यगानप्रिय

460

ॐ गद्यगानप्रियाय नमः।

Om Gadyaganapriyaya Namah।

जिन्हें सामवेद का पाठ प्रिय है

गर्ज

461

ॐ गर्जाय नमः।

Om Garjaya Namah।

जो बादल के समान गर्जना करने वाले हैं

गीतगीर्वाणपूर्वज

462

ॐ गीतगीर्वाणपूर्वजाय नमः।

Om Gitagirvanapurvajaya Namah।

जो नाद से उत्पन्न गीत तथा नाद के अर्थ से उत्पन्न देवताओं के पूर्वज हैं

गुह्याचाररत

463

ॐ गुह्याचाररताय नमः।

Om Guhyachararataya Namah।

जो परमात्मा के चिन्तन में लगे साधकों पर सन्तुष्ट रहने वाले हैं

गुह्य

464

ॐ गुह्याय नमः।

Om Guhyaya Namah।

जो एकान्त में जानने योग्य हैं

गुह्यागमनिरूपित

465

ॐ गुह्यागमनिरूपिताय नमः।

Om Guhyagamanirupitaya Namah।

जिनकी महिमा वेदों में वर्णित है

गुहाशय

466

ॐ गुहाशयाय नमः।

Om Guhashayaya Namah।

जो हृदय में शयन करने वाले अन्तर्यामी पुरुष हैं

गुहाब्धिस्थ

467

ॐ गुहाब्धिस्थाय नमः।

Om Guhabdhisthaya Namah।

जो हृदय रूपी आकाश सागर में स्थित रहने वाले हैं

गुरुगम्य

468

ॐ गुरुगम्याय नमः।

Om Gurugamyaya Namah।

जिन्हें मात्र गुरु के द्वारा ही जाना जा सकता है

गुरोर्गुरु

469

ॐ गुरोर्गुरवे नमः।

Om Gurorgurave Namah।

जो गुरुओं के भी गुरु हैं

घण्टाघर्घरिकामाली

470

ॐ घण्टाघर्घरिकामालिने नमः।

Om Ghantaghargharikamaline Namah।

जो मनोहर शब्द करने वाली घर्घरिका नामक घण्टी की माला धारण करने वाले हैं

घटकुम्भ

471

ॐ घटकुम्भाय नमः।

Om Ghatakumbhaya Namah।

जो विशाल मस्तक वाले हैं

घटोदर

472

ॐ घटोदराय नमः।

Om Ghatodaraya Namah।

जो घड़े के समान पेट वाले हैं

चण्ड

473

ॐ चण्डाय नमः।

Om Chandaya Namah।

जो प्रचण्ड पराक्रमी हैं

चण्डेश्वरसुहृत्

474

ॐ चण्डेश्वरसुहृदे नमः।

Om Chandeshvarasuhride Namah।

जो भगवान शिव के पार्षद चण्डेश्वर के प्रिय हैं

चण्डीश

475

ॐ चण्डीशाय नमः।

Om Chandishaya Namah।

जो भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय हैं

चण्डविक्रम

476

ॐ चण्डविक्रमाय नमः।

Om Chandavikramaya Namah।

जो क्रोधी दुष्टों पर आक्रमण करके उन्हें वश में करने वाले हैं

चराचरपति

477

ॐ चराचरपतये नमः।

Om Characharapataye Namah।

जो इस सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं

चिन्तामणिचर्वणलालस

478

ॐ चिन्तामणिचर्वणलालसाय नमः।

Om Chintamanicharvanalalasaya Namah।

जो चिन्तामणि का अभिमान नष्ट करने वाले हैं

छन्द

479

ॐ छन्दसे नमः।

Om Chhandase Namah।

जो स्वयं वेद के रूप में हैं

छन्दोवपु

480

ॐ छन्दोवपुषे नमः।

Om Chhandovapushe Namah।

जो वेदों को अपनी देह के रूप में धारण करने वाले हैं

छन्दोदुर्लक्ष्य

481

ॐ छन्दोदुर्लक्ष्याय नमः।

Om Chhandodurlakshyaya Namah।

वेद भी जिनको पूर्ण रूप से जानने में असमर्थ हैं

छन्दविग्रह

482

ॐ छन्दविग्रहाय नमः।

Om Chhandavigrahaya Namah।

जो भक्तों की इच्छा के अनुसार अवतार-शरीर धारण करने वाले हैं

जगद्योनि

483

ॐ जगद्योनये नमः।

Om Jagadyonaye Namah।

जो इस सृष्टि के कारण हैं

जगत्साक्षी

484

ॐ जगत्साक्षिणे नमः।

Om Jagatsakshine Namah।

जो इस सम्पूर्ण सृष्टि के साक्षी हैं

जगदीश

485

ॐ जगदीशाय नमः।

Om Jagadishaya Namah।

जो इस सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी हैं

जगन्मय

486

ॐ जगन्मयाय नमः।

Om Jaganmayaya Namah।

जो स्वयं ही जगत के रूप में विद्यमान हैं

जप

487

ॐ जपाय नमः।

Om Japaya Namah।

जो मन्त्र के रूप में विद्यमान हैं

जपपर

488

ॐ जपपराय नमः।

Om Japaparaya Namah।

जो सदैव ध्यान/जप में लीन रहने वाले हैं

जप्य

489

ॐ जप्याय नमः।

Om Japyaya Namah।

जो जपनीय मन्त्र के स्वरूप हैं

जिह्वासिंहासनप्रभु

490

ॐ जिह्वासिंहासन-प्रभवे नमः।

Om Jihvasimhasana-prabhave Namah।

जो वाणी अथवा वाक् शक्ति के स्वामी हैं

झलज्झलोल्लसद्दानझङ्कारिभ्रमराकुल

491

ॐ झलज्झलोल्लसद्दानझङ्कारिभ्रमराकुलाय नमः।

Om Jhalajjhalollasaddanajhankaribhramarakulaya Namah।

जो भ्रमर द्वारा आकर्षित होने वाले हैं

टङ्कारस्फारसंराव

492

ॐ टङ्कारस्फारसंरावाय नमः।

Om Tankaraspharasamravaya Namah।

जिनके आभूषण टँकार जैसी ध्वनि करने वाले हैं

टङ्कारिमणिनूपुर

493

ॐ टङ्कारिमणिनूपुराय नमः।

Om Tankarimaninupuraya Namah।

जो छोटे-छोटे नूपरों से सुसज्जित पायल धारण करने वाले हैं

ठद्वयीपल्लवान्तःस्थसर्वमन्त्रैकसिद्धिद

494

ॐ ठद्वयीपल्लवान्तःस्थसर्वमन्त्रैकसिद्धिदाय नमः।

Om Thadvayipallavantahsthasarvamantraikasiddhidaya Namah।

जो विधिवत पढे गये मन्त्रों के एकमात्र सिद्धिदाता हैं

डिण्डिमुण्ड

495

ॐ डिण्डिमुण्डाय नमः।

Om Dindimundaya Namah।

जो ढ़ोल के समान विशाल मस्तक वाले हैं

डाकिनीश

496

ॐ डाकिनीशाय नमः।

Om Dakinishaya Namah।

जो योगिनियों के स्वामी हैं

डामर

497

ॐ डामराय नमः।

Om Damaraya Namah।

जो डामर नामक तन्त्र के समान हैं

डिण्डिमप्रिय

498

ॐ डिण्डिमप्रियाय नमः।

Om Dindimapriyaya Namah।

जो नगाड़े की ध्वनि से प्रसन्न होने वाले हैं

ढक्कानिनादमुदित

499

ॐ ढक्कानिनादमुदिताय नमः।

Om Dhakkaninadamuditaya Namah।

जिन्हें ढक्के की ध्वनि अत्यन्त प्रिय है

ढौक

500

ॐ ढौकाय नमः।

Om Dhaukaya Namah।

जो सब कुछ जानने वाले हैं

ढुण्ढिविनायक

501

ॐ ढुण्ढिविनायकाय नमः।

Om Dhundhivinayakaya Namah।

जो विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले हैं

तत्त्व परम तत्त्व

502

ॐ तत्त्वानां परमाय तत्त्वाय नमः।

Om Tattvanam Paramaya Tattvaya Namah।

जो समस्त सिद्धान्तों में सर्वोच्च सिद्धान्त हैं

तत्त्वम्पदनिरूपित

503

ॐ तत्त्वम्पदनिरूपिताय नमः।

Om Tattvampadanirupitaya Namah।

जो भक्तों को सैद्धान्तिक मार्ग पर चलाने वाले हैं

तारकान्तरसंस्थान

504

ॐ तारकान्तरसंस्थानाय नमः।

Om Tarakantarasamsthanaya Namah।

जो नेत्रों की पुतलियों में वास करने वाले हैं

तारक

505

ॐ तारकाय नमः।

Om Tarakaya Namah।

जो भवसागर से तारने वाले हैं

तारकान्तक

506

ॐ तारकान्तकाय नमः।

Om Tarakantakaya Namah।

जो तारकासुर का संहार करने वाले हैं

स्थाणु

507

ॐ स्थाणवे नमः।

Om Sthanave Namah।

जो स्थिर हैं

स्थाणुप्रिय

508

ॐ स्थाणुप्रियाय नमः।

Om Sthanupriyaya Namah।

जो भगवान शिव के प्रिय पुत्र हैं

स्थाता

509

ॐ स्थात्रे नमः।

Om Sthatre Namah।

जो युद्ध में दृढ़तापूर्वक डटे रहने वाले हैं

स्थावर जङ्गम जगत्

510

ॐ स्थावराय जङ्गमाय जगते नमः।

Om Sthavaraya Jangamaya Jagate Namah।

जो स्वयं चराचर जगत स्वरूप हैं

दक्षयज्ञप्रमथन

511

ॐ दक्षयज्ञप्रमथनाय नमः।

Om Dakshayajnapramathanaya Namah।

जो दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस करने वाले हैं

दाता

512

ॐ दात्रे नमः।

Om Datre Namah।

जो पतितपावन हैं

दानवमोहन

513

ॐ दानवमोहनाय नमः।

Om Danavamohanaya Namah।

जो राक्षसों को विकेकहीन करने वाले हैं

दयावान्

514

ॐ दयावते नमः।

Om Dayavate Namah।

जो अत्यन्त दयावान हैं

दिव्यविभव

515

ॐ दिव्यविभवाय नमः।

Om Divyavibhavaya Namah।

जो भक्तों को दिव्य वैभव से सम्पन्न करने वाले हैं

दण्डभृत्

516

ॐ दण्डभृते नमः।

Om Dandabhrite Namah।

जो दण्डनीति का पालन करने वाले हैं

दण्डनायक

517

ॐ दण्डनायकाय नमः।

Om Dandanayakaya Namah।

जो दण्ड के प्रवर्तक हैं

दन्तप्रभिन्नाभ्रमाल

518

ॐ दन्तप्रभिन्नाभ्रमालाय नमः।

Om Dantaprabhinnabhramalaya Namah।

जो अपने दाँत के आघात से मेघों को छिन्न-भिन्न कर देने वाले हैं

दैत्यवारणदारण

519

ॐ दैत्यवारणदारणाय नमः।

Om Daityavaranadaranaya Namah।

जो दानवों को रोकने और उनका अन्त करने वाले हैं

दंष्ट्रालग्नद्विपघट

520

ॐ दंष्ट्रालग्नद्विपघटाय नमः।

Om Damshtralagnadvipaghataya Namah।

जिनके दाढ़ में शत्रुओं के हाथियों का समूह स्थित है

देवार्थनृगजाकृति

521

ॐ देवार्थनृगजाकृतये नमः।

Om Devarthanrigajakritaye Namah।

जो देवताओं के कल्याण हेतु मनुष्य और गज की आकृति धारण करने वाले हैं

धनधान्यपति

522

ॐ धनधान्यपतये नमः।

Om Dhanadhanyapataye Namah।

जो धन-धान्य के अधिपति हैं

धन्य

523

ॐ धन्याय नमः।

Om Dhanyaya Namah।

जो धन सम्पन्न एवं पुण्यवान हैं

धनद

524

ॐ धनदाय नमः।

Om Dhanadaya Namah।

जो धन-सम्पत्ति प्रदान करने वाले हैं

धरणीधर

525

ॐ धरणीधराय नमः।

Om Dharanidharaya Namah।

जो पृथ्वी को धारण करने वाले हैं

ध्यानैकप्रकट

526

ॐ ध्यानैकप्रकटाय नमः।

Om Dhyanaikaprakataya Namah।

जो एकमात्र ध्यान में ही प्रकट होने वाले हैं

ध्येय

527

ॐ ध्येयाय नमः।

Om Dhyeyaya Namah।

जो ध्यान से प्राप्त होने वाले हैं

ध्यान

528

ॐ ध्यानाय नमः।

Om Dhyanaya Namah।

जो स्वयं ध्यानस्वरूप हैं

ध्यानपरायण

529

ॐ ध्यानपरायणाय नमः।

Om Dhyanaparayanaya Namah।

जो ध्यान में संलग्न रहने वाले हैं

नन्द्य

530

ॐ नन्द्याय नमः।

Om Nandyaya Namah।

जो सदैव उत्साहित एवं आनन्दित रहने वाले हैं

नन्दिप्रिय

531

ॐ नन्दिप्रियाय नमः।

Om Nandipriyaya Namah।

जो नन्दिकेश्वर के अत्यन्त प्रिय हैं

नाद

532

ॐ नादाय नमः।

Om Nadaya Namah।

जो स्वयं नाद स्वरूप हैं

नादमध्यप्रतिष्ठित

533

ॐ नादमध्यप्रतिष्ठिताय नमः।

Om Nadamadhyapratishthitaya Namah।

जो सङ्गीत एवं वाद्ययन्त्रों के मध्य प्रसन्न रहने वाले हैं

निष्कल

534

ॐ निष्कलाय नमः।

Om Nishkalaya Namah।

जो अवयव रहित हैं

निर्मल

535

ॐ निर्मलाय नमः।

Om Nirmalaya Namah।

जो पूर्णतः पवित्र हैं

नित्य

536

ॐ नित्याय नमः।

Om Nityaya Namah।

जो अनश्वर हैं

नित्यानित्य

537

ॐ नित्यानित्याय नमः।

Om Nityanityaya Namah।

जो नश्वर-अनश्वर दोनों रूपों को धारण करने वाले हैं

निरामय

538

ॐ निरामयाय नमः।

Om Niramayaya Namah।

जो अविद्या रूपी महारोग से मुक्त हैं

परं व्योम

539

ॐ परस्मै व्योम्ने नमः।

Om Parasmai Vyomne Namah।

जो नित्य धामस्वरूप हैं

परं धाम

540

ॐ परस्मै धाम्ने नमः।

Om Parasmai Dhamne Namah।

जो परम ज्योति हैं

परमात्मा

541

ॐ परमात्मने नमः।

Om Paramatmane Namah।

जो स्वयं परब्रह्म हैं

परं पद

542

ॐ परस्मै पदाय नमः।

Om Parasmai Padaya Namah।

जो सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित हैं

परात्पर

543

ॐ परात्पराय नमः।

Om Paratparaya Namah।

जो पर अर्थात् भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से भी उत्कृष्ट हैं

पशुपति

544

ॐ पशुपतये नमः।

Om Pashupataye Namah।

जो समस्त प्राणियों के पालक हैं

पशुपाशविमोचक

545

ॐ पशुपाशविमोचकाय नमः।

Om Pashupashavimochakaya Namah।

जो जीवों को विभिन्न बन्धनों से मुक्त करने वाले हैं

पूर्णानन्द

546

ॐ पूर्णानन्दाय नमः।

Om Purnanandaya Namah।

जो आनन्द की वर्षा करने वाले हैं

परानन्द

547

ॐ परानन्दाय नमः।

Om Paranandaya Namah।

जो सदैव परम आनन्द प्रदान करने वाले हैं

पुराणपुरुषोत्तम

548

ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः।

Om Puranapurushottamaya Namah।

जो समस्त देवगणों में सर्वोच्च हैं

पद्मप्रसन्ननयन

549

ॐ पद्मप्रसन्ननयनाय नमः।

Om Padmaprasannanayanaya Namah।

जो खिले हुये कमलपुष्पों के समान प्रसन्न नेत्रों वाले हैं

प्रणताज्ञानमोचन

550

ॐ प्रणताज्ञानमोचनाय नमः।

Om Pranatajnanamochanaya Namah।

जो भक्त के समस्त अज्ञान का नाश करने वाले हैं

प्रमाणप्रत्ययातीत

551

ॐ प्रमाणप्रत्ययातीताय नमः।

Om Pramanapratyayatitaya Namah।

जो विभिन्न प्रमाणों की प्रतीति से परे नित्य ज्ञान स्वरूप हैं

प्रणतार्तिनिवारण

552

ॐ प्रणतार्तिनिवारणाय नमः।

Om Pranatartinivaranaya Namah।

जो भक्तों के कष्ट का निवारण करने वाले हैं

फलहस्त

553

ॐ फलहस्ताय नमः।

Om Phalahastaya Namah।

जो भक्तों को अविलम्ब फल प्रदान करने वाले हैं

फणिपति

554

ॐ फणिपतये नमः।

Om Phanipataye Namah।

जो शेष और वासुकि नाग के भी स्वामी हैं

फेत्कार

555

ॐ फेत्काराय नमः।

Om Phetkaraya Namah।

जो स्वयं तन्त्र स्वरूप हैं

फाणितप्रिय

556

ॐ फाणितप्रियाय नमः।

Om Phanitapriyaya Namah।

जो गन्ने के रस के प्रेमी हैं

बाणार्चिताङ्घ्रियुगल

557

ॐ बाणार्चिताङ्घ्रियुगलाय नमः।

Om Banarchitanghriyugalaya Namah।

जिनके चरण कमलों का पूजन बाणासुर करता है

बालकेलिकुतूहली

558

ॐ बालकेलिकुतूहलिने नमः।

Om Balakelikutuhaline Namah।

जो बाल क्रीडा का आनन्द लेने वाले हैं

ब्रह्म

559

ॐ ब्रह्मणे नमः।

Om Brahmane Namah।

जो स्वयं ब्रह्म स्वरूप हैं

ब्रह्मार्चितपद

560

ॐ ब्रह्मार्चितपदाय नमः।

Om Brahmarchitapadaya Namah।

जिनके चरण कमलों का पूजन ब्रह्मा जी करते हैं

ब्रह्मचारी

561

ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।

Om Brahmacharine Namah।

जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले हैं

बृहस्पति

562

ॐ बृहस्पतये नमः।

Om Brihaspataye Namah।

जो स्वयं देवगुरु बृहस्पति स्वरूप हैं

बृहत्तम

563

ॐ बृहत्तमाय नमः।

Om Brihattamaya Namah।

जो अत्यधिक विशालकाय हैं

ब्रह्मपर

564

ॐ ब्रह्मपराय नमः।

Om Brahmaparaya Namah।

जो ब्रह्मा जी से भी श्रेष्ठ हैं

ब्रह्मण्य

565

ॐ ब्रह्मण्याय नमः।

Om Brahmanyaya Namah।

जो ब्राह्मणों पर श्रद्धा रखने वाले हैं

ब्रह्मवित्प्रिय

566

ॐ ब्रह्मवित्प्रियाय नमः।

Om Brahmavitpriyaya Namah।

जो विद्यार्थियों को प्रिय हैं

बृहन्नादाग्र्यचीत्कार

567

ॐ बृहन्नादाग्र्यचीत्काराय नमः।

Om Brihannadagryachitkaraya Namah।

जो मेघों से भी अधिक उच्चस्वर से गर्जना करने वाले हैं

ब्रह्माण्डावलिमेखल

568

ॐ ब्रह्माण्डावलिमेखलाय नमः।

Om Brahmandavalimekhalaya Namah।

जो ब्रह्माण्ड को अपनी कटिसूत्र के रूप में धारण करने वाले हैं

भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीक

569

ॐ भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीकाय नमः।

Om Bhrukshepadattalakshmikaya Namah।

जो पलक झपकते ही भक्तों पर धनवर्षा करने वाले हैं

भर्ग

570

ॐ भर्गाय नमः।

Om Bhargaya Namah।

जो सूर्य के समान तेज वाले हैं

भद्र

571

ॐ भद्राय नमः।

Om Bhadraya Namah।

जो सर्वोत्तम एवं सभ्य हैं

भयापह

572

ॐ भयापहाय नमः।

Om Bhayapahaya Namah।

जो भक्तों के ज्ञात-अज्ञात भय नष्ट करने वाले हैं

भगवान्

573

ॐ भगवते नमः।

Om Bhagavate Namah।

जो षड्विध ऐश्वर्य से सम्पन्न हैं

भक्तिसुलभ

574

ॐ भक्तिसुलभाय नमः।

Om Bhaktisulabhaya Namah।

जो भक्ति द्वारा सुगमता से प्राप्त किए जा सकते हैं

भूतिद

575

ॐ भूतिदाय नमः।

Om Bhutidaya Namah।

जो अष्ट सिद्धियों के दाता हैं

भूतिभूषण

576

ॐ भूतिभूषणाय नमः।

Om Bhutibhushanaya Namah।

जो भस्म धारण करने वाले हैं

भव्य

577

ॐ भव्याय नमः।

Om Bhavyaya Namah।

जो कल्याणस्वरूप हैं

भूतालय

578

ॐ भूतालयाय नमः।

Om Bhutalayaya Namah।

जो पञ्चभूत आदि समस्त भूत प्राणियों के आश्रय हैं

भोगदाता

579

ॐ भोगदात्रे नमः।

Om Bhogadatre Namah।

जो जीवों को कर्मानुसार फल प्रदान करने वाले हैं

भ्रूमध्यगोचर

580

ॐ भ्रूमध्यगोचराय नमः।

Om Bhrumadhyagocharaya Namah।

जो ध्यान काल में दोनों भौंहों के मध्य अनुभूत होने वाले हैं

मन्त्र

581

ॐ मन्त्राय नमः।

Om Mantraya Namah।

जो स्वयं मन्त्र स्वरूप हैं

मन्त्रपति

582

ॐ मन्त्रपतये नमः।

Om Mantrapataye Namah।

जो समस्त मन्त्रणाओं के अधिपति हैं

मन्त्री

583

ॐ मन्त्रिणे नमः।

Om Mantrine Namah।

जो राज्य सञ्चालन हेतु समस्त मन्त्रशक्ति के अधिष्ठाता हैं

मदमत्तमनोरम

584

ॐ मदमत्तमनोरमाय नमः।

Om Madamattamanoramaya Namah।

जो आनन्द-उत्साह में लीन हैं

मेखलावान्

585

ॐ मेखलावते नमः।

Om Mekhalavate Namah।

जो कमरबन्ध धारण करने वाले हैं

मन्दगति

586

ॐ मन्दगतये नमः।

Om Mandagataye Namah।

जो अल्प बुद्धियों के भी आश्रय दाता हैं

मतिमत्कमलेक्षण

587

ॐ मतिमत्कमलेक्षणाय नमः।

Om Matimatkamalekshanaya Namah।

जो सद्बुद्धि देने वाले हैं

महाबल

588

ॐ महाबलाय नमः।

Om Mahabalaya Namah।

जो अत्यन्त बलशाली हैं

महावीर्य

589

ॐ महावीर्याय नमः।

Om Mahaviryaya Namah।

जो महापराक्रमी एवं साहसी हैं

महाप्राण

590

ॐ महाप्राणाय नमः।

Om Mahapranaya Namah।

जो समस्त जीवात्माओं के प्राण हैं

महामना

591

ॐ महामनसे नमः।

Om Mahamanase Namah।

जो श्रेष्ठ विचारों वाले हैं

यज्ञ

592

ॐ यज्ञाय नमः।

Om Yajnaya Namah।

जो स्वयं यज्ञस्वरूप हैं

यज्ञपति

593

ॐ यज्ञपतये नमः।

Om Yajnapataye Namah।

जो यज्ञों के स्वामी हैं

यज्ञगोप्ता

594

ॐ यज्ञगोप्त्रे नमः।

Om Yajnagoptre Namah।

जो यज्ञों के रक्षक हैं

यज्ञफलप्रद

595

ॐ यज्ञफलप्रदाय नमः।

Om Yajnaphalapradaya Namah।

जो यज्ञों का फल प्रदान करने वाले हैं

यशस्कर

596

ॐ यशस्कराय नमः।

Om Yashaskaraya Namah।

जो यश एवं प्रसिद्धि प्रदान करने वाले हैं

योगगम्य

597

ॐ योगगम्याय नमः।

Om Yogagamyaya Namah।

जो योग द्वारा प्राप्त होने वाले हैं

याज्ञिक

598

ॐ याज्ञिकाय नमः।

Om Yajnikaya Namah।

जो यज्ञकर्ता हैं

याजकप्रिय

599

ॐ याजकप्रियाय नमः।

Om Yajakapriyaya Namah।

जो यज्ञ कराने वालों के प्रिय हैं

रस

600

ॐ रसाय नमः।

Om Rasaya Namah।

जो परम आनन्दस्वरूप हैं

रसप्रिय

601

ॐ रसप्रियाय नमः।

Om Rasapriyaya Namah।

जो मधुर आदि रसों में अधिक प्रीति रखने वाले हैं

रस्य

602

ॐ रस्याय नमः।

Om Rasyaya Namah।

जो आस्वाद के विषय हैं

रञ्जक

603

ॐ रञ्जकाय नमः।

Om Ranjakaya Namah।

जो हर्ष एवं आनन्द प्रदान करने वाले हैं

रावणार्चित

604

ॐ रावणार्चिताय नमः।

Om Ravanarchitaya Namah।

जो रावण द्वारा पूजे जाने वाले हैं

रक्षोरक्षाकर

605

ॐ रक्षोरक्षाकराय नमः।

Om Rakshorakshakaraya Namah।

जो राक्षसों की जलाकर राख कर देने वाले हैं

रत्नगर्भ

606

ॐ रत्नगर्भाय नमः।

Om Ratnagarbhaya Namah।

जो पृथ्वी के आश्रय हैं

राजसुखप्रद

607

ॐ राजसुखप्रदाय नमः।

Om Rajasukhapradaya Namah।

जो राजसुख प्रदान करने वाले हैं

लक्ष्य

608

ॐ लक्ष्याय नमः।

Om Lakshyaya Namah।

जो समस्त प्राणियों के उद्देश्य हैं

लक्ष्यप्रद

609

ॐ लक्ष्यप्रदाय नमः।

Om Lakshyapradaya Namah।

जो सफलतापूर्वक लक्ष्य प्रदान करने वाले हैं

लक्ष्य

610

ॐ लक्ष्याय नमः।

Om Lakshyaya Namah।

जो स्वयं परम लक्ष्य हैं

लयस्थ

611

ॐ लयस्थाय नमः।

Om Layasthaya Namah।

जो प्रलय काल में भी विद्यमान रहने वाले हैं

लड्डुकप्रिय

612

ॐ लड्डुकप्रियाय नमः।

Om Laddukapriyaya Namah।

जो लड्डूओं से अत्यन्त प्रसन्न रहने वाले हैं

लानप्रिय

613

ॐ लानप्रियाय नमः।

Om Lanapriyaya Namah।

जो गजशाला में प्रीति रखने वाले हैं

लास्यपर

614

ॐ लास्यपराय नमः।

Om Lasyaparaya Namah।

जो विलास योग्य परम धाम वाले हैं

लाभकृल्लोकविश्रुत

615

ॐ लाभकृल्लोकविश्रुताय नमः।

Om Labhakrillokavishrutaya Namah।

जो भक्तों को शीघ्र वर प्रदान करने वाले हैं

वरेण्य

616

ॐ वरेण्याय नमः।

Om Varenyaya Namah।

जो गणपति भक्त राजा वरेण्य के समान हैं

वह्निवदन

617

ॐ वह्निवदनाय नमः।

Om Vahnivadanaya Namah।

जो अग्नि के समान तेज धारण करने वाले हैं

वन्द्य

618

ॐ वन्द्याय नमः।

Om Vandyaya Namah।

जो हम सभी के आराध्य हैं

वेदान्तगोचर

619

ॐ वेदान्तगोचराय नमः।

Om Vedantagocharaya Namah।

जो उपनिषदों के द्वारा जानने योग्य हैं

विकर्ता

620

ॐ विकर्त्रे नमः।

Om Vikartre Namah।

जो जन्म आदि छः भावविकारों के प्रवर्तक हैं

विश्वतश्चक्षु

621

ॐ विश्वतश्चक्षुषे नमः।

Om Vishvatashchakshushe Namah।

जो संसार को अपने नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं

विधाता

622

ॐ विधात्रे नमः।

Om Vidhatre Namah।

जो सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले हैं

विश्वतोमुख

623

ॐ विश्वतोमुखाय नमः।

Om Vishvatomukhaya Namah।

जो स्वयं ब्रह्मा स्वरूप में विराजमान हैं

वामदेव

624

ॐ वामदेवाय नमः।

Om Vamadevaya Namah।

जो स्वयं शिव स्वरूप हैं

विश्वनेता

625

ॐ विश्वनेत्रे नमः।

Om Vishvanetre Namah।

जो सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करने वाले हैं

वज्रिवज्रनिवारण

626

ॐ वज्रिवज्रनिवारणाय नमः।

Om Vajrivajranivaranaya Namah।

जो इन्द्र के वज्र को स्तम्भित करने वाले हैं

विश्वबन्धनविष्कम्भाधार

627

ॐ विश्वबन्धनविष्कम्भाधाराय नमः।

Om Vishvabandhanavishkambhadharaya Namah।

जो सम्पूर्ण जगत की सृष्टि के आधार के आधार हैं

विश्वेश्वरप्रभु

628

ॐ विश्वेश्वरप्रभवे नमः।

Om Vishveshvaraprabhave Namah।

जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और उनके स्वामियों के स्वामी हैं

शब्दब्रह्म

629

ॐ शब्दब्रह्मणे नमः।

Om Shabdabrahmane Namah।

जो परा नामक वाणी से अतीत नादरूपधारी हैं

शमप्राप्य

630

ॐ शमप्राप्याय नमः।

Om Shamaprapyaya Namah।

जो मन के निग्रह द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं

शम्भुशक्तिगणेश्वर

631

ॐ शम्भुशक्तिगणेश्वराय नमः।

Om Shambhushaktiganeshvaraya Namah।

जो शिव एवं शक्ति के गणों के स्वामी हैं

शास्ता

632

ॐ शास्त्रे नमः।

Om Shastre Namah।

जो शास्ता नामक देवता के स्वरूप हैं

शिखाग्रनिलय

633

ॐ शिखाग्रनिलयाय नमः।

Om Shikhagranilayaya Namah।

जो शिखा के अग्रभाग में वास करने वाले हैं

शरण्य

634

ॐ शरण्याय नमः।

Om Sharanyaya Namah।

जो हम सभी के रक्षक हैं

शिखरीश्वर

635

ॐ शिखरीश्वराय नमः।

Om Shikharishvaraya Namah।

जो हिमालय के समान हैं

षड्ऋतुकुसुमस्रग्वी

636

ॐ षड्ऋतुकुसुमस्रग्विणे नमः।

Om Shadritukusumasragvine Namah।

जो छहों ऋतुओं में खिलने वाले पुष्पों की मालाओं से सुशोभित हैं

षडाधार

637

ॐ षडाधाराय नमः।

Om Shadadharaya Namah।

जो छहों चक्रों के आधारभूत मूलाधार चक्र के समान हैं

षडक्षर

638

ॐ षडक्षराय नमः।

Om Shadaksharaya Namah।

जो छः अक्षरों वाले ‘गणेशाय नमः’ मन्त्र स्वरूप हैं

संसारवैद्य

639

ॐ संसारवैद्याय नमः।

Om Samsaravaidyaya Namah।

जो समस्त सृष्टि के चिकित्सक हैं

सर्वज्ञ

640

ॐ सर्वज्ञाय नमः।

Om Sarvajnaya Namah।

जो सब कुछ जानने वाले हैं

सर्वभेषजभेषज

641

ॐ सर्वभेषजभेषजाय नमः।

Om Sarvabheshajabheshajaya Namah।

जो समस्त औषधियों की औषधि हैं

सृष्टिस्थितिलयक्रीड

642

ॐ सृष्टिस्थितिलयक्रीडाय नमः।

Om Srishtisthitilayakridaya Namah।

जगत की सृष्टि, पालन तथा उसका संहार करना जिनकी लीलायें हैं

सुरकुञ्जरभेदन

643

ॐ सुरकुञ्जरभेदनाय नमः।

Om Surakunjarabhedanaya Namah।

जो दानवों से पूजित होकर देवताओं में भेद उत्पन्न करने वाले हैं

सिन्दूरितमहाकुम्भ

644

ॐ सिन्दूरितमहाकुम्भाय नमः।

Om Sinduritamahakumbhaya Namah।

जो विशाल मस्तक पर सिन्दूर धारण करने वाले हैं

सदसद्व्यक्तिदायक

645

ॐ सदसद्व्यक्तिदायकाय नमः।

Om Sadasadvyaktidayakaya Namah।

जो भक्तों को सद्बुद्धि प्रदान करने वाले हैं

साक्षी

646

ॐ साक्षिणे नमः।

Om Sakshine Namah।

जो सृष्टि की समस्त गतिविधियों के साक्षी हैं

समुद्रमथन

647

ॐ समुद्रमथनाय नमः।

Om Samudramathanaya Namah।

जो समुद्र मन्थन काल में देवताओं द्वारा सर्वप्रथम पूजित हैं

स्वसंवेद्य

648

ॐ स्वसंवेद्याय नमः।

Om Svasamvedyaya Namah।

जो स्वयं परम ज्योति स्वरूप हैं

स्वदक्षिण

649

ॐ स्वदक्षिणाय नमः।

Om Svadakshinaya Namah।

जो स्वयं सब कुछ करने में समर्थ हैं

स्वतन्त्र

650

ॐ स्वतन्त्राय नमः।

Om Svatantraya Namah।

जो स्वतन्त्र हैं

सत्यसङ्कल्प

651

ॐ सत्यसङ्कल्पाय नमः।

Om Satyasankalpaya Namah।

जो परम सत्य स्वरूप हैं

सामगानरत

652

ॐ सामगानरताय नमः।

Om Samaganarataya Namah।

जो सामगान में तल्लीन रहने वाले हैं

सुखी

653

ॐ सुखिने नमः।

Om Sukhine Namah।

जो परम सुखी हैं

हंस

654

ॐ हंसाय नमः।

Om Hamsaya Namah।

जो सूर्य के समान हैं

हस्तिपिशाचीश

655

ॐ हस्तिपिशाचीशाय नमः।

Om Hastipishachishaya Namah।

जो हस्तिपिशाचीश नामक नवाक्षर मन्त्र के देवता हैं

हवन

656

ॐ हवनाय नमः।

Om Havanaya Namah।

जो आहुतिस्वरूप हैं

हव्यकव्यभुक्

657

ॐ हव्यकव्यभुजे नमः।

Om Havyakavyabhuje Namah।

जो देवताओं और पितरों को दी जाने वाली आहुति ग्रहण करने वाले हैं

हव्य

658

ॐ हव्याय नमः।

Om Havyaya Namah।

जो हव्य अर्थात् यज्ञ की आहुति के समान हैं

हुतप्रिय

659

ॐ हुतप्रियाय नमः।

Om Hutapriyaya Namah।

जो यज्ञाहुति में दिये गये द्रव्य के प्रेमी हैं

हर्ष

660

ॐ हर्षाय नमः।

Om Harshaya Namah।

जो सदैव प्रसन्नचित्त रहने वाले हैं

हृल्लेखामन्त्रमध्यग

661

ॐ हृल्लेखामन्त्रमध्यगाय नमः।

Om Hrillekhamantramadhyagaya Namah।

जो हृल्लेखा बीज मन्त्र के अर्थात् ह्रीं के मध्य वास करने वाले हैं

क्षेत्राधिप

662

ॐ क्षेत्राधिपाय नमः।

Om Kshetradhipaya Namah।

जो प्रयाग आदि तीर्थक्षेत्रों के अथवा शरीर आदि के स्वामी हैं

क्षमाभर्ता

663

ॐ क्षमाभर्त्रे नमः।

Om Kshamabhartre Namah।

जो पृथ्वी के आधार हैं

क्षमापरपरायण

664

ॐ क्षमापरपरायणाय नमः।

Om Kshamaparaparayanaya Namah।

जो क्षमाशील मुनियों द्वारा प्राप्य हैं

क्षिप्रक्षेमकर

665

ॐ क्षिप्रक्षेमकराय नमः।

Om Kshiprakshemakaraya Namah।

जो तत्क्षण कल्याण करने वाले हैं

क्षेमानन्द

666

ॐ क्षेमानन्दाय नमः।

Om Kshemanandaya Namah।

जो मंगलकर एवं आनन्द स्वरूप हैं

क्षोणीसुरद्रुम

667

ॐ क्षोणीसुरद्रुमाय नमः।

Om Kshonisuradrumaya Namah।

जो पृथ्वी पर कल्पवृक्ष के समान समस्त मनोरथों को पूर्ण करने वाले हैं

धर्मप्रद

668

ॐ धर्मप्रदाय नमः।

Om Dharmapradaya Namah।

जो धर्म प्रदान करने वाले हैं

अर्थद

669

ॐ अर्थदाय नमः।

Om Arthadaya Namah।

जो धन-सम्पदा प्रदान करने वाले हैं

कामदाता

670

ॐ कामदात्रे नमः।

Om Kamadatre Namah।

जो समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाले हैं

सौभाग्यवर्धन

671

ॐ सौभाग्यवर्धनाय नमः।

Om Saubhagyavardhanaya Namah।

जो स्त्रियों को सौभाग्य वृद्धि का वर देने वाले हैं

विद्याप्रद

672

ॐ विद्याप्रदाय नमः।

Om Vidyapradaya Namah।

जो विद्या प्रदान करने वाले हैं

विभवद

673

ॐ विभवदाय नमः।

Om Vibhavadaya Namah।

जो सम्पत्ति प्रदान करने वाले हैं

भुक्तिमुक्तिफलप्रद

674

ॐ भुक्तिमुक्तिफलप्रदाय नमः।

Om Bhuktimuktiphalapradaya Namah।

जो सांसारिक सुख एवं मोक्ष प्रदान करने वाले हैं

आभिरूप्यकर

675

ॐ आभिरूप्यकराय नमः।

Om Abhirupyakaraya Namah।

जो विद्वत्ता और सुन्दरता प्रदान करने वाले हैं

वीरश्रीप्रद

676

ॐ वीरश्रीप्रदाय नमः।

Om Virashripradaya Namah।

जो लक्ष्मी प्रदान करने वाले हैं

विजयप्रद

677

ॐ विजयप्रदाय नमः।

Om Vijayapradaya Namah।

जो विजय प्रदान करने वाले हैं

सर्ववश्यकर

678

ॐ सर्ववश्यकराय नमः।

Om Sarvavashyakaraya Namah।

जो सभी को भक्त के वश में कर देने वाले हैं

गर्भदोषहा

679

ॐ गर्भदोषघ्ने नमः।

Om Garbhadoshaghne Namah।

जो गर्भ की रक्षा अथवा गर्भपात आदि दोषों को दूर करने वाले हैं

पुत्रपौत्रद

680

ॐ पुत्रपौत्रदाय नमः।

Om Putrapautradaya Namah।

जो पुत्र और पौत्र प्रदान करने वाले हैं

मेधाद

681

ॐ मेधादाय नमः।

Om Medhadaya Namah।

जो विशिष्ट बुद्धि प्रदान करने वाले हैं

कीर्तिद

682

ॐ कीर्तिदाय नमः।

Om Kirtidaya Namah।

जो लोक में प्रसिद्धि प्रदान करने वाले हैं

शोकहारी

683

ॐ शोकहारिणे नमः।

Om Shokaharine Namah।

जो दुख का नाश करने वाले हैं

दौर्भाग्यनाशन

684

ॐ दौर्भाग्यनाशनाय नमः।

Om Daurbhagyanashanaya Namah।

जो स्त्रियों के विधवापन आदि दुर्भाग्यसूचक दोषों का नाश करने वाले हैं

प्रतिवादिमुखस्तम्भ

685

ॐ प्रतिवादिमुखस्तम्भाय नमः।

Om Prativadimukhastambhaya Namah।

जो शत्रुओं का दमन करने वाले हैं

रुष्टचित्तप्रसादन

686

ॐ रुष्टचित्तप्रसादनाय नमः।

Om Rushtachittaprasadanaya Namah।

जो क्रोधित राजा आदि को शान्त एवं प्रसन्न करने वाले हैं

पराभिचारशमन

687

ॐ पराभिचारशमनाय नमः।

Om Parabhicharashamanaya Namah।

जो दूसरों द्वारा किये गये मारण मोहन आदि उपायों को नष्ट करने वाले हैं

दुःखभञ्जनकारक

688

ॐ दुःखभञ्जनकारकाय नमः।

Om Duhkhabhanjanakarakaya Namah।

जो समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं

लव

689

ॐ लवाय नमः।

Om Lavaya Namah।

जो अति सूक्ष्म हैं

त्रुटि

690

ॐ त्रुटये नमः।

Om Trutaye Namah।

जो काल गणना के अनुसार एक हजार लव के काल के समान हैं

कला

691

ॐ कलायै नमः।

Om Kalayai Namah।

जो काल गणना के अनुसार तीस काष्ठाओं के काल के समान हैं

काष्ठा

692

ॐ काष्ठायै नमः।

Om Kashthayai Namah।

जो काल गणना के अनुसार अठारह निमेष के समान समय वाले हैं

निमेष

693

ॐ निमेषाय नमः।

Om Nimeshaya Namah।

जो काल गणना के अनुसार तीस तत्पर काल के समान समय वाले हैं

तत्पर

694

ॐ तत्पराय नमः।

Om Tatparaya Namah।

जो काल गणना के अनुसार सौ त्रुटियों के समय के बराबर हैं

क्षण

695

ॐ क्षणाय नमः।

Om Kshanaya Namah।

जो काल गणनानुसार क्षण स्वरूप अर्थात् तीस कलाओं के समय के बराबर हैं

घटी

696

ॐ घट्यै नमः।

Om Ghatyai Namah।

जो काल गणनानुसार घटी स्वरूप अर्थात् छः क्षण के समान समय वाले हैं

मुहूर्त

697

ॐ मुहूर्ताय नमः।

Om Muhurtaya Namah।

जो काल गणनानुसार दो घटी के समान समय वाले हैं

प्रहर

698

ॐ प्रहराय नमः।

Om Praharaya Namah।

जो काल गणनानुसार चार मूहूर्त के समय के समान हैं

दिवानक्त

699

ॐ दिवानक्ताय नमः।

Om Divanaktaya Namah।

जो काल गणनानुसार रात्रि स्वरूप हैं

अहर्निश

700

ॐ अहर्निशाय नमः।

Om Aharnishaya Namah।

जो काल गणनानुसार दिन और रात के समय के समान समय वाले हैं

पक्ष

701

ॐ पक्षाय नमः।

Om Pakshaya Namah।

जो पन्द्रह दिन अर्थात् एक पक्ष स्वरूप हैं

मास

702

ॐ मासाय नमः।

Om Masaya Namah।

जो दो पक्ष अर्थात् एक माह स्वरूप हैं

अयन

703

ॐ अयनाय नमः।

Om Ayanaya Namah।

जो छः माह अर्थात् एक अयन स्वरूप हैं

वर्ष

704

ॐ वर्षाय नमः।

Om Varshaya Namah।

जो दो अयन (उत्तरायण और दक्षिणायन) अर्थात् वर्ष स्वरूप हैं

युग

705

ॐ युगाय नमः।

Om Yugaya Namah।

जो युग स्वरूप अर्थात् बारह हजार दिव्य वर्षों के समान हैं

कल्प

706

ॐ कल्पाय नमः।

Om Kalpaya Namah।

जो कल्प (ब्रह्मा जी का एक दिन) स्वरूप अर्थात् एक हजार चतुर्युग के समान हैं

महालय

707

ॐ महालयाय नमः।

Om Mahalayaya Namah।

जो बहत्तर हजार कल्प अर्थात् महाप्रलय (ब्रह्मा जी का भी जब लय हो जाता है) स्वरूप हैं

राशि

708

ॐ राशये नमः।

Om Rashaye Namah।

जो मेष आदि बारह राशिस्वरूप हैं

तारा

709

ॐ तारायै नमः।

Om Tarayai Namah।

जो कृत्तिका आदि नक्षत्रस्वरूप हैं

तिथि

710

ॐ तिथये नमः।

Om Tithaye Namah।

जो पंचाङ्ग में चन्द्रमा की पन्द्रह कलाओं में से एक तिथि स्वरूप हैं

योग

711

ॐ योगाय नमः।

Om Yogaya Namah।

जो पंचाङ्ग में अमृतसिद्धि एवं आनन्द आदि योग के रूप में विद्यमान हैं

वार

712

ॐ वाराय नमः।

Om Varaya Namah।

जो सप्ताह के सात वार के स्वरूप में विद्यमान हैं

करण

713

ॐ करणाय नमः।

Om Karanaya Namah।

जो पंचाङ्ग में बव आदि करण के रूप में विद्यमान हैं

अंशक

714

ॐ अंशकाय नमः।

Om Amshakaya Namah।

जो ज्योतिष में समस्त अंशों के रूप में रहने वाले हैं

लग्न

715

ॐ लग्नाय नमः।

Om Lagnaya Namah।

जो ज्योतिष में मेष आदि राशियों के उदय करने वाले लग्नस्वरूप हैं

होरा

716

ॐ होरायै नमः।

Om Horayai Namah।

जो ज्योतिष में होरा चक्र के रूप में विद्यमान रहने वाले हैं

कालचक्र

717

ॐ कालचक्राय नमः।

Om Kalachakraya Namah।

जो स्वयं काल के स्वरूप हैं

मेरु

718

ॐ मेरवे नमः।

Om Merave Namah।

जो मेरु के पर्वत रूप में विद्यमान हैं

सप्तर्षि

719

ॐ सप्तर्षिभ्यो नमः।

Om Saptarshibhyo Namah।

जो कश्यप आदि सप्तऋषि स्वरूप हैं

ध्रुव

720

ॐ ध्रुवाय नमः।

Om Dhruvaya Namah।

जो उत्तानपाद के पुत्रस्वरूप हैं

राहु

721

ॐ राहवे नमः।

Om Rahave Namah।

जो राहु ग्रह स्वरूप हैं

मन्द

722

ॐ मन्दाय नमः।

Om Mandaya Namah।

जो शनि ग्रह स्वरूप हैं

कवि

723

ॐ कवये नमः।

Om Kavaye Namah।

जो शुक्र ग्रह स्वरूप हैं

जीव

724

ॐ जीवाय नमः।

Om Jivaya Namah।

जो बृहस्पति ग्रह स्वरूप हैं

बुध

725

ॐ बुधाय नमः।

Om Budhaya Namah।

जो बुध ग्रह स्वरूप हैं

भौम

726

ॐ भौमाय नमः।

Om Bhaumaya Namah।

जो मङ्गल ग्रह स्वरूप हैं

शशी

727

ॐ शशिने नमः।

Om Shashine Namah।

जो चन्द्र ग्रह स्वरूप हैं

रवि

728

ॐ रवये नमः।

Om Ravaye Namah।

जो सूर्य ग्रह स्वरूप हैं

काल

729

ॐ कालाय नमः।

Om Kalaya Namah।

जो जगत का संहार करने वाले हैं

सृष्टि

730

ॐ सृष्टये नमः।

Om Srishtaye Namah।

जो सृष्टि की रचना करने वाले हैं

स्थिति

731

ॐ स्थितये नमः।

Om Sthitaye Namah।

जो सृष्टि का पालन करने वाले हैं

विश्व स्थावर जङ्गम

732

ॐ विश्वस्मै स्थावराय जङ्गमाय नमः।

Om Vishvasmai Sthavaraya Jangamaya Namah।

जो चराचर जगत स्वरूप हैं

भू

733

ॐ भुवे नमः।

Om Bhuve Namah।

जो पृथ्वी स्वरूप हैं

आप

734

ॐ अद्भ्यो नमः।

Om Adbhyo Namah।

जो जल स्वरूप हैं

अग्नि

735

ॐ अग्नये नमः।

Om Agnaye Namah।

जो अग्नि स्वरूप हैं

मरुत्

736

ॐ मरुते नमः।

Om Marute Namah।

जो वायु स्वरूप हैं

व्योम

737

ॐ व्योम्ने नमः।

Om Vyomne Namah।

जो आकाश स्वरूप हैं

अहङ्कृति

738

ॐ अहंकृतये नमः।

Om Ahamkritaye Namah।

जो अहंकार स्वरूप हैं

प्रकृति

739

ॐ प्रकृतये नमः।

Om Prakritaye Namah।

जो जगत के मूल कारण प्रकृति स्वरूप हैं

पुमान्

740

ॐ पुंसे नमः।

Om Pumse Namah।

जो पुरुष स्वरूप हैं

ब्रह्मा

741

ॐ ब्रह्मणे नमः।

Om Brahmane Namah।

जो ब्रह्मा स्वरूप अर्थात् सृष्टि के सृजनकर्ता हैं

विष्णु

742

ॐ विष्णवे नमः।

Om Vishnave Namah।

जो विष्णु स्वरूप अर्थात् सृष्टि के पालनकर्ता हैं

शिव

743

ॐ शिवाय नमः।

Om Shivaya Namah।

जो शिव स्वरूप अर्थात् सृष्टि के संहारकर्ता हैं

रुद्र

744

ॐ रुद्राय नमः।

Om Rudraya Namah।

जो रुद्र स्वरूप हैं

ईश

745

ॐ ईशाय नमः।

Om Ishaya Namah।

जो ईश्वर स्वरूप हैं

शक्ति

746

ॐ शक्तये नमः।

Om Shaktaye Namah।

जो शक्ति स्वरूप हैं

सदाशिव

747

ॐ सदाशिवाय नमः।

Om Sadashivaya Namah।

जो सदैव कल्याण करने वाले हैं

त्रिदश

748

ॐ त्रिदशेभ्यो नमः।

Om Tridashebhyo Namah।

जो देवगणों के समान हैं

पितृ

749

ॐ पितृभ्यो नमः।

Om Pitribhyo Namah।

जो पितरों के समान हैं

सिद्ध

750

ॐ सिद्धेभ्यो नमः।

Om Siddhebhyo Namah।

जो समस्त सिद्धियों के समान हैं

यक्ष

751

ॐ यक्षेभ्यो नमः।

Om Yakshebhyo Namah।

जो यक्षगणों के समान हैं

रक्ष

752

ॐ रक्षोभ्यो नमः।

Om Rakshobhyo Namah।

जो राक्षसगणों के समान हैं

किन्नर

753

ॐ किन्नरेभ्यो नमः।

Om Kinnarebhyo Namah।

जो किन्नरवर्ग के समान हैं

साध्य

754

ॐ साध्येभ्यो नमः।

Om Sadhyebhyo Namah।

जो साधकजनों के समान हैं

विद्याधर

755

ॐ विद्याधरेभ्यो नमः।

Om Vidyadharebhyo Namah।

जो विद्याधारण करने वाले गणों के समान हैं

भूत

756

ॐ भूतेभ्यो नमः।

Om Bhutebhyo Namah।

जो स्वयं भूतगणों के रूप में हैं

मनुष्य

757

ॐ मनुष्येभ्यो नमः।

Om Manushyebhyo Namah।

जो मनुष्यगणों के रूप में हैं

पशु

758

ॐ पशुभ्यो नमः।

Om Pashubhyo Namah।

जो पशुगणों के समान हैं

खग

759

ॐ खगेभ्यो नमः।

Om Khagebhyo Namah।

जो पक्षिगण स्वरूप हैं

समुद्र

760

ॐ समुद्रेभ्यो नमः।

Om Samudrebhyo Namah।

जो विभिन्न समुद्रों के रूप में विद्यमान हैं

सरित्

761

ॐ सरिद्भ्यो नमः।

Om Saridbhyo Namah।

जो नदियों के रूप में प्रवाहित होते हैं

शैल

762

ॐ शैलेभ्यो नमः।

Om Shailebhyo Namah।

जो पर्वतों के रूप में विद्यमान हैं

भूत

763

ॐ भूताय नमः।

Om Bhutaya Namah।

जो भूतकाल स्वरूप हैं

भव्य

764

ॐ भव्याय नमः।

Om Bhavyaya Namah।

जो भविष्यकाल स्वरूप हैं

भवोद्भव

765

ॐ भवोद्भवाय नमः।

Om Bhavodbhavaya Namah।

जो जगत की उत्पत्ति के कारण हैं

साङ्ख्य

766

ॐ साङ्ख्याय नमः।

Om Sankhyaya Namah।

जो कपिल मुनि प्रणीत साङ्ख्य दर्शन स्वरूप हैं

पातञ्जल

767

ॐ पातञ्जलाय नमः।

Om Patanjalaya Namah।

जो पतञ्जलि मुनि प्रणीत योगसूत्र रूप में विद्यमान हैं

योग

768

ॐ योगाय नमः।

Om Yogaya Namah।

जो नागराज शेष द्वारा प्रतिपादित योग रूप हैं

पुराण

769

ॐ पुराणेभ्यो नमः।

Om Puranebhyo Namah।

जो समस्त पुराणों के रूप में हैं

श्रुति

770

ॐ श्रुत्यै नमः।

Om Shrutyai Namah।

जो स्वयं वेदस्वरूप हैं

स्मृति

771

ॐ स्मृत्यै नमः।

Om Smrityai Namah।

जो मनुस्मृति आदि धर्मशास्त्र स्वरूप हैं

वेदाङ्ग

772

ॐ वेदाङ्गेभ्यो नमः।

Om Vedangebhyo Namah।

जो छः वेदाङ्गों के रूप में विराजमान हैं

सदाचार

773

ॐ सदाचाराय नमः।

Om Sadacharaya Namah।

जो सदाचार संग्रहात्मक ग्रन्थ स्वरूप हैं

मीमांसा

774

ॐ मीमांसायै नमः।

Om Mimamsayai Namah।

जो जैमिनि मुनि प्रणीत मीमांसा दर्शन के रूप में अवस्थित हैं

न्यायविस्तर

775

ॐ न्यायविस्तराय नमः।

Om Nyayavistaraya Namah।

जो गौतम मुनि द्वारा वर्णित न्याय दर्शन स्वरूप हैं

आयुर्वेद

776

ॐ आयुर्वेदाय नमः।

Om Ayurvedaya Namah।

जो आयुर्वेद के रूप में विद्यमान हैं

धनुर्वेद

777

ॐ धनुर्वेदाय नमः।

Om Dhanurvedaya Namah।

जो स्वयं अस्त्रविद्या अर्थात् धनुर्वेद के रूप में विराजमान हैं

गान्धर्व

778

ॐ गान्धर्वाय नमः।

Om Gandharvaya Namah।

जो संगीत शास्त्र अर्थात् गन्धर्व वेद स्वरूप हैं

काव्यनाटक

779

ॐ काव्यनाटकाय नमः।

Om Kavyanatakaya Namah।

जो साहित्य शास्त्र में वर्णित काव्य एवं नाटक के रूप में विद्यमान हैं

वैखानस

780

ॐ वैखानसाय नमः।

Om Vaikhanasaya Namah।

जो भगवान विष्णु द्वारा कथित वैखानस तन्त्र स्वरूप हैं

भागवत

781

ॐ भागवताय नमः।

Om Bhagavataya Namah।

जो स्वयं वैष्णवशास्त्र अर्थात् भागवत स्वरूप में अवस्थित हैं

सात्वत

782

ॐ सात्वताय नमः।

Om Satvataya Namah।

जो सात्वत तन्त्र स्वरूप हैं

पाञ्चरात्रक

783

ॐ पाञ्चरात्रकाय नमः।

Om Pancharatrakaya Namah।

जो पाञ्चरात्र आगम स्वरूप अर्थात् चारों वैष्णव तन्त्र स्वरूप हैं

शैव

784

ॐ शैवाय नमः।

Om Shaivaya Namah।

जो शैव तन्त्र हैं

पाशुपत

785

ॐ पाशुपताय नमः।

Om Pashupataya Namah।

जो पाशुपत शास्त्र हैं

कालामुख

786

ॐ कालामुखाय नमः।

Om Kalamukhaya Namah।

जो कालामुख नामक प्रसिद्ध तन्त्र अथवा सम्प्रदाय के स्वरूप हैं

भैरवशासन

787

ॐ भैरवशासनाय नमः।

Om Bhairavashasanaya Namah।

जो भैरव कथित चारों शैव तन्त्र के रूप में विद्यमान हैं

शाक्त

788

ॐ शाक्ताय नमः।

Om Shaktaya Namah।

जो शक्तितन्त्र हैं

वैनायक

789

ॐ वैनायकाय नमः।

Om Vainayakaya Namah।

जो विनायकतन्त्र स्वरूप हैं

सौर

790

ॐ सौराय नमः।

Om Sauraya Namah।

जो भगवान सूर्य द्वारा कथित तन्त्र स्वरूप हैं

जैन

791

ॐ जैनाय नमः।

Om Jainaya Namah।

जो स्वयं जैन शास्त्र के रूप में विद्यमान हैं

आर्हतसंहिता

792

ॐ आर्हतसंहितायै नमः।

Om Arhatasamhitayai Namah।

जो आर्हतशास्त्र अर्थात् जैन धर्म के विशिष्ट ग्रन्थ के रूप में अवस्थित हैं

सत्

793

ॐ सते नमः।

Om Sate Namah।

जो सभी के कारण के रूप में स्थित हैं

असत्

794

ॐ असते नमः।

Om Asate Namah।

जो सभी के कार्य के रूप में विद्यमान हैं

व्यक्त

795

ॐ व्यक्ताय नमः।

Om Vyaktaya Namah।

जो कार्य रूप में व्यक्त अर्थात् प्रत्यक्ष हैं

अव्यक्त

796

ॐ अव्यक्ताय नमः।

Om Avyaktaya Namah।

जो कार्य के कारण रूप में अर्थात् अप्रत्यक्ष हैं

सचेतन

797

ॐ सचेतनाय नमः।

Om Sachetanaya Namah।

जो सजीव अर्थात् चेतना से युक्त हैं

अचेतन

798

ॐ अचेतनाय नमः।

Om Achetanaya Namah।

जो निर्जीव अर्थात् चेतना से रहित हैं

बन्ध

799

ॐ बन्धाय नमः।

Om Bandhaya Namah।

जो स्वयं भ्रमरूपी बन्धन हैं

मोक्ष

800

ॐ मोक्षाय नमः।

Om Mokshaya Namah।

जो मोक्षस्वरूप हैं

सुख

801

ॐ सुखाय नमः।

Om Sukhaya Namah।

जो विशुद्ध आनन्द स्वरूप हैं

भोग

802

ॐ भोगाय नमः।

Om Bhogaya Namah।

जो अनुभव योग्य हैं

अयोग

803

ॐ अयोगाय नमः।

Om Ayogaya Namah।

जो आसक्ति रहित हैं

सत्य

804

ॐ सत्याय नमः।

Om Satyaya Namah।

जिनका तीनों कालों में निर्बाध रूप से संचार हैं

अणु

805

ॐ अणवे नमः।

Om Anave Namah।

जो मन आदि इन्द्रियों के अगोचर हैं

महान्

806

ॐ महते नमः।

Om Mahate Namah।

जो परम आनन्द स्वरूप हैं

स्वस्ति

807

ॐ स्वस्तये नमः।

Om Svastaye Namah।

जो कल्याण स्वरूप अथवा सत्ताधारी हैं

हुं

808

ॐ हुं नमः।

Om Hum Namah।

जो हुं बीज मन्त्र में विद्यमान हैं

फट्

809

ॐ फट् नमः।

Om Phat Namah।

जो बीज मन्त्र स्वरूप हैं

स्वधा

810

ॐ स्वधा नमः।

Om Svadha Namah।

जो सर्वशक्तिशाली मन्त्र अथवा श्राद्ध कर्म स्वरूप हैं

स्वाहा

811

ॐ स्वाहा नमः।

Om Svaha Namah।

जो यज्ञ कर्म स्वरूप हैं

श्रौषट्

812

ॐ श्रौषट् नमः।

Om Shraushat Namah।

जो श्रौषट् मन्त्र स्वरूप हैं

वौषट्

813

ॐ वौषट् नमः।

Om Vaushat Namah।

जो वौषट् मन्त्र स्वरूप हैं

वषण्णमः

814

ॐ वषट् नमः।

Om Vashat Namah।

जो वषट् मन्त्र स्वरूप हैं

नमो नमः

815

ॐ नमो नमः।

Om Namo Namah।

जो अभिवादन स्वरूप हैं

ज्ञान

816

ॐ ज्ञानाय नमः।

Om Jnanaya Namah।

जो मोक्षविषयक ज्ञानस्वरूप हैं

विज्ञान

817

ॐ विज्ञानाय नमः।

Om Vijnanaya Namah।

जो विज्ञान स्वरूप में विद्यमान हैं

आनन्द

818

ॐ आनन्दाय नमः।

Om Anandaya Namah।

जो आत्मानन्द स्वरूप हैं

बोध

819

ॐ बोधाय नमः।

Om Bodhaya Namah।

जो अन्तर्बोध स्वरूप अर्थात् अन्तरिन्द्रिय द्वारा जानने योग्य हैं

संविद

820

ॐ संविदे नमः।

Om Samvide Namah।

जो बाह्य वृत्तियों द्वारा दुष्प्राप्य हैं

शम

821

ॐ शमाय नमः।

Om Shamaya Namah।

जो मन के निग्रह स्वरूप हैं

यम

822

ॐ यमाय नमः।

Om Yamaya Namah।

जो इन्द्रियों पर संयम रखने वाले हैं

एक

823

ॐ एकस्मै नमः।

Om Ekasmai Namah।

जो एकमात्र अद्वितीय ब्रह्म हैं

एकाक्षराधार

824

ॐ एकाक्षराधाराय नमः।

Om Ekaksharadharaya Namah।

जो एकाक्षर गं बीजमात्र में स्थित रहने वाले हैं

एकाक्षरपरायण

825

ॐ एकाक्षरपरायणाय नमः।

Om Ekaksharaparayanaya Namah।

जो ॐ एकाक्षर में स्थित रहने वाले हैं

एकाग्रधी

826

ॐ एकाग्रधिये नमः।

Om Ekagradhiye Namah।

जो अत्यन्त एकाग्र रहने वाले हैं

एकवीर

827

ॐ एकवीराय नमः।

Om Ekaviraya Namah।

जो सर्वशक्तिमान एकमात्र वीर स्वरूप हैं

एकानेकस्वरूपधृश्

828

ॐ एकानेकस्वरूपधृषे नमः।

Om Ekanekasvarupadhrishe Namah।

जो एक होते हुए भी अनेक रूपों को धारण करने वाले हैं

द्विरूप

829

ॐ द्विरूपाय नमः।

Om Dvirupaya Namah।

जो सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में स्थित हैं

द्विभुज

830

ॐ द्विभुजाय नमः।

Om Dvibhujaya Namah।

जो दो भुजाओं वाले हैं

द्व्यक्ष

831

ॐ द्व्यक्षाय नमः।

Om Dvyakshaya Namah।

जो दो नेत्रों वाले हैं

द्विरद

832

ॐ द्विरदाय नमः।

Om Dviradaya Namah।

जो तो दाँत वाले अर्थात् गज के रूप में रहने वाले हैं

द्वीपरक्षक

833

ॐ द्वीपरक्षकाय नमः।

Om Dviparakshakaya Namah।

जो सातों द्वीपों के रक्षक हैं

द्वैमातुर

834

ॐ द्वैमातुराय नमः।

Om Dvaimaturaya Namah।

जो माता उमा और गङ्गा के पुत्र हैं

द्विवदन

835

ॐ द्विवदनाय नमः।

Om Dvivadanaya Namah।

जो दो मुख अर्थात् अग्निमुख और गजमुख वाले हैं

द्वन्द्वातीत

836

ॐ द्वन्द्वातीताय नमः।

Om Dvandvatitaya Namah।

जो शीत उष्ण आदि द्वन्द दुःखों से रहित हैं

द्व्यातिग

837

ॐ द्वयातिगाय नमः।

Om Dvayatigaya Namah।

जो रजोगुण और तमोगुण से परे हैं

त्रिधामा

838

ॐ त्रिधाम्ने नमः।

Om Tridhamne Namah।

जो सूर्य, चन्द्र और अग्नि इन तीनों तेजों से युक्त हैं

त्रिकर

839

ॐ त्रिकराय नमः।

Om Trikaraya Namah।

जो तीनों लोकों के कर्ता हैं

त्रेतात्रिवर्गफलदायक

840

ॐ त्रेतात्रिवर्गफलदायकाय नमः।

Om Tretatrivargaphaladayakaya Namah।

जो धर्म, अर्थ और काम रूपी फल प्रदान करने वाले हैं

त्रिगुणात्मा

841

ॐ त्रिगुणात्मने नमः।

Om Trigunatmane Namah।

जो सत्त्व, रज और तम तीनों गुणों से युक्त प्रकृति के आधार हैं

त्रिलोकादि

842

ॐ त्रिलोकादये नमः।

Om Trilokadaye Namah।

जो तीनों लोकों के आदि कारण हैं

त्रिशक्तीश

843

ॐ त्रिशक्तीशाय नमः।

Om Trishaktishaya Namah।

जो प्रभुशक्ति, उत्साहशक्ति और मन्त्रशक्ति नामक त्रिशक्तियों के स्वामी हैं

त्रिलोचन

844

ॐ त्रिलोचनाय नमः।

Om Trilochanaya Namah।

जो तीन नेत्र वाले हैं

चतुर्बाहु

845

ॐ चतुर्बाहवे नमः।

Om Chaturbahave Namah।

जो चार भुजाओं वाले हैं

चतुर्दन्त

846

ॐ चतुर्दन्ताय नमः।

Om Chaturdantaya Namah।

जो चार दातों वाले हैं

चतुरात्मा

847

ॐ चतुरात्मने नमः।

Om Chaturatmane Namah।

जो आत्मा, अन्तरात्मा, ज्ञानात्मा और परमात्मा नामक चार आत्माओं वाले हैं

चतुर्मुख

848

ॐ चतुर्मुखाय नमः।

Om Chaturmukhaya Namah।

जो चार मुख वाले हैं

चतुर्विधोपायमय

849

ॐ चतुर्विधोपायमयाय नमः।

Om Chaturvidhopayamayaya Namah।

जो साम, दाम, दण्ड, भेद चार उपायों से उत्पन्न फल के साधक हैं

चतुर्वर्णाश्रमाश्रय

850

ॐ चतुर्वर्णाश्रमाश्रयाय नमः।

Om Chaturvarnashramashrayaya Namah।

जो चारों वर्णों और चारों आश्रमों के आधार हैं

चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवृत्तिप्रवर्तक

851

ॐ चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवृत्तिप्रवर्तकाय नमः।

Om Chaturvidhavachovrittiparivrittipravartakaya Namah।

जो चार प्रकार की वाणी (परा, पश्यन्ति, मध्यमा, बैखरी) के अधिपति हैं

चतुर्थीपूजनप्रीत

852

ॐ चतुर्थीपूजनप्रीताय नमः।

Om Chaturthipujanapritaya Namah।

जो चतुर्थी पर पूजन से प्रसन्न होने वाले हैं

चतुर्थीतिथिसम्भव

853

ॐ चतुर्थीतिथिसम्भवाय नमः।

Om Chaturthitithisambhavaya Namah।

जो चतुर्थी तिथि पर प्रकट होने वाले हैं

पञ्चाक्षरात्मा

854

ॐ पञ्चाक्षरात्मने नमः।

Om Panchaksharatmane Namah।

जो अकार, उकार, मकार, नाद और बिन्दु (पञ्चाक्षर ॐ) में निवास करने वाले हैं

पञ्चात्मा

855

ॐ पञ्चात्मने नमः।

Om Panchatmane Namah।

जो पञ्चात्मा ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, ईश्वर और सदाशिव इन पाँच विग्रहों से युक्त हैं

पञ्चास्य

856

ॐ पञ्चास्याय नमः।

Om Panchasyaya Namah।

जो पाँच मुख वाले हैं

पञ्चकृत्यकृत्

857

ॐ पञ्चकृत्यकृते नमः।

Om Panchakrityakrite Namah।

जो सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह करने वाले हैं

पञ्चाधार

858

ॐ पञ्चाधाराय नमः।

Om Panchadharaya Namah।

जो प्रकृति के पञ्चतत्वों को धारण करने वाले हैं

पञ्चवर्ण

859

ॐ पञ्चवर्णाय नमः।

Om Panchavarnaya Namah।

जो पाँच वर्ण वाले हैं

पञ्चाक्षरपरायण

860

ॐ पञ्चाक्षरपरायणाय नमः।

Om Panchaksharaparayanaya Namah।

जो नित्य शिव पञ्चाक्षर मन्त्र (नमः शिवाय) का जाप करने वाले हैं

पञ्चताल

861

ॐ पञ्चतालाय नमः।

Om Panchatalaya Namah।

जो पाँच ताल के बराबर शरीरवाले अर्थात् वामनरूपी हैं

पञ्चकर

862

ॐ पञ्चकराय नमः।

Om Panchakaraya Namah।

जो पाँच हाथों वाले होने के कारण पञ्चकर कहे जाने जाने वाले हैं

पञ्चप्रणवभावित

863

ॐ पञ्चप्रणवभाविताय नमः।

Om Panchapranavabhavitaya Namah।

जिन्हें पञ्च प्रणव द्वारा अनुभव किया जा सकता है

पञ्चब्रह्ममयस्फूर्ति

864

ॐ पञ्चब्रह्ममयस्फूर्तये नमः।

Om Panchabrahmamayasphurtaye Namah।

जो सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईश्वर इन पाँच ब्रह्मस्वरूपों की शक्ति से युक्त हैं

पञ्चावरणवारित

865

ॐ पञ्चावरणवारिताय नमः।

Om Panchavaranavaritaya Namah।

जो अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनन्दमय इन पाँच कोषों से युक्त हैं

पञ्चभक्ष्यप्रिय

866

ॐ पञ्चभक्ष्यप्रियाय नमः।

Om Panchabhakshyapriyaya Namah।

जो पाँच प्रकार के भक्ष्य पदार्थों के प्रेमी हैं

पञ्चबाण

867

ॐ पञ्चबाणाय नमः।

Om Panchabanaya Namah।

जो कामेश्वरी उमा और कामेश्वर शिव के पाँच बीजों से युक्त हैं

पञ्चशिवात्मक

868

ॐ पञ्चशिवात्मकाय नमः।

Om Panchashivatmakaya Namah।

जो शिव के पाँच रूपों में स्थित रहने वाले हैं

षट्कोणपीठ

869

ॐ षट्कोणपीठाय नमः।

Om Shatkonapithaya Namah।

जो षट्भुज आसन पर विराजमान होने वाले हैं

षट्चक्रधामा

870

ॐ षट्चक्रधाम्ने नमः।

Om Shatchakradhamne Namah।

जो मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि एवं आज्ञा इन छः चक्रों में रहने वाले हैं

षड्ग्रन्थिभेदक

871

ॐ षड्ग्रन्थिभेदकाय नमः।

Om Shadgranthibhedakaya Namah।

जो छः प्रकार की ग्रन्थियों को भेदकर मुक्ति प्रदान करने वाले हैं

षडध्वध्वान्तविध्वंसी

872

ॐ षडध्वध्वान्तविध्वंसिने नमः।

Om Shadadhvadhvantavidhvamsine Namah।

जो छः प्रकार के अंधकारों को नष्ट करने वाले हैं

षडङ्गुलमहाह्रद

873

ॐ षडङ्गुलमहाह्रदाय नमः।

Om Shadangulamahahradaya Namah।

जो छः अंगुल गहरे नाभि वाले हैं

षण्मुख

874

ॐ षण्मुखाय नमः।

Om Shanmukhaya Namah।

जो छः शास्त्रों को मुख में धारण करने वाले हैं

षण्मुखभ्राता

875

ॐ षण्मुखभ्रात्रे नमः।

Om Shanmukhabhratre Namah।

जो छः मुख वाले कार्तिकेय के भ्राता हैं

षट्शक्तिपरिवारित

876

ॐ षट्शक्तिपरिवारिताय नमः।

Om Shatshaktiparivaritaya Namah।

जो छः प्रकार की शक्तियों से घिरे हुये हैं

षड्वैरिवर्गविध्वंसी

877

ॐ षड्वैरिवर्गविध्वंसिने नमः।

Om Shadvairivargavidhvamsine Namah।

जो काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर इन छः शत्रुओं का नाश करने वाले हैं

षडूर्मिभयभञ्जन

878

ॐ षडूर्मिभयभञ्जनाय नमः।

Om Shadurmibhayabhanjanaya Namah।

जो भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा और मृत्यु इन छः ऊर्मियों के भय का निवारण करने वाले हैं

षट्तर्कदूर

879

ॐ षट्तर्कदूराय नमः।

Om Shattarkaduraya Namah।

जो छः शास्त्रों के परे हैं

षट्कर्मनिरत

880

ॐ षट्कर्मनिरताय नमः।

Om Shatkarmanirataya Namah।

जो षट्कर्म (यजन ,याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान, प्रतिग्रह) में लीन हैं

षड्रसाश्रय

881

ॐ षड्रसाश्रयाय नमः।

Om Shadrasashrayaya Namah।

जो छः रस (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, कषाय तथा तिक्त) में स्थित हैं

सप्तपातालचरण

882

ॐ सप्तपातालचरणाय नमः।

Om Saptapatalacharanaya Namah।

तल, अतल, आदि नीचे के सात लोक जिनके चरणों के आश्रित हैं

सप्तद्वीपोरुमण्डल

883

ॐ सप्तद्वीपोरुमण्डलाय नमः।

Om Saptadviporumandalaya Namah।

जम्बू आदि सात द्वीप जिनकी जङ्घाओं के रूप में स्थित हैं

सप्तस्वर्लोकमुकुट

884

ॐ सप्तस्वर्लोकमुकुटाय नमः।

Om Saptasvarlokamukutaya Namah।

जो भू लोक से लेकर गोलोक पर्यन्त सात स्वर्लोक जिनके मुकुट हैं

सप्तसप्तिवरप्रद

885

ॐ सप्तसप्तिवरप्रदाय नमः।

Om Saptasaptivarapradaya Namah।

जो सूर्य को वर प्रदान करने वाले हैं

सप्ताङ्गराज्यसुखद

886

ॐ सप्ताङ्गराज्यसुखदाय नमः।

Om Saptangarajyasukhadaya Namah।

जो सप्तांग राज्य सुख प्रदान करने वाले हैं

सप्तर्षिगणमण्डित

887

ॐ सप्तर्षिगणमण्डिताय नमः।

Om Saptarshiganamanditaya Namah।

जो कश्यप आदि सात ऋषियों तथा गण-देवताओं से सुशोभित हैं

सप्तछन्दोनिधि

888

ॐ सप्तछन्दोनिधये नमः।

Om Saptachhandonidhaye Namah।

जो गायत्री से लेकर जगती पर्यन्त सात वैदिक छन्दों के आश्रय हैं

सप्तहोता

889

ॐ सप्तहोत्रे नमः।

Om Saptahotre Namah।

जो होता से लेकर उद्‌गाता पर्यन्त सात होतृगण स्वरूप हैं

सप्तस्वराश्रय

890

ॐ सप्तस्वराश्रयाय नमः।

Om Saptasvarashrayaya Namah।

जो सात स्वरों (षड्ज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पञ्चम, धैवत, निषाद) के आधार हैं

सप्ताब्धिकेलिकासार

891

ॐ सप्ताब्धिकेलिकासाराय नमः।

Om Saptabdhikelikasaraya Namah।

सातों समुद्र जिनके क्रीड़ा-सरोवर हैं

सप्तमातृनिषेवित

892

ॐ सप्तमातृनिषेविताय नमः।

Om Saptamatrinishevitaya Namah।

जो ब्राह्मी, माहेश्वरी आदि सात मातृकाओं से सेवित हैं

सप्तच्छन्दोमोदमद

893

ॐ सप्तच्छन्दोमोदमदाय नमः।

Om Saptachchhandomodamadaya Namah।

जो पथ्य नामक सात छन्दों से उत्पन्न आनन्द में लीन हैं

सप्तच्छन्दोमखप्रभु

894

ॐ सप्तच्छन्दोमखप्रभवे नमः।

Om Saptachchhandomakhaprabhave Namah।

जो सप्त छन्दों की ऊर्जा के स्रोत हैं

अष्टमूर्तिध्येयमूर्ति

895

ॐ अष्टमूर्तिध्येयमूर्तये नमः।

Om Ashtamurtidhyeyamurtaye Namah।

जो भगवान् शिव के द्वारा भी पूजनीय हैं

अष्टप्रकृतिकारण

896

ॐ अष्टप्रकृतिकारणाय नमः।

Om Ashtaprakritikaranaya Namah।

जो पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार इन आठ प्रकृतियों की उत्पत्ति के कारण हैं

अष्टाङ्गयोगफलभू

897

ॐ अष्टाङ्गयोगफलभुवे नमः।

Om Ashtangayogaphalabhuve Namah।

जो अष्टाङ्गयोग के माध्यम फल प्रदान करने वाले हैं

अष्टपत्राम्बुजासन

898

ॐ अष्टपत्राम्बुजासनाय नमः।

Om Ashtapatrambujasanaya Namah।

जो अष्टदल कमल पुष्प के आसान पर विराजमान रहने वाले हैं

अष्टशक्तिसमृद्धिश्री

899

ॐ अष्टशक्तिसमृद्धिश्रिये नमः।

Om Ashtashaktisamriddhishriye Namah।

जो तीव्रा, ज्वालिनी आदि अष्ट शक्तियों द्वारा पूजित होने के कारण श्रीसम्पन्न हैं

अष्टैश्वर्यप्रदायक

900

ॐ अष्टैश्वर्यप्रदायकाय नमः।

Om Ashtaishvaryapradayakaya Namah।

जो अणिमा आदि आठ सिद्धियों के दाता हैं

अष्टपीठोपपीठश्री

901

ॐ अष्टपीठोपपीठश्रिये नमः।

Om Ashtapithopapithashriye Namah।

जो अष्टपीठ एवं उपपीठों को ऐश्वर्य युक्त करने वाले हैं

अष्टमातृसमावृत

902

ॐ अष्टमातृसमावृताय नमः।

Om Ashtamatrisamavritaya Namah।

सप्त मातृका एवं महालक्ष्मी जिनके आवरण देव के रूप में विराजमान हैं

अष्टभैरवसेव्य

903

ॐ अष्टभैरवसेव्याय नमः।

Om Ashtabhairavasevyaya Namah।

जो बटुक आदि अष्ट भैरवों द्वारा पूजे जाने वाले हैं

अष्टवसुवन्द्य

904

ॐ अष्टवसुवन्द्याय नमः।

Om Ashtavasuvandyaya Namah।

जो धर से लेकर प्रभास तक आठ वसुओं द्वारा पूजे जाने वाले हैं

अष्टमूर्तिभृत्

905

ॐ अष्टमूर्तिभृते नमः।

Om Ashtamurtibhrite Namah।

जो अष्टमूर्ति रूप धारण करने वाले हैं

अष्टचक्रस्फुरन्मूर्ति

906

ॐ अष्टचक्रस्फुरन्मूर्तये नमः।

Om Ashtachakrasphuranmurtaye Namah।

जो अष्ट चक्र यन्त्र स्वरूप हैं

अष्टद्रव्यहविःप्रिय

907

ॐ अष्टद्रव्यहविःप्रियाय नमः।

Om Ashtadravyahavihpriyaya Namah।

जो ईख, सत्तू आदि अष्टद्रव्यों से प्रसन्न होने वाले हैं

नवनागासनाध्यासी

908

ॐ नवनागासनाध्यासिने नमः।

Om Navanagasanadhyasine Namah।

जो वासुकी, तक्षक, कुलक, कर्कोटक आदि नौ नागों के आसन पर बैठने वाले हैं

नवनिध्यनुशासिता

909

ॐ नवनिध्यनुशासित्रे नमः।

Om Navanidhyanushasitre Namah।

जो नौ निधियों पर शासन करने वाले हैं

नवद्वारपुराधार

910

ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः।

Om Navadvarapuradharaya Namah।

जो नौ द्वारों वाली मानव देह के आधार हैं

नवाधारनिकेतन

911

ॐ नवाधारनिकेतनाय नमः।

Om Navadharaniketanaya Namah।

जो कुलाकुल, सहस्रार, मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और लम्बिका इन नौ आधारों में निवास करने वाले हैं

नवनारायणस्तुत्य

912

ॐ नवनारायणस्तुत्याय नमः।

Om Navanarayanastutyaya Namah।

जो धर्म, आदि, अनन्त, बदरी, रूप, शंकर, सुन्दर, लक्ष्मी और साध्य इन नौ नारायणों द्वारा पूजित हैं

नवदुर्गानिषेवित

913

ॐ नवदुर्गानिषेविताय नमः।

Om Navadurganishevitaya Namah।

नौदुर्गा जिनकी उपासना करती हैं

नवनाथमहानाथ

914

ॐ नवनाथमहानाथाय नमः।

Om Navanathamahanathaya Namah।

जो नौ नाथों (ज्ञान, प्रकाश, सत्य, आनन्द, विमर्श, स्वभाव, सुभग, प्रतिभ और पूर्ण) के महानाथ हैं

नवनागविभूषण

915

ॐ नवनागविभूषणाय नमः।

Om Navanagavibhushanaya Namah।

जो कर्कोटक आदि नौ नागों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले हैं

नवरत्नविचित्राङ्ग

916

ॐ नवरत्नविचित्राङ्गाय नमः।

Om Navaratnavichitrangaya Namah।

जो नौ प्रकार के रत्नों से सुशोभित हैं

नवशक्तिशिरोधृत

917

ॐ नवशक्तिशिरोधृताय नमः।

Om Navashaktishirodhritaya Namah।

नवशक्तियाँ जिन्हें अपने मस्तक पर धारण करती हैं

दशात्मक

918

ॐ दशात्मकाय नमः।

Om Dashatmakaya Namah।

जो दसों दिशाओं में व्याप्त हैं

दशभुज

919

ॐ दशभुजाय नमः।

Om Dashabhujaya Namah।

जो दस भुजाओं वाले हैं

दशदिक्पतिवन्दित

920

ॐ दशदिक्पतिवन्दिताय नमः।

Om Dashadikpativanditaya Namah।

जो इन्द्र आदि दसों दिशाओं के दिक्पालों द्वारा पूजे जाने वाले हैं

दशाध्याय

921

ॐ दशाध्यायाय नमः।

Om Dashadhyayaya Namah।

जो चार वेद और छः अंगों के अध्येता हैं

दशप्राण

922

ॐ दशप्राणाय नमः।

Om Dashapranaya Namah।

जो प्राण, अपान, व्यान आदि दस प्रकार के प्राणों से युक्त हैं

दशेन्द्रियनियामक

923

ॐ दशेन्द्रियनियामकाय नमः।

Om Dashendriyaniyamakaya Namah।

जो पाँच ज्ञानेन्द्रियों एवं पाँच कर्मेन्द्रियों को वश में रखने वाले हैं

दशाक्षरमहामन्त्र

924

ॐ दशाक्षरमहामन्त्राय नमः।

Om Dashaksharamahamantraya Namah।

जो दस अक्षरवाले (ॐ हस्तिपिशाचिनी हुं स्वाहा) महामन्त्रस्वरूप स्वरूप हैं

दशाशाव्यापिविग्रह

925

ॐ दशाशाव्यापिविग्रहाय नमः।

Om Dashashavyapivigrahaya Namah।

जो दशों दिशाओं में व्याप्त शरीर वाले हैं

एकादशादि रुद्र स्तुत

926

ॐ एकदशादिभिः रुद्रैः स्तुताय नमः।

Om Ekadashadibhih Rudraih Stutaya Namah।

जो ग्यारह से लेकर एक हजार तक रुद्रों द्वारा पूजित हैं

एकादशाक्षर

927

ॐ एकादशाक्षराय नमः।

Om Ekadashaksharaya Namah।

जो ग्यारह अक्षर मन्त्र स्वरूप हैं

द्वादशोद्दण्डदोर्दण्ड

928

ॐ द्वादशोद्दण्डदोर्दण्डाय नमः।

Om Dvadashoddandadordandaya Namah।

जो बारह भुजाओं वाले दण्डधारी स्वरूप में विरजमान हैं

द्वादशान्तनिकेतन

929

ॐ द्वादशान्तनिकेतनाय नमः।

Om Dvadashantaniketanaya Namah।

जो ललाट से लेकर ब्रह्मरन्ध्र तक अर्थात् द्वादशान्त में निवास करने हैं

त्रयोदशभिदाभिन्नविश्वेदेवाधिदैवत

930

ॐ त्रयोदशभिदाभिन्नविश्वेदेवाधिदैवताय नमः।

Om Trayodashabhidabhinnavishvedevadhidaivataya Namah।

जो तेरह विश्वेदेवों के अधिदेवता हैं

चतुर्दशेन्द्रवरद

931

ॐ चतुर्दशेन्द्रवरदाय नमः।

Om Chaturdashendravaradaya Namah।

जो चौदह प्रकार के इन्द्रों को वर प्रदान करने वाले हैं

चतुर्दशमनुप्रभु

932

ॐ चतुर्दशमनुप्रभवे नमः।

Om Chaturdashamanuprabhave Namah।

जो चौदह प्रकार के मनुओं के अधिपति हैं

चतुर्दशादिविद्याढ्य

933

ॐ चतुर्दशादिविद्याढ्याय नमः।

Om Chaturdashadividyadhyaya Namah।

जो चौदह प्रकार की विद्याओं में पारंगत हैं

चतुर्दशजगत्प्रभु

934

ॐ चतुर्दशजगत्प्रभवे नमः।

Om Chaturdashajagatprabhave Namah।

जो चौदह भुवनों (सप्त ऊर्ध्वलोक एवं सप्त पाताल लोक) के स्वामी हैं

सामपञ्चदश

935

ॐ सामपञ्चदशाय नमः।

Om Samapanchadashaya Namah।

जो सामवेद के पन्द्रह भागों के रूप में विद्यमान हैं

पञ्चदशीशीतांशुनिर्मल

936

ॐ पञ्चदशीशीतांशुनिर्मलाय नमः।

Om Panchadashishitamshunirmalaya Namah।

जो पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं

षोडशाधारनिलय

937

ॐ षोडशाधारनिलयाय नमः।

Om Shodashadharanilayaya Namah।

जो मानव शरीर के सोलह आधारों के रूप में स्थित रहने वाले हैं

षोडशस्वरमातृक

938

ॐ षोडशस्वरमातृकाय नमः।

Om Shodashasvaramatrikaya Namah।

जो सोलह स्वर अक्षर स्वरूप हैं

षोडशान्तपदावास

939

ॐ षोडशान्तपदावासाय नमः।

Om Shodashantapadavasaya Namah।

जो षोडशान्त (ब्रह्मरन्ध्र अन्तर्गत) में निवास करने वाले हैं

षोडशेन्दुकलात्मक

940

ॐ षोडशेन्दुकलात्मकाय नमः।

Om Shodashendukalatmakaya Namah।

जो अमृता और मानिनी आदि सोलह कलाओं से युक्त चन्द्र के समान हैं

कलासप्तदशी

941

ॐ कलासप्तदश्यै नमः।

Om Kalasaptadashyai Namah।

जो त्रिपुरागम में प्रसिद्ध सप्तदशी नामक कलास्वरूप हैं

सप्तदश

942

ॐ सप्तदशाय नमः।

Om Saptadashaya Namah।

जो सत्रह यज्ञों के स्वरूप हैं

सप्तदशाक्षर

943

ॐ सप्तदशाक्षराय नमः।

Om Saptadashaksharaya Namah।

जो सत्रह अक्षर वाले मन्त्र में स्थित हैं

अष्टादशद्वीपपति

944

ॐ अष्टादशद्वीपपतये नमः।

Om Ashtadashadvipapataye Namah।

जो अठारह द्वीपों के अधिपति हैं

अष्टादशपुराणकृत्

945

ॐ अष्टादशपुराणकृते नमः।

Om Ashtadashapuranakrite Namah।

जो अठारह पुराणों के रचीयता हैं

अष्टादशौषधीसृष्टि

946

ॐ अष्टादशौषधीसृष्टये नमः।

Om Ashtadashaushadhisrishtaye Namah।

जो अठारह प्रकार की औषधियों के उत्पत्तिकर्ता हैं

अष्टादशविधिस्मृत

947

ॐ अष्टादशविधिस्मृताय नमः।

Om Ashtadashavidhismritaya Namah।

जो मीमांसा दर्शन द्वारा प्रतिपादित अठारह प्रकार की विधियों के समान हैं

अष्टादशलिपिव्यष्टिसमष्टिज्ञानकोविद

948

ॐ अष्टादशलिपिव्यष्टिसमष्टिज्ञानकोविदाय नमः।

Om Ashtadashalipivyashtisamashtijnanakovidaya Namah।

जो अठारह प्रकार की लिपियों का ज्ञान रखने वाले हैं

एकविंश पुमान्

949

ॐ एकविंशाय पुंसे नमः।

Om Ekavimshaya Pumse Namah।

जो पञ्च ज्ञानेन्द्रिय आदि से परे इक्कीसवे तत्त्व हैं

एकविंशत्यङ्गुलिपल्लव

950

ॐ एकविंशत्यङ्गुलिपल्लवाय नमः।

Om Ekavimshatyangulipallavaya Namah।

जो इक्कीस कोमल अंगुलियों एवं एक सूँड वाले हैं

चतुर्विंशतितत्त्वात्मा

951

ॐ चतुर्विंशतितत्त्वात्मने नमः।

Om Chaturvimshatitattvatmane Namah।

जो चौबीस तत्व वाले हैं

पञ्चविंशाख्यपूरुष

952

ॐ पञ्चविंशाख्यपूरुषाय नमः।

Om Panchavimshakhyapurushaya Namah।

जो चौबीस तत्वों से परे पच्चीसवें पुरुष हैं

सप्तविंशतितारेश

953

ॐ सप्तविंशतितारेशाय नमः।

Om Saptavimshatitareshaya Namah।

जो अश्विनी आदि सत्ताईस नक्षत्रों के स्वामी हैं

सप्तविंशतियोगकृत्

954

ॐ सप्तविंशतियोगकृते नमः।

Om Saptavimshatiyogakrite Namah।

जो सत्ताईस योगों के कर्ता हैं

द्वात्रिंशद्भैरवाधीश

955

ॐ द्वात्रिंशद्भैरवाधीशाय नमः।

Om Dvatrimshadbhairavadhishaya Namah।

जो बत्तीस प्रकार के भैरवों के स्वामी हैं

चतुस्त्रिंशन्महाह्रद

956

ॐ चतुस्त्रिंशन्महाह्रदाय नमः।

Om Chatustrimshanmahahradaya Namah।

जो चौंतीस सरोवरों से भी विशाल सरोवर स्वरूप हैं

षट्त्रिंशत्तत्त्वसम्भूति

957

ॐ षट्त्रिंशत्तत्त्वसम्भूतये नमः।

Om Shattrimshattattvasambhutaye Namah।

जो छत्तीस तत्वों (सिद्धान्तों) के स्वामी हैं

अष्टात्रिंशत्कलातनु

958

ॐ अष्टात्रिंशत्कलातनवे नमः।

Om Ashtatrimshatkalatanave Namah।

जो अड़तीस कलाओं से युक्त हैं

नमदेकोनपञ्चाशन्मरुद्वर्गनिरर्गल

959

ॐ नमदेकोनपञ्चाशन्मरुद्वर्गनिरर्गलाय नमः।

Om Namadekonapanchashanmarudvarganirargalaya Namah।

जो उनचास प्रकार के मरुत गणों के विघ्न दूर करने वाले हैं

पञ्चाशदक्षरश्रेणि

960

ॐ पञ्चाशदक्षरश्रेण्यै नमः।

Om Panchashadaksharashrenyai Namah।

जो संस्कृत वर्णमाला में पचास अक्षर की श्रृंखला हैं

पञ्चाशद्रुद्रविग्रह

961

ॐ पञ्चाशद्रुद्रविग्रहाय नमः।

Om Panchashadrudravigrahaya Namah।

जो पचास प्रकार के रुद्रों के रूप में स्थित हैं

पञ्चाशद्विष्णुशक्तीश

962

ॐ पञ्चाशद्विष्णुशक्तीशाय नमः।

Om Panchashadvishnushaktishaya Namah।

जो पचास प्रकार की विष्णु शक्तियों के स्वामी हैं

पञ्चाशन्मातृकालय

963

ॐ पञ्चाशन्मातृकालयाय नमः।

Om Panchashanmatrikalayaya Namah।

जो पचास प्रकार के मातृका वर्ण के रूप में स्थित हैं

द्विपञ्चाशद्वपुःश्रेणि

964

ॐ द्विपञ्चाशद्वपुःश्रेण्यै नमः।

Om Dvipanchashadvapuhshrenyai Namah।

जो लिङ्गपुराण कथित बावन प्रकार की शारीरिक संरचना के स्वामी हैं

त्रिषष्ट्यक्षरसंश्रय

965

ॐ त्रिषष्ट्यक्षरसंश्रयाय नमः।

Om Trishashtyaksharasamshrayaya Namah।

जो तिरसठ अक्षरों के आधार हैं

चतुष्षष्ट्यर्णनिर्णेता

966

ॐ चतुष्षष्ट्यर्णनिर्णेत्रे नमः।

Om Chatushshashtyarnanirnetre Namah।

जो चौंसठ अक्षरों के निर्णायक हैं

चतुःषष्टिकलानिधि

967

ॐ चतुःषष्टिकलानिधये नमः।

Om Chatuhshashtikalanidhaye Namah।

जो चौंसठ कलाओं के ज्ञाता हैं

चतुष्षष्टिमहासिद्धयोगिनीवृन्दवन्दित

968

ॐ चतुष्षष्टिमहासिद्धयोगिनीवृन्दवन्दिताय नमः।

Om Chatushshashtimahasiddhayoginivrindavanditaya Namah।

जो अक्षोभ्य आदि चौंसठ महासिद्धों और उतनी ही योगिनियों द्वारा पूजित हैं

अष्टषष्टिमहातीर्थक्षेत्रभैरवभावन

969

ॐ अष्टषष्टिमहातीर्थक्षेत्रभैरवभावनाय नमः।

Om Ashtashashtimahatirthakshetrabhairavabhavanaya Namah।

जो शिव के अड़सठ महतीर्थों में स्थित भैरव द्वारा पूजे जाने वाले हैं

चतुर्नवतिमन्त्रात्मा

970

ॐ चतुर्नवतिमन्त्रात्मने नमः।

Om Chaturnavatimantratmane Namah।

जो चौरानबे मूल मन्त्रों के रूप में स्थित हैं

षण्णवत्यधिकप्रभु

971

ॐ षण्णवत्यधिकप्रभवे नमः।

Om Shannavatyadhikaprabhave Namah।

जो तन्त्रराज तन्त्र में वर्णित छियानबे से अधिक देवताओं के अधिपति हैं

शतानन्द

972

ॐ शतानन्दाय नमः।

Om Shatanandaya Namah।

जो मानुष आदि से सेकड़ों गुना प्रसन्न रहने वाले हैं

शतधृति

973

ॐ शतधृतये नमः।

Om Shatadhritaye Namah।

जो अनन्त ब्रह्माण्ड को धारण करने वाले हैं

शतपत्रायतेक्षण

974

ॐ शतपत्रायतेक्षणाय नमः।

Om Shatapatrayatekshanaya Namah।

जो कमल के समान विशाल नयनों वाले हैं

शतानीक

975

ॐ शतानीकाय नमः।

Om Shatanikaya Namah।

जो अनन्त सैनिकों के स्वामी हैं

शतमख

976

ॐ शतमखाय नमः।

Om Shatamakhaya Namah।

जो सौ यज्ञों का अनुष्ठान करने वाले इन्द्रस्वरूप हैं

शतधारावरायुध

977

ॐ शतधारावरायुधाय नमः।

Om Shatadharavarayudhaya Namah।

जो सौ धारों से युक्त तीक्ष्ण वज्र धारण करने वाले हैं

सहस्रपत्रनिलय

978

ॐ सहस्रपत्रनिलयाय नमः।

Om Sahasrapatranilayaya Namah।

जो सहस्रार चक्र में स्थित रहने वाले हैं

सहस्रफणभूषण

979

ॐ सहस्रफणभूषणाय नमः।

Om Sahasraphanabhushanaya Namah।

जो सहस्र फन वाले नाग से सुशोभित हैं

सहस्रशीर्षा पुरुष

980

ॐ सहस्रशीर्ष्णे पुरुषाय नमः।

Om Sahasrashirshne Purushaya Namah।

जो असंख्य मस्तक वाले हैं

सहस्राक्ष

981

ॐ सहस्राक्षाय नमः।

Om Sahasrakshaya Namah।

जो सहस्र नेत्रों वाले हैं

सहस्रपात्

982

ॐ सहस्रपदे नमः।

Om Sahasrapade Namah।

जो सहस्र पैरों वाले हैं

सहस्रनामसंस्तुत्य

983

ॐ सहस्रनामसंस्तुत्याय नमः।

Om Sahasranamasamstutyaya Namah।

जिनकी स्तुति सहस्र नामों द्वारा की जाती है

सहस्राक्षबलापह

984

ॐ सहस्राक्षबलापहाय नमः।

Om Sahasrakshabalapahaya Namah।

जो इन्द्र के बल को भी विध्वस्त कर देने वाले हैं

दशसहस्रफणिभृत्फणिराजकृतासन

985

ॐ दशसाहस्रफणिभृत्फणिराजकृतासनाय नमः।

Om Dashasahasraphanibhritphanirajakritasanaya Namah।

जो दस हजार फण धारण करने वाले नागराज वासुकि के ऊपर आसीन हैं

अष्टाशीतिसहस्रौघमहर्षिस्तोत्रयन्त्रित

986

ॐ अष्टाशीतिसहस्राद्यमहर्षिस्तोत्रयन्त्रिताय नमः।

Om Ashtashitisahasradyamaharshistotrayantritaya Namah।

जो अट्ठासी हजार आद्य महर्षियों की स्तुति एवं श्रद्धा के बन्धन में हैं

लक्षाधीशप्रियाधार

987

ॐ लक्षाधीशप्रियाधाराय नमः।

Om Lakshadhishapriyadharaya Namah।

जो लक्षपतियों के प्रिय आधार हैं

लक्षाधीशमनोमय

988

ॐ लक्षाधीशमनोमयाय नमः।

Om Lakshadhishamanomayaya Namah।

जो एकाग्रचित्त एवं सत्पुरुष स्वरूप हैं

चतुर्लक्षजपप्रीत

989

ॐ चतुर्लक्षजपप्रीताय नमः।

Om Chaturlakshajapapritaya Namah।

जो चार लाख मन्त्र जप द्वारा प्रसन्न होने वाले हैं

चतुर्लक्षप्रकाशित

990

ॐ चतुर्लक्षप्रकाशिताय नमः।

Om Chaturlakshaprakashitaya Namah।

जो अठारह पुराणों में वर्णित चार लाख श्लोकों द्वारा वर्णित रूप वाले हैं

चतुरशीतिलक्षाणां जीवानां देहसंस्थित

991

ॐ चतुरशीतिलक्षाणां जीवानां देहसंस्थिताय नमः।

Om Chaturashitilakshanam Jivanam Dehasamsthitaya Namah।

जो चौरासी लाख जीवों के शरीर में विराजमान हैं

कोटिसूर्यप्रतीकाश

992

ॐ कोटिसूर्यप्रतीकाशाय नमः।

Om Kotisuryapratikashaya Namah।

जो करोड़ों सूर्य के समान तेज वाले हैं

कोटिचन्द्रांशुनिर्मल

993

ॐ कोटिचन्द्रांशुनिर्मलाय नमः।

Om Kotichandramshunirmalaya Namah।

जो करोड़ों चन्द्रमा के समान निर्मल हैं

शिवाभवाध्युष्टकोटिविनायकधुरन्धर

994

ॐ शिवाभवाध्युष्टकोटिविनायकधुरन्धराय नमः।

Om Shivabhavadhyushtakotivinayakadhurandharaya Namah।

जो करोड़ो विनायकों का नेतृत्व करने वाले हैं

सप्तकोटिमहामन्त्रमन्त्रितावयवद्युति

995

ॐ सप्तकोटिमहामन्त्रमन्त्रितावयवद्युतये नमः।

Om Saptakotimahamantramantritavayavadyutaye Namah।

जो सात करोड़ मन्त्रों का तेज धारण करने वाले हैं

त्रयस्त्रिंशत्कोटिसुरश्रेणीप्रणतपादुक

996

ॐ त्रयस्त्रिंशत्कोटिसुरश्रेणीप्रणतपादुकाय नमः।

Om Trayastrimshatkotisurashrenipranatapadukaya Namah।

तैंतीस कोटि देव जिनकी चरण पादुकाओं को प्रणाम करते हैं

अनन्तनाम

997

ॐ अनन्तनाम्ने नमः।

Om Anantanamne Namah।

जो अनन्त नामों वाले हैं

अनन्तश्री

998

ॐ अनन्तश्रिये नमः।

Om Anantashriye Namah।

जो अनन्त विद्या एवं सम्पत्ति वाले हैं

अनन्तानन्तसौख्यद

999

ॐ अनन्तानन्तसौख्यदाय नमः।

Om Anantanantasaukhyadaya Namah।

जो अनन्त प्रकार की धन-सम्पदा एवं सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले हैं

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